काश आप समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ न हमें रुसवा किया होता,
आपकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता !
तो यूँ न हमें रुसवा किया होता,
आपकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता !
Posted by Urmi at 6:21 PM
16 comments:
गजब किया हुआ है बबली जी,
क्या कहा है ,,और क्या रंग बिखेरे हैं आपने,,,
जबरदस्त बोल्ड स्ट्रोक्स ,,,,,,,,
आपकी बात मन को छू गयी.
babali ji ye samjhne smjhane ki bat ka hi to khel hai agar koi samajh le to itani badi bat kese kahi ja sakti hai achhi abhivyakti hai shubhkamnayen
काश आप समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ न हमें रुसवा किया होता,
आपकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता !
......बबली जी आपकी हर रचना दिल को छूती है!!!!!
babli mein to samajh gayi tumhe achi tarah!!!!
Waaaaaaaaaaaaaah.
ye saari paintings aapki hai??..kamaal ki hai sach much :)
aur fir usko kavitamayee shabd bhi dena...waah
www.pyasasajal.blogspot.com
Very very good Urmi. Perfectly rhyming and makes perfect sense as well.
गज़ब का लिखा है बबली जी...........उनकी बेरुखी भी मंजूर थी.......बेहतरीन ख्याल है
काश आप समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूँ न हमें रुसवा किया होता,
आपकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता !
उर्मी जी क्या लिखते हो यार आप बोलती बंद कर देते हो सभी की शब्द ही खत्म हो जाते हैं आपकी रचना को पढकर बेहतरीन रचना ढेरों बधाईयां
अनुभूति को बहुत ही सरल ढंग से बयां किया है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut hi achhe khyalaat....
aur bahut bahut achhi paintings...
a nice blend.
congrats !!
---MUFLIS---
dil ko chhoo lene wali panktiyaan
tu jahar hee de deti ,
jaam ke naam par...
main mare se pehle...
ik baar to bahak liya hota...
babli jee, is duniyaa mein yun to bahut se log honge jo aise hunar mein maahir honge magar main jin chand logon ko jaantaa hoon aap unmein se ek hain....beech mein anupasthit raha ...ummeed hai mitra samajh kar kshama kar dengee...
likhtee rahein......
मुश्किल है बहुत दिल की कोयी बात जान ले .
इस खेल मे ना जीत है ना मात जान ले .
गर दिल की सुन सके कोयी धडकन समझ सके
ख्वाबों की उसे छोटी सी सौगात जान ले .
झांक लेते तुम जो इन भीगे द्रगों में,
जान जाते पीर मन की प्यार मन का।
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