Monday, October 12, 2009


कर रही थी मैं उसका इंतज़ार
उसके दीदार के लिए थी बेक़रार,
हर पल मेरी निगाहें उसे ढूंढ़ती रही,
बस उसके एक झलक के लिए तरसती रही !

35 comments:

Anonymous said...

Intezar na kar aur woh aayega...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया शेर कहा है आज तो।
कम शब्दों में ही सब कुछ
हाल-ऐ-दिल बयान कर दिया।

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर । प्रार्थना है कि यह इन्तजार खत्म हो ।

Umesh Agarwal said...

Intezar ka nasha hi kuch hota hai...bahut behtareen..:)

M VERMA said...

बेहतरीन कहा है.
चित्र मे भी इंतजार बखूबी झलक रहा है.

BK Chowla, said...

Intezar mai bahut mazza hai.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर,
धन्यवाद

मनोज भारती said...

सुंदर अभिव्यक्ति

दर्शन को तरसती ...निगाहों में दिल का अक्स उभर आया है ।

http://gunjanugunj.blogspot.com

डॉ टी एस दराल said...

तस्वीर में झलकते भाव, पंक्तियों से पूर्णतय मेल खाते हुए.
सुन्दर प्रस्तुति.

प्रकाश पाखी said...

दीदार...इंतजार...बेकरार...!तीन शब्दों में दिल का हाल बयां कर दिया...

Kavita Saharia said...

Hope the wait ends...Babli ,very romantic lines,beautiful as always.

मनोज कुमार said...

यहां अभिव्यक्ति की स्पषटता प्रमुख है।

Unknown said...

शायरी और तस्वीर का ज़बरदस्त मेल...........

वाह !

बधाई !

Mishra Pankaj said...

अत्यन्त सुन्दर रचना

विनोद कुमार पांडेय said...

सुंदर अभिव्यक्ति...बढ़िया रचना...बधाई

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया..वाह!

Mumukshh Ki Rachanain said...

कर रही थी मैं उसका इंतज़ार
उसके दीदार के लिए थी बेक़रार,

बढ़िया प्रस्तुति........

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

sujata sengupta said...

jab bhi koi dastak sunayi di..mera dil keh utha "kahi yeh woh to nahi..."

मस्तानों का महक़मा said...

आज बहुत दिनों बाद तुम्हें पढ़ने का मज़ा लिया है।
बहुत ही मज़े से लिखा हुआ है। लगता नहीं है कि तुम्हारी जिंदगी से ये शब्द नही जुड़े हों... हर एक शब्द के बहुत ही नज़दीक लगती हो।
;-)

शरद कोकास said...

चित्र और कविता का संयोजन हमेशा की तरह बेहतरीन ।

अजय कुमार झा said...

कुछ यूं था हमें उनका इंतजार,
मिलने को था जो ये दिल बेकरार,
तकती रहीं आखें उम्र भर ,
और रूह को भी न हुआ उनका दीदार..

आपको पढ कर बरबस ही जो मन से निकल जाता है .....

admin said...

Intjaar, Bekarar aur deedar... lagta hai yeh sab ek doosare ke liye hee bane hain

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

wah! bahut hi behtareen......... aur achchi kavita likhi hai aapne.......

Sumandebray said...

shall I add here that "intezar ke phaal mitha hota hai"!

Bahut khub

Murari Pareek said...

वाह जीतनी सुन्दर पंक्तियाँ उतनी ही बेहतर स्केच है बधाई हो !!

दिगम्बर नासवा said...

LAJAWAAB LIKHA HAI ...... ACHHA SHER......

Ajay Saklani said...

इंतज़ार में बैठी निगाह की बेकरारी का आलम क्या है, दीदार होते ही एक चमक सब ब्यान कर देती है.... बहुत ही बढ़िया...
कुच्छ दिल से....

Science Bloggers Association said...

लाजवाब करती रचना है, बधाई।
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Imagination said...

Babli ji bahut lajawab.....

shabdon ke gehrayi... dil ko shoo jane wali hai.

mere blog ka naya url ap check karein

पूनम श्रीवास्तव said...

बहुत सुन्दर भाव्नत्मक अभिव्यक्ति---
पूनम

ज्योति सिंह said...

aap to likhati achchha hi hai ,dhanteras ke saath dipawali ki bhi shubkaamnaaye .

सदा said...

इन्‍तजार की यह पंक्तियां बहुत ही लाजवाब बन पड़ी हैं ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen......

Ek Shehr Hai said...

Intzar ka bhi kya anmol ehsas hai.
Har wakat koi na koi khash pyash hai.

Rahul Chauhan said...

kaya khub likhte ho bada achha likhte ho likhte raho likhte raho bada achha lagta hai..............