लहर आती है, किनारे से पलट जाती है,
याद आती है, दिल में सिमट जाती है,
दोनों में फरक सिर्फ़ इतना है,
लहर बेवक्त आती है और याद हर वक्त आती है!
याद आती है, दिल में सिमट जाती है,
दोनों में फरक सिर्फ़ इतना है,
लहर बेवक्त आती है और याद हर वक्त आती है!
Posted by Urmi at 10:23 PM
7 comments:
अच्छी पंक्तियाँ हैं .इनका विस्तार जरूर करियेगा.
नवनीत नीरव
aapkee shayaree ko padhkar AGAM KUMAR NIGAM (father of Sonu Nigam) kaa geet yaad aa gyaa...mere khayal se aisaa na ho! yahee competition hai aaj kii!
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achchaa likhaa hai aapne. keep it up.
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mere blog par aakee krapyaa mujhe bhi maargdarshit karen!
sundar...
please visit
paraavaani.blogspot.com
There is scope for extension which is imminent as evident from your efforts.
आज इस कदर हेरान हुआ हूँ यहाँ आकर
जेसे खुश होते है बुडे मोत पाकर
जब यहाँ आना ही छोड़ दिया था हमने
तुम भी रोए थे कही तनहा जाकर..बेदिल.
यादों के समुन्दर हें, यादें क्या हैं--
यादें क्या हैं
मन की लाइब्रेरी मैं रखे हुए ,
पुस्तकें, पत्र्कायें,सन्दर्भ ग्रन्थ या सी.डी.,
जिन्हें हम जब चाहें निकाल कर
या माउस क्लिक करके,
देख लेते हैं, ऒर जी लेते हैं,
उन भूले बिसरे छ्णों को ।
mere blog-the world pf my thoughts par aapkaa swaagat hai.
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