Monday, May 18, 2009

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो,
साया सा कोई लहराए तो लगता है कि तुम हो,
हवा का झोंका आए तो लगता है कि तुम हो,
समंदर की लहरों की गूंज से लगता है कि तुम हो,
रात के अंधेरे की खनखनाहट से लगता है कि तुम हो,
बादल की गरगराहट से ऐसा लगता है कि तुम हो,
ओस की बूंदों में तुम्हारा ही प्यार झिलमिलाता है,
अब इन आंखों में बस तुम्हारा ही चेहरा झलकता है !

31 comments:

anilbigopur said...

Ye pyari nigahein yaad rahengi, milkar na milne ki ada yaad rahegi, mumkin nahi ki main tumhe bhula dun, aur umar bhar tumhe bhi meri yaad rahegi.

anilbigopur said...

Tum mujhe kabhi dil kabhi aakhon se pukaro, Ye hothon ke taqaluf to zamane ke liye hain.

अनुपम अग्रवाल said...

इन ओस की बूँदों का मुद्दत से क्यों इंतज़ार रहता है

बस यूँ समझें,कि हम नहीं कहते,ज़माना कहता है.


आदर सहित

Neeraj Kumar said...

हवा का झरोखा आए तो लगता है कि तुम हो,
समंदर की लहरों की गूंज से लगता है कि तुम हो,

Khoobsurat ehsas hai...andaj-e-bayan bhi achchha hai...

may i ask---JHAROKHA ya JHONKHA!

waise imagination of a Poet should not be doubted...SORRY.

रश्मि प्रभा... said...

लगता है कि तुम हो....बहुत बढिया

RAJNISH PARIHAR said...

किसी की याद में अक्सर ऐसा ही होता है ..हर आहट पर लगता है की वो आ गए................................कौन आया है,कौन आया होगा,शायद मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा..

Science Bloggers Association said...

Ise hi to kahten hain pyar ki inteha.

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Anil Sawan said...

babli, its so beatiful!!! and strikes a chord with ma heart!!! *hugz*

sujata sengupta said...

Urmi, was trying to post a comment since morning but some network problem. Its a a very real feeling you have described, and put it real well. Great work!!

मोहन वशिष्‍ठ said...

उर्मी जी ये आपकी कविता में जो पहली तीन लाईनें हैं ये मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं सुन चुका हूं पहले कभी लेकिन बाद में जो इसमें बढोतरी की है काबिले तारीफ है

Sushant Singh said...

hey .very nc ,hmmmmm great realy great

ARUNA said...

पढ़के मज़ा आ गया बबली.......बहुत सुन्दर प्यार भरी कविता है ये!

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब लिखा है.........अक्सर सपनो में जीने वाली को हर पल, हर लम्हा यही एहसास होता है...........की वो जिसे चाहता है.........वो आस पास ही है...........गज़ब लिखा है

अलीम आज़मी said...

os ki boondon....se....
wakai me aap bahut betareen shaira hai jiske har line me kuch na kuch milta hai jo dil ko chu jaati hai

सैयद | Syed said...

बहुत खूबसूरत अहसास ...

वीनस केसरी said...

बबली जी
मैं नाचीज आपको क्या बता सकता हूँ
आज मैं जो कुछ भी लिख प् रहा हूँ उसके लिए गुरु जी श्री पंकज सुबीर जी का दिल से शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मुझे गजल लिखना सिखाया और इसकी बारीकियों से अवगत कराया

आप इंटनेट पर गजल की क्लास लेते है और तरही मुशायरा भी आयोजित करते है

आपका स्वागत है तरही मुशायरे में भाग लेने के लिए सुबीर जी के ब्लॉग सुबीर संवाद सेवा पर
जहाँ गजल की क्लास चलती है आप वहां जाइए आपको अच्छा लगेगा

इसे पाने के लिए आप इस पते पर क्लिक कर सकती हैं।
आप यहाँ जा कर पुरानी पोस्ट पढिये
आपको जानकारी का खजाना हाँथ लगेगा

वीनस केसरी

मधुकर राजपूत said...

अजब बेखुदी है जी इन लाइनों में। हर तरफ और हर चीज़ में बस वो ही हैं।

Mumukshh Ki Rachanain said...

दिल में जगा प्यार का अहसास "प्यार के प्यासे" को इतना संवेदनशील बना देता है कि उसे

हर बात, हरकत, घटना में आभासित लगता है कि " तुम हो"

सुन्दर भाव-व्यक्ति.

बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त

निर्मला कपिला said...

mera ye comment uske nam jiski ahat ka apko har vakt intzar rehta hai tabhi to ham piari si kavita padh sakte hain badhai

नीरज गोस्वामी said...

हवा का झोंका आए तो लगता है कि तुम हो,
समंदर की लहरों की गूंज से लगता है कि तुम हो,

बहुत खूबसूरत अल्फाज़ और दिलकश अंदाज़ आपके लेखन का बाँध देता है...बहुत खूब...
नीरज

डा श्याम गुप्त said...

जो पवन मेरे तन से लिपट कर बही,
चन्दनी सी महक लेके आती रही।
मैं समझ ही गया ये सुरभि बावरी ,
तेरे तन की छुअन लेके गाती रही॥

अमिताभ श्रीवास्तव said...

vinasji ne aapko us darvaaje kaa rasta dikhayaa he jo gazlo ke liye ishvariya gyaan maarg ki aor khultaa he//
jaroor jaaiye aour shbdo me nikhaar paaiye//

Saiyed Faiz Hasnain said...

इब्तेदाए इश्क है रोता है क्या, आगे आगे देखिये होता है क्या । वाकई शानदार रचना ....बधाई

"MIRACLE" said...

Waah..waah..tum...hi.tum.fir tum hi tum.mae NIRMLA KAPILA ji ke comment se sahmat hun.

प्रकाश पाखी said...

चाँद कहीं उतर आये तो लगता है कि तुम हो

कोई कली खिल जाए तो लगता है कि तुम हो

हम ढेर सी बाते लिए मिल लिए किसी से पर

बात दिल ही में रह जाए तो लगता है कि तुम हो

आपकी गजल के मिसरे पर दो अशआर...
आपकी सुन्दर लेखनी को सादर समर्पित.

पाखी

manu said...

ooooooooooooooooooo,,,,,!!!!!!!!!!

kamaal ki painting....
laajwaab oil colours.......
ek dam se lajwaab...........
aapkaa haath hi boltaa hai babli ji,,,,,,,,,,,

you are realy ...
GREAT......!!!!!!!!!!!!!

RAJ SINH said...

हरेक शै है ये कहती कि
बस तुम्हीं तुम हो .
नहीं मालूम और भी क्या है,
मेरा हासिल तो बस तुम्ही तुम हो !

Yogesh Verma Swapn said...

itni sunder panktiyan koi sunaye
to lagta hai ki tum ho.

bahut khoob.

Ganesh Prasad said...

Very nice ! urmi ! amine to aapke sare blog aaj hi pad dale, you are very genious and kind hearted, it's shows your kavita and blogs


with love

manu said...

are baba.......
ye coloures daalne hame bhi to sikhaa do....

madhulika said...

urmi, bahut bahut khubsurat romantic shayrii hai padh ke achha laga....madhulika....