तुम मुझे कभी दिल कभी आंखों से पुकारो,
ये शिकवे शिकायत ज़माने के लिए छोडो,
हम तेरी यादों में हैं कब से, कहीं दूर तुमसे,
बस मुझको अपनी पलकों में बसा लिया करो,
ख़ुद में मुझको पा लिया करो !
ये शिकवे शिकायत ज़माने के लिए छोडो,
हम तेरी यादों में हैं कब से, कहीं दूर तुमसे,
बस मुझको अपनी पलकों में बसा लिया करो,
ख़ुद में मुझको पा लिया करो !
29 comments:
main aa jaungi pass tere
dilseto pukaro
palkon men karo band kabhi
sapnon men utaro
saja na do in hothon ko
ye komal aur kaam ke hain
bas raat mere sang apni ek
sapnon men gujaro
babli aap aisa likhti hain , main bhi kuchh likhne ko mazboor ho jaata hun.
Babli tum jo bhi chitr lagaati ho na, lajawaab hotey hain........aur shaayari ke baare mein to bataane ki zaroorat hi nahin hai, jitni bhi taarif karoon kum pad jayeegi!!!
आपमें भाव प्रवणता है, शिल्प को संवार सकें तो रचनाएँ बेहतर हो सकेंगी. साहित्यशिल्पी@जीमेल.कॉम पर 'काव्य का रचना शास्त्र' लेख माला पढिये.
Also see divyanarmada.blogspot.com
nice one....
the first two lines are really wonderful...the picture so apt. Again a great post Urmi!!
हम यादों में बसे हैं कबसे कहाँ दूर तुमसे
शिकवे शिकायत ज़माने केलिए छोडो
जब भी याद आये पलक बंद कर लो
मिलने के तकल्लुफ जमाने के लिए छोडो
पाखी
bahut achha likha hai aapne
swapn ji se sahmat hoon ki kuchh
likhne ka man karta ...
Aapki muskan hamari kamjori hai,
Keh na pana hamari majburi hai,
Aap kyon nahin samajhte is khamoshi ko,
Kya khamoshi ko zuban dena jaruri hai?
Ek din hamare annsoon humse pooch baithe, humey roz -roz kyon bulate ho,
Humne kaha hum yaad to unhe karte hain tum kyon chale aate ho.
apke ghazal ke dhun...to aapki lagi hui tasveer byaan kar deti hai ...bahut khoob..ji
बबली ,
एक सवाल बहुत दिनो से पून्छना चाह रहा था . चित्र जो सजावत मे हैन वो बहुत ही सुन्दर हैन . यदि उन्के बारे मे थोडा अलग से भी परिचय दो, स्रोत ,कलाकार , देश ,समय काल , किस कला मूल स्कूल का प्रतिनिधित्व वगैरह तो प्रस्तुति मे चार चान्द लग जायें .
भाव , मन , प्रणय, विरह ,गीत ,ह्रिदय व्याकुलता ,
और चित्त चोर चित्र रन्ग कथा मे भरते,
तुम हो कहते तो साथ साथ तुम्हारे कहते ......
सब तेरे दर पे हैं श्रिन्गार किये से बैठे ..
सब के सब एक सुनाते हुये कुछ आकुलता .
कौन राही या बटोही यहां ना आयेगा .
कौन इस ब्लोग पे फ़िर फ़िर से नहीं आयेगा !
सुन्दर .
sach?
वाह.क्या बात है..आँखों तो पलकों से मिला कर मेरा चेहरा देखा करो...........आपकी हर रचना के साथ लगा चित्र..........उस रचना को ही बोलता हवा प्रतीत होता है..........लाजवाब दोनों ही
Gaagar men saagar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
chitra achha he/
zamane ke liye hi t5o sab chood diy hai ....achhi post ke liye badhayi
babliji aankho ki bhasha se badi bhasha kaun si ho saktihai jo dil keh nahin sakta zuban bol nahin sakti kalam likh nahin sakti vo aankhen keh deti hain achhe bhav hain
agar in laino ko yoon likh den to kese rahe
tum mujhe kabhi dil kabhee aankhon se pukaaro
ye shikve shikaayat chhodo jamane ke liye
teri yaadon me hain kab se kahin door tum se
na yoon kar ke hamse vaayde apne todo
vayde todo
bas mujh ko apni palkon me basaa liya karo
khud me mujh ko paa liya karo
maf karna mai koi badi lekhika to nahi magar fir bhi is rachna ko sudharne ki dhrisht ta kar rahi hoon abhar
चलो बबली निर्मला कपिला की तरह मुझे भी माफ़ कर देना .मैं भी थोडा ट्रायी करता हूं ! कोशिश करुंगा कि भाव तथा शैली प्रवाह बना रहे .:)
कभी दिल से कभी नज़रों से पुकारो हमको
छोड दो शिकवे शिकायत ये ज़माने के लिये .
तेरी यादों मे हैं , हैं दूर कहां कब तुझसे
अपनी पलकों मे बसा लो , मेरी यादों के लिये .
जब भी चाहो जहां दीदार मेरे कर लेना
हम भी ज़िन्दा हैं तो बस , तुझको दुवाओं के लिये .
ठीक ना लगे तो डिलीट कर देना ,मैं बुरा नहीं मानूंगा . ओके !
माफ़ करना बबली आखिरी का ऐसे पढो .
जब भी चाहो जहां दीदार मेरे कर लेना
खुद मे पा जाओगे, हमको भी दुआओं के लिये .
तुम मुझे
कभी दिल
कभी आंखों से
पुकारो,
ये शिकवे शिकायत
ज़माने के लिए
छोडो,
हम तेरी
यादों में हैं
कब से,
कहीं दूर
तुमसे,
बस
मुझको अपनी
पलकों में
बसा लिया करो,
ख़ुद में
मुझको
पा लिया करो !
तुम मुझे कभी दिल कभी आंखों से पुकारो,
ये शिकवे शिकायत ज़माने के लिए छोडो,
वैसे ऐसी ही कुछ लाईनें ग़ालिब ने भी लिखी हैं
तुम मुझे कभी दिल कभी आंखों से पुकारो ग़ा्लिब
ये तकल्लुफ तो ज़माने के लिये है
--मिरज़ा ग़ालिब
हम तुम चाहे मिल्पायं नहीं,
जीवन में न तेरा साथ रहे।
में यादों का मधुमास बनूं ,
जो प्रतिपल तेरे साथ रहे।
aapki rachnaon ke saath jo paintings lagayee hain aapne voh kiskee banayee hui hain. Aapkee bhavnaaon se mel khatee huin... kahi aapkee hee to nahin. Agar aisa hai to badhai nahi to umda chayan ke liye badhai.
... Phir baat karenge
babli ji ,
itne kam shabdo me aapne itni gahri baat kah di hai .. mera salaam hai aapki lekhni ko .. wwah kya khoob likha hai .aapne .
aapko meri dil se badhai ..
meri nayi kavita padhkar apna pyar aur aashirwad deve...to khushi hongi....
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रयोग रहा...एक सुन्दर और भावपूर्ण कविता बन गई है.
आप ने पिछली पोस्ट में पूछा था उसको देख नहीं पाया इसलिए जवाब में देरी हुई..
इसी तरह से लिखते रहें...
पाखी
bahut sundar shayari hai aapka shukria hame padvane ke liye....
feel like ur every word is dipped in luv!! how do u maitain these deep levels of romance?? luvly!!
koi jabaab nahi . aapne to dil ko gahrai se kshu liya. dhanyabaad
कम शब्दों में गहरी बात। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
waah..mare pass to iske sivaye kuch nahi reh gya kyon ki aapko bahut acche commet to mil chuke hai.ab to cmment dene ke liye bhi aapke blog par jaldi aana hoga.
तुम मुझे कभी दिल कभी आंखों से पुकारो,
ये शिकवे शिकायत ज़माने के लिए छोडो,
हम तेरी यादों में हैं कब से, कहीं दूर तुमसे,
बस मुझको अपनी पलकों में बसा लिया करो,
ख़ुद में मुझको पा लिया करो !
superb very nice shayari
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