Sunday, September 13, 2009


कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे,
उसके जाने की उम्मीदें लिए,
रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे,
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरे थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !

45 comments:

Mithilesh dubey said...

लाजवाब , और क्या कहूँ.........

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हादसे कितने ही हम सहते रहे,
भावनाओं में बहुत बहते रहे।
दिन मे तुमको है बसाया ओ सनम!
साँस में भी आप ही रहते रहे।।

बहुत बढ़िया।
हिन्दी-दिवस की शुभकामनाएँ!!

SACCHAI said...

" bahut hi badhiya ,magar babli

" kitane chehare the... " aisa likhana chahiye plz sudhar do line ko ..."

" sach me aise kahyal aapko aate hai kahan se behtarin rachan hai ."

----- eksacchai {AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

http://hindimasti4u.blogspot.com

Khushdeep Sehgal said...

जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सही कहा. चाहत शायद इसीको कहते हैं.

रामराम.

Anonymous said...

jalna shama ki fitrat hai...

डॉ टी एस दराल said...

वाह, बहुत प्यारी पंक्तियाँ हैं. अति सुन्दर.

mehek said...

वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
waah lajawab , ishq mei naise hi hota hai,ek tere siwa jab ajnabi.aaj dil ko chu gayi shayari.

सहज साहित्य said...

आपकी यह कविता भाव-प्रवण है ।चित्र-संयोजन की बारीकी तो कोई आपसे सीखे।
रामेश्वर काम्बोज

vandana gupta said...

khoobsoorat ahsaason ko shabd de diye ..........badhayi

Anonymous said...

ati uttam..
bhav u hi saamne aa rahe hain...

दिगम्बर नासवा said...

कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे ....

लाजवाब और खूबसूरत लिखा है .......umeed bandhaati है ये nazm .........

Saiyed Faiz Hasnain said...

कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे.....is pankti ne to jan leli meri.....sunder post....

Mishra Pankaj said...

बबली जी अच्छी रचना . आभार

राज भाटिय़ा said...

कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे,
बबली जी बहुत सुंदर लिखा आप ने ओर हर दिल की बात लिख...
धन्यवाद

ओम आर्य said...

वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
एक बहुत ही सुन्दर रचना ..........यही तो प्यार मे होता है .......

अजय कुमार झा said...

तुम्हारे फ़ूल भी, कांटे भी,
अपने गुलदस्ते में रखते रहे....

तुम्हारे उन कोरे खतों को भी,
जाने कितनी कितनी बार पढते रहे,

लोग जीते हैं, एक बार मरने को,
हम एक बार जीने को बार बार मरते रहे.....

आपने हमेशा की तरह बांध कर रख दिया...

Mumukshh Ki Rachanain said...

कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !

ये दिल ही है कि न जाने कब किसपे आ जाये और फिर उसी का ही हो के रह जाये...............

बहुत हियो सुन्दर भावों कि प्रस्तुति.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

sandeep sharma said...

bahut khoob...

विनोद कुमार पांडेय said...

Laazwaab...
behatreen gazal ..

BK Chowla, said...

Babli,very nice.I am very impressed with your writing.

abdul hai said...

Nice great going good ads by google

Abhilash said...

Nice song babli and Nice Shayari too...

Dr.Aditya Kumar said...

'प्यार में समर्पण की इंतहा '...बहुत सुन्दर

हेमन्त कुमार said...

यादें ताजा हो गयीं । बेहतरीन ।
जगजीत सिंह जी की गायी गजल है न ।
एक बार ठीक से सुन लीजिएगा ।
प्रस्तुति के लिये आभार ।

Dr. Kiran Dangwal said...

aap dil ko choo lene wale sabdo ko,kaha par sajoo kar rakhti hai, very nice...........keep it up...

sujata sengupta said...

beautiful thoughts woven in beautiful words..loved it, really impressive

Murari Pareek said...

और हम तो आपकी रचना पर बस वाह वाह कहते रहे !!!

अनिल कान्त said...

पंक्तियाँ अच्छी लगीं

मस्तानों का महक़मा said...

बहुत अच्छे...
तुम्हारी हर एक पंक्ति में मुझे अकेलेपन का, लाचार का, उदासी का एहसास होता है।
मेरे लिए इन भावो में लिख पाना शायद मुश्किल हो पर में लिखता रहता हूं किसी काश को अपनी ज़िंदगी से जोड़कर.
तुम्हे पड़कर मुझे बहुत अच्छा लगता है।

best of luck :-)

महेन्द्र मिश्र said...

पढ़कर आनंद आ गया धन्यवाद

Vipin Behari Goyal said...

.बहुत सुंदर भाव दिल को छूने वाली कविता

jamos jhalla said...

dile babli tujhe ye hua kayaa hai?aakhir is marz ki davaa kayaaa hai

Udan Tashtari said...

तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !

-वाह वाह!! क्या आगाज है..क्या बात है!! बहुत खूब!!

Gurinder Singh Kalsi said...

I like your poems. Your choice of paintings is very different. Your blog is enjoyable and full of feelings. Gurinder Singh Kalsi.

Greener Bangalore said...

Hi Babli i jumped here from iyer-n-iyer's post....and just cant stop gazing at your lovely paintings....great work.....keep up the good work.....and yes your profile picture is great too... cya:)

mark rai said...

हादसे कितने ही हम सहते रहे,
भावनाओं में बहुत बहते रहे।
दिन मे तुमको है बसाया ओ सनम!
साँस में भी आप ही रहते रहे।.....
fantastic.......dil ko chhu gaya....

Aparna said...

Very impressive. Keep writing.

पूनम श्रीवास्तव said...

वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
बहुत खूब बब्ली जी----अपके शेरों का कोई जवाब नहीं।
पूनम

प्रकाश पाखी said...

एक चराग बन जले इस तरह
रोशनी दूर तलक बिखर गई
हिस्से आई मेरे गहरी तपन
उनकी राह इस तरह संवर गई

ज्योति सिंह said...

wah kya khoob kaha hai ,dil me utar gaya .

KK Mishra of Manhan said...

क्या लि्खू तमाम बेह्तरीन लोगों के बेह्तरीन कमेंट्स के मध्य मेरी बात अवश्य फ़ीकी पड़ जायेगी

Unseen India Tours said...

BEautiful wordings !!Loved them so true !!Unseen Rajasthan

Kulwant Happy said...

शब्दों में भावनाओं को ऐसे बांधा के हमको भी साथ बंध लिआ।

Unknown said...

रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे,
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
wah
archnaji
bahut hi umda panktiyan hai ye .....hum charagon ki tarah jalte rehe...wah