काश ऐसा हो के तुमको तुमसे चुरा लूँ,
वक्त को रोककर वक्त से एक दिन चुरा लूँ,
तुम पास हो तो इस रात से एक रात चुरा लूँ,
तुम साथ हो तो ये जहाँ चुरा लूँ !
वक्त को रोककर वक्त से एक दिन चुरा लूँ,
तुम पास हो तो इस रात से एक रात चुरा लूँ,
तुम साथ हो तो ये जहाँ चुरा लूँ !
6 comments:
hmmmm!!!tum saath ho to sapna nahin haqeeqat chura loon!!!
chura ke dil kisi ka
kyon apne pas rakhte ho.
shishe ki tarah tut janewale
kyon ehsaas rakhte ho.
aji bul-bula si hoti
ishq-vishq ki baaten,
kyon kori baton pe visvaas rakhte ho.
बहुत अच्छा शेर।
इससे पहलेवाला और भी अच्छा था।
काश ऐसा हो के तुमको तुमसे चुरा लूँ,
वक्त को रोककर वक्त से एक दिन चुरा लूँ,
तुम पास हो तो इस रात से एक रात चुरा लूँ,
तुम साथ हो तो ये जहाँ चुरा लूँ !
इस सुन्दर भावव्यक्ति में "चुराने" का ही ख्याल क्यों आया, इन शेर में यही एक बात खली.
* जहाँ भावनाओं का इज़हार हो वहां इमानदारी मायने रखती है,
* प्यार दिलेरी मांगती है,
* प्यार देना जानता है...........
आशा है, आप भविष्य में आप इस बात का ख्याल रखेंगीं और इससे भी सुन्दर और मोहक शेर हम सब के सामने लायेंगी.
शुभकामनाओं के साथ अगले शेर की प्रतीक्षा में ............
चन्द्र मोहन गुप्त
मेरे ब्लॉग की तारीफ के लिए शुक्रिया...
आप तो बहुत अच्छा लिखती हैं...
पढ़कर बहुत अच्छा लगा...
यूँ लिखा है सब जैसे गागर में सागर...
चंद लफ्जों में ढेर सी बातें
मीत
ये प्यार की ही ताकत है जो इंसान को कुछ भी करने का हौसला देती है" चुराना " शब्द यहाँ रूमानियत से भरा है मै आदरणीय चंदर मोहन गुप्त जी से यहाँ सहमत नहीं हूँ की चुराने का ख्याल बुरा है,चुराना यहाँ पर लिखने वाले की उस भावना को व्यक्त करता है जब दिल किसी प्यारी चीज का इंतज़ार नहीं करना चाहता .....चाहे चुराना ही क्यूँ न पड़े .....ओर तो ओर हमने तो यहाँ तक भी सुना है...हम को हमी से चुरा लों ..बात तो पाने की है ओर भावना को समझाने की है
शायरा को हार्दिक अभिनन्दन उम्दा ओर रूमानी लेखन के लिए
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