कैसे कहूँ ये दिल तुझपे फ़िदा है,
पास होकर भी तू मुझसे जुदा है,
बिन तेरे अब एक पल भी न गुज़रे,
इन आँखों से तेरे इश्क का नशा न उतरे!
पास होकर भी तू मुझसे जुदा है,
बिन तेरे अब एक पल भी न गुज़रे,
इन आँखों से तेरे इश्क का नशा न उतरे!
Posted by Urmi at 5:34 PM
25 comments:
वाह...क्या बात है!!आपकी हर रचना मुझे पसंद है
Wah!! Wah!! beautiful lines!!
wah Babli bahut sundar shaayari hai...ekdum pataaka! Aur haan mere pichle comment ka matlab tha ki mein achi tarah samajh gayi hoon ki tum shabdon pe jaadoo karke unhe ek sundar shaayari ka roop de sakti ho!!
यादे कभी भी नही भूली जाती है ...अच्छी लगी आपकी ये शायरी ....
आपके ब्लॉग अच्छे हैं, चित्र संयोजन बहुत खूबसूरत है।
वाह..........प्रेम की सत्य अभिव्यक्ति है .........बहूत ही खूब लिखा है, चित्र तो और भी लाजवाब है
dard hi jiski dawaa hai
woh ishq ISHQ hai ishq.
dil dil pe aa gaya,
hai ye ahsas hi kafee.
jb gairiyat ho, kahen tabhee
sorry ya mafee.
ankon ne ankhon ko diya
chupchap ye paigam.
chal sabse aankh bacha ke
mil piyenge coffee.
बेहद खूबसूरती से अभिव्यक्त किये गये जज्बात. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
sunder abhivyakti.
achha he/
prem ki saral abhivyakti he/
थोड़े शब्दों में गहरी अभिव्यक्ति....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
तू पास भी है तू है भी जुदा
कैसे कह दूं दिल तुझ्पे फ़िदा
पल छिन भी ना गुजरें तेरे बिना
नज़रों मे नशा तेरा इश्क खुदा
aapki shayri liye....ek sher achha lage to blog par comment chahunga....
जिन्दगी की उड़न से बहार , हम हुए आसमान से बहार, वो जिन्दा है देखते है जो, जिन्दगी को जान से बाहर, पूछकर दाम खिलोने के, हम निकल आये दुकान से बाहर !
jai ho mangalmay ho
aapke sher kafi romantic ...aur saadgi se bharpoor bota hai ....jo bhi padhe aapka....fan ho jaaye ....likhte rahiye....
apka
dost
Aleem Azmi
very romantic.....
bahut sundar gajak lagi.. bas aap niyamit lekhan karte rahiye
क्या बात है!लाजवाब.
बेहद खूबसूरत !
wah wah! kya bath hein. aapka tho jawab nahi yar. beautiful!
pic bhi achhi hai,lines bhi...bas ye samajh nai aaya ki in panktiyo pe ye tasveer kaise suit karti hai...ek utsukta hai,anyathaa na le :)
बहुत बढिया बबली जी. ये इश्क है ही ऐसा कि लगाए न लगे और मिटाये न मिटे.
वहां सब ठीक तो है? यहां अच्छी खबरें नहीं आ रही हैं. असल में है क्या?
aapki shayri ka jabab nahi.pyar ke liye sirf itna hi kaha ja sakt hai.
"hum to do bol keh kar hare hai.hum tumhare hai,tum hamare ho.
कैसे कहूँ ये दिल तुझपे फ़िदा है,
पास होकर भी तू मुझसे जुदा है,
बिन तेरे अब एक पल भी न गुज़रे,
इन आँखों से तेरे इश्क का नशा न उतरे!
बहुत खूब उर्मी जी बेहतरीन keep it up
Pak Karamu raeding your blog
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