Monday, March 23, 2009


कल हो आज जैसा
महल हो ताज जैसा
फूल हो गुलाब जैसा
और...
ज़िन्दगी के हर कदम पे साथ हो
साथ हो आप जैसा

1 comments:

अभिन्न said...

आज जैसे कल की ख्वाहिस है अच्छी
ताजमहल की जैसे नुमाइश है अच्छी
अच्छा है वैसे ही ये रचना संसार आपका
मिलता रहे पाठको को स्नेहिल प्यार आपका
...............आपकी गज़ब रचना को मेरा सम्मान भरा सलाम