dil ko lubhane ke liye dard ki bhi zarurat haimasallah! apki shayeri ap se bhi khubsurat hai
चकोर !तू क्यों निहारता है,चांद की ओर,वह अप्राप्य है ,दूर है;-फ़िर भी -क्यों साधे है ,मन की डोर?प्रीति में है बदी गहराई ,प्रियतम की आस जब ,मन में समाई ;दूर हो या पास ,मन लेता है अन्गडाई ।मिलकर तो सभी प्यार कर लेते हैं,जो दूर से रूप रस पीते हैं,वही तो अमर प्रेम जीते हैं।
Post a Comment
2 comments:
dil ko lubhane ke liye
dard ki bhi zarurat hai
masallah! apki shayeri
ap se bhi khubsurat hai
चकोर !
तू क्यों निहारता है,चांद की ओर,
वह अप्राप्य है ,दूर है;-फ़िर भी -
क्यों साधे है ,मन की डोर?
प्रीति में है बदी गहराई ,
प्रियतम की आस जब ,
मन में समाई ;
दूर हो या पास ,
मन लेता है अन्गडाई ।
मिलकर तो सभी प्यार कर लेते हैं,
जो दूर से रूप रस पीते हैं,
वही तो अमर प्रेम जीते हैं।
Post a Comment