सिर्फ़ चाहने से कोई बात नहीं होती,
सूरज के सामने कभी रात नहीं होती,
हम चाहते हैं जिन्हें जान से भी जादा,
वो सामने है पर बात भी नहीं होती!
सूरज के सामने कभी रात नहीं होती,
हम चाहते हैं जिन्हें जान से भी जादा,
वो सामने है पर बात भी नहीं होती!
Posted by Urmi at 1:42 AM
5 comments:
come on friend,
just talk to him.
just talk.
we can recall remembrance
but not men.
once they go, it's over.
just spent with him.
thanks for the poem.
khub sundor kobita....sanjoy
wow wondderful
briliant shayari Urmi, hum fida huye apke andaaze bayan pe...beautiful, I look forward to your shayari everyday..keep going!!!
फिर एक शानदार शेर के लिए बधाई।
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