Friday, August 19, 2011


वादा करके उसे वो निभा न सके,
क्यूँ किया हमें प्यार जब जता न सके?
बातें तो उम्र भर साथ चलने की थीं....
दो कदम भी तो साथ में जा न सके ।

29 comments:

Anupama Tripathi said...

shikayat lazmi hai....
bahut sunder.

नीरज गोस्वामी said...

Waah...bahut khoob Babli Ji

केवल राम said...

वाह क्या बात है ...!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वादा तो होता ही तोडने के लिए है ... बहुत खूब लिखा है .

Dr.Aditya Kumar said...

dard bhari dastan

SACCHAI said...

babli ji aapki kalam ka jaddo fir se ek baar dikha ...waah ! adbhut sarjan

" अकल के मोटे ..दिमाग के लोटे : पप्पू धमाल (व्यंग)
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post_18.html

hamaarethoughts.com said...

very true..close to reality!

sm said...

very well said
nice poem
difficult to keep promises

Bharat Bhushan said...

उलाहने की इससे भी बड़ी डोज़ देनी चाहिए :))

Anonymous said...

sundar...dil se nikali hain

महेन्‍द्र वर्मा said...

पहला कदम रखते ही लड़खड़ाने वाले आजकल ज्यादा पाए जाते हैं।

JAGDISH BALI said...

Very touchy and exopressive.

vidhya said...

bahut sundar babali ji

Dr (Miss) Sharad Singh said...

उलाहना भरी बहुत सुन्दर रचना !

Padharo Rajasthan said...

Beautiful Words again !! This is fantastic !!Padharo Rajasthan

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर. एक शेर याद आ रहा है

जब प्यार नहीं है, तो भुला क्यों नहीं देते,
खत किस लिए रखे हो,जला क्यों नहीं देते।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

वाह! बहुत सुन्दर...
सादर बधाई...

कविता रावत said...

sach vaada to sab kar lete hai par nibhane waale bahut kam..
saarthak rachna..

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

khoobsoorat ulahna

प्रेम सरोवर said...

आपके पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा। कुछ सोचने के लिए कुछ लिख रहा हूं,शायद आपको भी अच्छा लगे----

'बदलते चेहरों के इस उदास मौसम मे,
जरूरी है नजर के सामने आईना रखना ।'
धन्यवाद ।

Rakesh Kumar said...

वाजिब शिकायत है आपकी,बबली जी.
केवल बातों से ही मन नहीं भर सकता,
साथ चलना ही असली परीक्षा है प्यार की.

मेरी नई पोस्ट पर आपके सुविचार
अपेक्षित हैं.

Anonymous said...

"बातें तो उम्र भर साथ चलने की थीं....
दो कदम भी तो साथ में जा न सके"

यही चलन हैं - कथनी और करनी में अंतर

डॉ टी एस दराल said...

शिकायत जायज़ है ।

virendra sharma said...

इस दुर्योधन की सेना में सब शकुनी हैं ,एक भी सेना पति भीष्म पितामह नहीं हैं ,शूपर्ण -खा है ,मंद मति बालक है जिसे भावी प्रधान मंत्री बतलाया समझाया जा रहा है .एक भी कृपा -चारी नहीं हैं काले कोट वाले फरेबी हैं जिन्होनें संसद को अदालत में बदल दिया है ,तर्क और तकरार से सुलझाना चाहतें हैं ये मुद्दे .एक अरुणा राय आ गईं हैं शकुनियों के राज में ,ये "मम्मीजी" की अनुगामी हैं इसीलिए सरकारी और जन लोक पाल दोनों बिलों की खिल्ली उड़ा रहीं हैं.और हाँ इस मर्तबा पन्द्रह अगस्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है सोलह अगस्त अन्नाजी ने जेहाद का बिगुल फूंक दिया है ,मुसलमान हिन्दू सब मिलकर रोजा खोल रहें हैं अन्नाजी के दुआरे ,कैसा पर्व है अपने पन का राष्ट्री एकता का ,देखते ही बनता है ,बधाई कृष्णा ,जन्म दिवस मुबारक कृष्णा ....
.... ram ram bhai वादा करके उसे वो निभा न सके,
क्यूँ किया हमें प्यार जब जता न सके?
बातें तो उम्र भर साथ चलने की थीं....
दो कदम भी तो साथ में जा न सके ।खूब सूरत अशआर ,एहसास .बधाई .

कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....

http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

Sawai Singh Rajpurohit said...

बेहद खूबसूरत

रचना दीक्षित said...

क्या बात है ...बेहतरीन प्रस्तुति

sheetal said...

accha likha aapne

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया....

Dr.NISHA MAHARANA said...

क्यूँ किया हमें प्यार जब जता न सके? bhut hi
mnmohk pankti.