ऐसा ही लगता अन्ना बबली जी ,, , , लफडा तो अब इन तोतों के साथ ही हो गया . ,हो सकता है इन्हें पौराणिक कपिल मुनि की सचमुच आवाजें ही सुनाई दे रहीं हों ,ऑडियो हेल्युसिनेशन हो रहें हों ,दुचित्ता और दुरंगा तो यह आदमी है ही ,आदमी का आदमी जोगी का जोगी ,जासूस का जासूस ,हद तो यह है कोंग्रेस में तोतों के भी आगे तोते होतें हैं ,कुछ प्राधिकृत तोतें हैं जो गाली गुफार में माहिर हैं .पहले ऐसे तोतों को वैश्या के तोते कहा जाता था ,अब ये हाई कमान के तोते कहातें हैं ,गौरवानित होतें हैं .वेदांगी का तोता मन्त्र जाप करता था .राजनीति का जालसाजी .आपकी ब्लोगिया हाजिरी के लिए आभार ,७५ %तो हमारी भी होंगी "आपके ब्लॉग पर । बेहतरीन अशआर है इस बार बबली जी -
दर्द को भी दर्द होने लगा, दर्द ख़ुद ही मेरे घाव धोने लगा, दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
बबली जी,कहाँ छिपा रक्खा है आपने इतने दर्द को. जितना उंडेलती हो,उतना और बढ़ आता है. ये दर्द का रोना भी कमाल का है. रो रो कर बेहाल है यह तो. जरा संभालिए इसे अब तो.
बाद मुद्दत के मिले वो ,चेहरा वही मिला होठों पे मगर उसके वो सुर्खियाँ न थीं पहचान तो लिया था मुझे मुह फेरने से पहले आँखों में मगर उसके वो शोखियाँ न थी http://jeetrohann1.blogspot.com/
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
36 comments:
दर्द भरे दिल के खूबसूरत उद्गार......सुंदर पंक्तियाँ......!!
वाह..वाह..दर्द को इतने सुंदर नए रूप में पहली बार देखा है. जितनी तारीफ की जाए कम है.
दर्द को भी दर्द होने लगा.....its So meaningful
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
यह दर्द भी क्या अजीब है .....बस दर्द है .....!
ऐसा ही लगता अन्ना बबली जी ,, , , लफडा तो अब इन तोतों के साथ ही हो गया . ,हो सकता है इन्हें पौराणिक कपिल मुनि की सचमुच आवाजें ही सुनाई दे रहीं हों ,ऑडियो हेल्युसिनेशन हो रहें हों ,दुचित्ता और दुरंगा तो यह आदमी है ही ,आदमी का आदमी जोगी का जोगी ,जासूस का जासूस ,हद तो यह है कोंग्रेस में तोतों के भी आगे तोते होतें हैं ,कुछ प्राधिकृत तोतें हैं जो गाली गुफार में माहिर हैं .पहले ऐसे तोतों को वैश्या के तोते कहा जाता था ,अब ये हाई कमान के तोते कहातें हैं ,गौरवानित होतें हैं .वेदांगी का तोता मन्त्र जाप करता था .राजनीति का जालसाजी .आपकी ब्लोगिया हाजिरी के लिए आभार ,७५ %तो हमारी भी होंगी "आपके ब्लॉग पर ।
बेहतरीन अशआर है इस बार बबली जी -
दर्द को भी दर्द होने लगा,
दर्द ख़ुद ही मेरे घाव धोने लगा,
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
क्या बात है बबली बहुत अच्छा
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
गहरे उतरते शब्द ...बहुत खूब ।
waha bahut khub
" dard ko kafhi khubsurti e bandha hai aapne kagaj par ..gaherai se bhari .."
मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....बहुत सुंदर...
दर्द को भी दर्द. oh,how pathetic.
'dard' par sundar rachana
Kya khoob likhatee ho!
bahut khoob
एक-एक शब्द गहराई लिए है। बधाई
बबली जी,कहाँ छिपा रक्खा है आपने इतने दर्द को.
जितना उंडेलती हो,उतना और बढ़ आता है.
ये दर्द का रोना भी कमाल का है.
रो रो कर बेहाल है यह तो.
जरा संभालिए इसे अब तो.
aap vidas me hokar bhi apni sanskriti nahi bhuli,
you are great indian, nice post
vaah kya baat kahi hai.
I have always maintained that every word you pen is so meaningful.
बहुत ही अच्छा नगमा मज़ा आ गया
सम्राट बुंदेलखंड ब्लॉग
दर्द को भी दर्द होने लगा, और जब दर्द खुद ही रोने लगे तो दर्द की गहराई साफ़ अभिव्यक्त हो रही है, बहुत ही लाजवाब.
रामराम.
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
उर्मि जी आपने कितनी गहरी बात कितने सौन्दर्य के साथ कह दी है , कोई जवाब नहीं । बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! बहुत बधाई !!
चारों तरफ दर्द ही दर्द बिखरा है
पढ़िये नई कविता : कविता का विषय
ओह, बबली जी, आपके कलम से तो आजकल गजब के भाव निकल रहे हैं ... बहुत ही सुन्दर कविता !
दर्द मुझे छूकर ख़ुद रोने लगा...
वाह वाह... क्या बात है...
सादर बधाई...
Wah..
muhjhe choo kar Dard roone laga..
Kayal ho gye iss line pe!
:)
excellent
dard ki bahut sundar vayakhya ki hai aapne chand shabdon men.babli jee aapki is sundar rachna ke liye meri aur se badhai.
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
दर्द का दरद साफ़ दिख रहा है इस शायरी में!
दर्द को भी दर्द होने लगा,
दर्द ख़ुद ही मेरे घाव धोने लगा,
दर्द के लिए मैं तो रोया नहीं
पर मुझे दर्द छूकर ख़ुद रोने लगा !
इस रचना का सूफ़ियाना रंग लाजवाब है।बहुत खूब ।
आपको एवं आपके परिवार को ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर रचना , सार्थक सृजन , बधाई
बहुत ही सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा......
आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
लाजवाब ... दर्द को भी दर्द होने लगा ..
bahut sunder likha hai urmi ji
saadar,
amita kaundal
क्या बात है...
बाद मुद्दत के मिले वो ,चेहरा वही मिला
होठों पे मगर उसके वो सुर्खियाँ न थीं
पहचान तो लिया था मुझे मुह फेरने से पहले
आँखों में मगर उसके वो शोखियाँ न थी
http://jeetrohann1.blogspot.com/
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