क्या सोचा था और क्या हो गया,
जिसे चाहा था वही अन्जान हो गया,
उमर भर साथ निभाने का वादा किया,
पर एक पल में ही सब टूटकर बिखर गया,
मंजिलें तो मिली बहुत सी, पर उनका निशान खो गया !
जिसे चाहा था वही अन्जान हो गया,
उमर भर साथ निभाने का वादा किया,
पर एक पल में ही सब टूटकर बिखर गया,
मंजिलें तो मिली बहुत सी, पर उनका निशान खो गया !
32 comments:
अद्भुत रचना बबली.......और चित्र तो एकदम mind-blowing है!!!!
सोचा कभी पुरा हो जाये ?? तो बात ही क्या है.
बहुत ही सुंदर लेकिन गहरे भाव लिये है आप की कविता.
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
मंजिलें तो मिली बहुत सी, पर उनका निशान खो गया !
बेहद सुन्दर भाव है...!
बहुत गहरी बात कह दी आज तो. शुभकामनाएं.
रामराम.
मंजिल तो मिली पर निशान --- बहुत खूब चित्र लाज़वाब
जिसे चाहा था वही अन्जान हो गया,
kyabat khi hai?bhut khoob.
isi bat par ak sher
dosto ye jmana kya ho gya
jise chaha vhi bevfa ho gya .
shobhana
sunder abhivyakti.
अगर यह आपने बनाया चित्र है तो वाकई लाज़वाब है.
शेर हर बार की तरह उम्दा.
...मंजिलें तो मिली बहुत सी, पर उनका निशान खो गया !"
यादे गर बनी हुई है तो वे भी एकतरह से निशानी का काम करती है../
bahut hi achhi rachana hai babli ji.........
aage bhi aap esi hi umda
rachnayen padati rahen....
आपने उन लोगो को राह दिखने का काम किया है,जो लोग अपने लक्ष्य से भटक जाते है ,और अपने जीवन में कोई काम नही कर पाते । लकिन यह भी सत्य है की हर सोच पूरी नही होती ....अगर पूरी हो जाए तो बात ही क्या । अच्छी लगी आप की यह रचना ......
सुन्दर...अतिसुन्दर...
पंक्तियाँ क्या चित्र भी लुभावन हैं हमेशा की तरह...
उमर भर साथ निभाने का वादा किया,
पर एक पल में ही सब टूटकर बिखर गया,
मन्ना डे का गाना खूब जमेगा यहाँ "कश्मे वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या!!!
bahut umda urmi ji.....likhte rahiye
लाजवाब चित्र के साथ दिल को छूते शब्द............ क्या से क्या हो गया......बहुत खूब
उमर भर साथ निभाने का वादा किया,
पर एक पल में ही सब टूटकर बिखर गया,
.....बहुत ही सुन्दर रचना .काफी दिनों बाद आना हुआ मुआफी चाहता हूँ दरअसल ब्लॉग से कटा हुआ था ....आपकी रचनाओं को बहुत पसंद करता हूँ
मंजिलें तो मिली बहुत सी,
पर उनका निशान खो गया !
बबली जी ,
बहुत ऊंची बात लिख दी आपने.
हेमंत कुमार
आज रिश्ते निभना बहुत ही कटिन है,
रिश्तो का भाव मन की गहरायी तक उतर गया
मंजिलें तो मिली बहुत सी, पर उनका निशान खो गया
क्या बात है ,लाजबाब ,बहुत खूब
guruvaani ke anusaar sochne se kuch nahi hotaa.iske alaawaa kahaa bhee gayaa hai ki maangne se jo mout mil jaatee to kaun jeetaa is jamaane mai.
jalli kalam se
jhalli gallan
angrezivichar
निशान तो खोते ही रहे हैं, किस्मत से निशान मिल जाये तो लोग उसे मंदिर का नाम भी तो दे देते हैं. वैसे भी मंदिर बहुत से हैं और कितने .....................शायद इसी लिए ही तो ...............
चन्द्र मोहन गुप्त
manjile to mili bahut par uasaka nishan kho gaya.......dil ko chhoo gayi .........sundar
painting acchi hain !! bahut acchi !!!
however, no comments bout poem !!
आपकी अद्भुत सृजनशीलता का कायल हूँ....वाकई आपकी रचना तमाम रंग बिखेरती है...साधुवाद.***
"यदुकुल" पर आपका स्वागत है....
किसी के न मिलने का दर्द बयां करती है आपकी रचना मुझे बहुत पसंद आई..
badiya hai sher-o-shayri aapki. aur oopar se sundar chitra char-chaand laga rahe hain. :)
चाहना / पाना / खोना / पाना / बिछुडना और फिर मिलन की आस पालना ही जीवन का चक्र है। पूरा चक्र समेटे हुये है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
so much of depth in it. lovely. :)
hamesha ki tarhaan dil ko chute ehsaas...
aur ye sundar shabd bahut hi accha likha hai........
पर एक पल में ही सब टूटकर बिखर गया,
मंजिलें तो मिली बहुत सी, पर उनका निशान खो गया !
bahut sundar bhav
bahut khoob .............
बहुत सुंदर लिखा है बबली जी,,
और चित्र तो कमाल का है,,
मंजिले अपनी जगह है रस्ते अपनी जगह
.......
bahutpyari rachna hai
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