दिल के मेहमाँ मेरे अखलाक का तकाजा नहीं कहता की घर आये को लौटाऊँ वो दुश्मन ही क्यूँ ना हो उसे गले से ना लगाऊँ तुम तो दिल के मेहमाँ हो दिल रोशन जिस से उस शमा को को कैसे भूल जाऊँ? निरंतर हर लम्हा जिया तुम्हारे खातिर तुम्हें भूल कर मौत को गले कैसे लगाऊँ? (अखलाक=सदभावना,सदाचार) 22-09-2011 1541-112-09-11
हम तुमसे दूर कैसे रह पाते, दिल से तुमको कैसे भूल पाते, काश तुम आईने में बसे होते, ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते ! शीशा -ए दिल में है तस्वीरे यार ,जब जरा गर्दन झुकाई देख ली .
बहुत खूब लिखा है... मुझे कुछ लाइने याद आ रही है... किसी की याद का जंगल है भागे जा रहा हूं मै...मेरी किस्मत में तो आवरगी लिख दी है मौला ने... नहीं मै भी तो पढ़ लिख कर के नौकर बन गया होता.... कभी हमारे ब्लाग हल्ला गुल्ला पर दस्तक दे...रजनीश...
वाह, क्या खूब लिखा! बहुत दिनों से गायब था लेकिन सोचा की आज घूमा जाये ब्लॉग की दुनिया मे तो आपके उपवन का ही ख्याल सबसे पहले आया... सारी रचनाएँ अत्यंत प्रभावशाली हैं... सदा की तरह...
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70 comments:
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ,खूबसूरत भाव
प्रेम की पराकाष्ठा इसी को कहते हैं!!
क्या खूब प्रतिबिंब है... प्रेम मे खुद मे उनको देखने की तमन्ना कमाल है...
दिल के मेहमाँ
मेरे अखलाक का
तकाजा नहीं कहता
की घर आये को
लौटाऊँ
वो दुश्मन ही क्यूँ
ना हो
उसे गले से ना
लगाऊँ
तुम तो दिल के
मेहमाँ हो
दिल रोशन जिस से
उस शमा को
को कैसे भूल जाऊँ?
निरंतर हर लम्हा
जिया तुम्हारे खातिर
तुम्हें भूल कर
मौत को गले कैसे
लगाऊँ?
(अखलाक=सदभावना,सदाचार)
22-09-2011
1541-112-09-11
Kya kamal khayal hai!
beautiful
but in reality why would one want to remember someone who has left one in the middle of the road
Bikram's
यही तो प्यार है ..
बेहद सुंदर रचना है ...
बहुत खूब...
विचार अच्छा है. खूबसूरत है.
.बेजोड़ भावाभियक्ति....
वाह!!!!!बहुत बेहतरीन रचना,लाजबाब प्रस्तुति,
NEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
काश तुम आईने में बसे होते !
वाह , बहुत खूब एक्सप्रेशन ।
सराहनीय प्रयास, शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर अभिलाषा !
आभार !
हम तुमसे दूर कैसे रह पाते,
दिल से तुमको कैसे भूल पाते,
काश तुम आईने में बसे होते,
ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते !
शीशा -ए दिल में है तस्वीरे यार ,जब जरा गर्दन झुकाई देख ली .
bahut hi kamal khayal hai...khubsurat panktiyan
Wah wah...
its like ... exchanging names in love..
happy Valentines!
perfect..as love is in the air!
Unique,as always
bahut accha likha aapne.
आईने में देखलो,वोही दिखेंगे !
सुंदर पंक्तियाँ .....प्रेम की पराकाष्ठा
सुभानल्ला. काश ऐसा हो सकता.
Beautiful words.
bahut khoob
प्रेम की पराकाष्ठा......
khubshurat bhav kee acchee rchnaa...
चार पंक्तियों का सुंदर पुष्प गुच्छ.
आईना तो सबसे अच्छा मित्र होता है।
सुंदर रचना।
बहुत बढ़िया, वाह !!!!!
सुंदर पंक्तियाँ !
मेरे चेहरे की रौनक बता देती है मुझे
तेरा एहसास मेरी जिन्दगी बन गया है
आईना शर्माता है अब मेरे अक्स से
तेरा होना न जाने क्या जादू कर गया
बेहतरीन सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति,
MY NEW POST ...कामयाबी...
bahut khoob.....keep it up...best wishes
check this http://drivingwithpen.blogspot.in/2012/02/another-award.html
an award for you
बहुत खूब्सूरत बात कही उर्मि जी
बहुत सुंदर मर्मस्पर्शी कविता....
हार्दिक बधाई..
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
bahut khoob
सुन्दर..बहुत बहुत बधाई...होली की शुभकामनाएं....
bahut sundar,badhai.
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें
नीरज
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें
नीरज
sunder bhav
rachana
wah wah :)bahut khoob
welcome to माँ मुझे मत मार
सुंदर पंक्तियाँ। गागर में सागर!
बहुत खूब लिखा है... मुझे कुछ लाइने याद आ रही है... किसी की याद का जंगल है भागे जा रहा हूं मै...मेरी किस्मत में तो आवरगी लिख दी है मौला ने... नहीं मै भी तो पढ़ लिख कर के नौकर बन गया होता.... कभी हमारे ब्लाग हल्ला गुल्ला पर दस्तक दे...रजनीश...
bahut lamba maun brat ho gaya...ab phir char char laaino wali chaukon kee paari khelne aa jaayeiye
bahut lamba maun brat ho gaya...ab phir char char laaino wali chaukon kee paari khelne aa jaayeiye
ऊर्मी जी ..बहुत सुन्दर प्यारी रचना ....काश कोई दिल में भी झाँक कर देख पाता प्यार के सतरंगी रंग .... जय श्री राधे
भ्रमर ५
very first time through a link I landed on your blog.I realy liked it but you have not posted since long ?
प्रेम के अहसास की सनातन अनुभूति. सुंदर भाव.
how r you doing, no updates since so many months.....
खूबसूरत भाव, कितनी सरलता से कह दी...
सुंदर भाव सुंदर प्रस्तुति.
Babli ji! bahut din se nayee post nahi likhi aapne..
Wah !
Wah........
बहुत ही प्यारी कविता। हार्दिक बधाई।
ईद की दिली मुबारकबाद।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
kafi dino bad aaj blog ki duniya me wapas lauta aap ki yad aap ki kawita ki taraf kheech layi ...hamesha ki tarah adhbhut prastooti...
वाह, क्या खूब लिखा!
बहुत दिनों से गायब था लेकिन सोचा की आज घूमा जाये ब्लॉग की दुनिया मे तो आपके उपवन का ही ख्याल सबसे पहले आया...
सारी रचनाएँ अत्यंत प्रभावशाली हैं... सदा की तरह...
उर्मी जी,आपकी बहुत याद आती है.
आप बहुत बीजी हैं,यह भी तो मजबूरी है.
आपके ब्लॉग के आईने में आपको
देख कर ही खुश हो लेते हैं,बस.
आप सदा स्वस्थ और खुश रहें
यही दुआ और शुभकामनाएँ हैं.
I was suggested this web site by way of my cousin. I'm now not positive whether this publish is written by him as nobody else recognise such distinctive about my problem.You are wonderful! Thanks!
great post using real-world examples. Keep it up!
उर्मि जी
नमस्कार !
आशा है सपरिवार स्वस्थ सानंद हैं
नई पोस्ट बदले हुए बहुत समय हो गया है …
आपकी प्रतीक्षा है सारे हिंदी ब्लॉगजगत को …
:)
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
wahh...kya baat hai ....
चाहत के फासले ,युहीँ नही मिटा करते है "अधीर"..
खुद को तबाह कर लो,तो भी कसर रह ही जाती है।
http://ehsaasmere.blogspot.in/
bahoot khoob
बेहद सुन्दर, भाव दिल को छु गए !
वाह...सुंदर क्षणिका :)
আপনি হঠাৎ করে আর ব্লগ লিখছেন না কেন? আপনার ব্লগতো বেশ জনপ্রিয় ছিল!
nice bahoot achha
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