तुम्हारी एक मुलाक़ात ने दिल को छू लिया,
बिना कुछ जाने ही दिल तुम्हें दे दिया,
नही मालूम, क्या था उस मुलाक़ात में,
जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !
बिना कुछ जाने ही दिल तुम्हें दे दिया,
नही मालूम, क्या था उस मुलाक़ात में,
जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !
31 comments:
Aaj didar, kal yaar, parson pyaar,
phir ekrar, phir intezar, phir takrar,
phir darar, sari mehnat bekar,
aur aakhir mein ek aur devdas at beer bar.
A poem with aesthetic beauty !
khoobsoorat,,,,,,,
kamaal,,,,,,,,
laajwaab,,,
kyaa halkaa saa waash kiyaa hai,,,
majaa aa gayaa,,,,,,,,,
माननीय बबली जी
सादर अभिवादन
मैंने आपके ब्लाग की रचनाएं पढ़ी। मन को छू लेने वाली इन रचनाओं के लिए आभार। मैं एक त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका का संपादक हूं। आप चाहे तो इन रचनाओं को प्रकाशन के लिए अवश्य भेंजे।
अखिलेश शुक्ल
संपादक कथा चक्र
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kyaa baath he yaar.. interesting :) u have a heart full of love, very evident from ur shayari :)
Ye pyari nigahein yaad rahengi, milkar na milne ki ada yaad rahegi, mumkin nahi ki main tumhe bhula dun, aur umar bhar tumhe bhi meri yaad rahegi
sapnon me bula liya! kya bat hai, vaah!
teri duniya me kitni aur duniya,
jo badi mushkil.
kisi se ladke ham nikle,
kisi pe lut ke mar jaaen.
बबली जी, आपके कतात का जवाब नहीं।
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सावधान हो जाइये
कार्ल फ्रेडरिक गॉस
तुम्हारी एक मुलाक़ात ने दिल को छू लिया,
बिना कुछ जाने ही दिल तुम्हें दे दिया,
nice once again....
ho sakta hai prem me yah bhi ho..
मेरी कामना है । सूरज की तपती धुप तुझ पर कभी न पड़े ।
तुम कही भी रहो । तुम्हारी जिंदगी चलती ही रहे ।
मै तो कुछ भी नही । मेरा साया भी तुझ पर न पड़े ।
band palko mein
itna bar khwab hai
mere chahre ka noor
aur baho mein chand hai....
babli bahut pyara likha hai..
lajawab
तुम्हारी एक मुलाक़ात ने दिल को छू लिया,
बिना कुछ जाने ही दिल तुम्हें दे दिया,
नही मालूम, क्या था उस मुलाक़ात में,
जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !
prem ki abhivyakti hameshaa ki tarah......good
तुम्हारी एक मुलाक़ात ने दिल को छू लिया,
अच्छा है अगर आगे यह जोड़े तो कैसा रहेगा-श्याम
तुम्ही हो न वो जिसके लिये मैं शाम-सुबू जिया
muhabbat kee jo anokhee daastaan aapkee panktiyon mein mehsoos kartaa hoon doosree kisi mein nahin ye shiddat yun hee banee rahe aur kalam yun hee chaltee rahe.....ise dua ke saath
हमेशा की तरह लाजवाब...
बहुत अच्छे ....बहुत ही शानदार !!!!!!!!!!
लाजवाब!!!
ishq ki agni din mai hi sulagtee hai magar raat mai, vishesh kar sapno mai, sholaa ban kar bharaktee hai.so saavdhaan.
great Urmi!!Keep going!!
इक मुलाकात में ही शेर गढ़ लिया।
आँखों में अक्स देख कर ही प्यार पढ़ लिया।
bahus khubsurat kavita hai
क्या गजब का ब्लॉग है आपका, सच में सत्रह अट्ठारह की उम्र याद आ गयी, तब ये साधन नही हुआ करते थे. आप बहुत उर्जावान हैं और मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप हमेशा इतनी ही युवा बनी रहें.
आपकी कुछ रचनाएँ पढ़ी है बेहद सुन्दर , लाजवाब , क़यामत और क्या कहूं ... हमेशा लिखती रहिये.
'जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !'
-सुन्दर |
bhut sundar rchna.
bdhai
दिल की बात अपने कितने साफ अल्फाजों में की है ,इसको मै बयाँ नहीं कर सकता। मेरे ब्लॉग को पढने का शुक्रिया ...........मेरे फलोव्र बने और भी अच्छी पोस्ट पढ़ाने का वादा करता हूँ ।
babli ji aapne bahut achcha likha hai . bas aise hi likhte rahiye......
superb :)
wah kya kavita hai!
नही मालूम, क्या था उस मुलाक़ात में,
जो अगर न मिले तुम, तो तुम्हे सपनों में बुला लिया !.........
सपनों का यथार्थ .बहुत खूब .
बेहद सुन्दर , लाजवाब , ... हमेशा लिखती रहिये.
बहुत खुबसूरत रचना है!
इक मुलाकात में दिल इस तरह छुआ तुमने
फिर तो जीते रहे हर सुबहो शाम तेरे लिए .
ये तो मालूम नहीं क्या था उस मिलन में सनम
येभी मालूम नहीं बिछडे इस जनम के के लिए
जाओ मत आओ , मिलो ना मिलो , ना तद्पेंगे
कैसे आओगे नहीं रात , हर सपन के लिए
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