कितनी जल्दी मुलाक़ात गुज़र जाती है,
प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !
प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !
15 comments:
रचना तो बहुत उम्दा है...पर ये तस्वीर कुछ मैच नहीं हुई रचना के साथ.
great poetry Urmi..very very nice!!
चित्र अपनी कहानी कहते हैं
शायरी में अलग रवानी बहती है।
प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !
बेहतरीन शेर।
मुबारकवाद।
प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !..
अच्छी लाइनें हैं .
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !
....वाह वाह वाह ..काया कहने इस शायरी के
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
नींद आती नहीं और रात गुज़र जाती है !
....वाह वाह वाह ..काया कहने इस शायरी के
aur tasweer se kaise match hogi ji,,,,,,,,??????????
लाख हमने कहा तुम न समझे ,
इशारे हमारे भी तुम न समझे।
अब न कभी आवाज़ देंगे -
जो अब न समझे ,खुदा तुम से समझे।
जवानी हुश्न शानो-शौक ने एसा गज़ब ढाया,
जहां की नज़रें झुक जायें,कहीं चर्चा नहीं होता।
सखि री ! तेरी कटि छीन
पयोधर भार भला धरती हो कैसे?
very nice blog.....
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thank you..
"प्यास बुझती नहीं और बरसात गुज़र जाती है,"
बबली जी,
क्या बात है.. एक ही पंक्ति में पूरा सागर समा गया..
चित्र के बारे में भी कुछ टिप्पणियाँ है, पर मुझे तो कलाकृति के तौर पर सुन्दर लगा..
~जयंत
यह कलाकृति इससे पहले
फिल्म टाइटेनिक में देखी थी!
कलाकृति तो सुंदर है ही,
पर सैयद अकबर की बात भी
ग़लत नहीं है!
gagar mein sagar..
kya ye kalakritti or panktiyan aapki hai?
both r speechlees
देखिये चित्र बहुत बढिया है लेकिन ये सन्केत देता है कि नायिका अभी हाल हुए प्रणय मिलन के बाद भी प्यासी रह गई है.
आपकी यादों से कहदो इस तरह आया न करे,
याद करते समय नायिका को कला के लिये ही सही नग्न नही होना चाहिये था.
कविता अच्छी है. विचार अच्छे है़ कहने का अन्दाज़ बहुत अच्छा है
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