कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे,
उसके आ जाने की उम्मीदें लिए,
रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे,
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरे थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे,
उसके आ जाने की उम्मीदें लिए,
रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे,
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरे थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
45 comments:
लाजवाब , और क्या कहूँ.........
हादसे कितने ही हम सहते रहे,
भावनाओं में बहुत बहते रहे।
दिन मे तुमको है बसाया ओ सनम!
साँस में भी आप ही रहते रहे।।
बहुत बढ़िया।
हिन्दी-दिवस की शुभकामनाएँ!!
" bahut hi badhiya ,magar babli
" kitane chehare the... " aisa likhana chahiye plz sudhar do line ko ..."
" sach me aise kahyal aapko aate hai kahan se behtarin rachan hai ."
----- eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है...
बहुत सही कहा. चाहत शायद इसीको कहते हैं.
रामराम.
jalna shama ki fitrat hai...
वाह, बहुत प्यारी पंक्तियाँ हैं. अति सुन्दर.
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
waah lajawab , ishq mei naise hi hota hai,ek tere siwa jab ajnabi.aaj dil ko chu gayi shayari.
आपकी यह कविता भाव-प्रवण है ।चित्र-संयोजन की बारीकी तो कोई आपसे सीखे।
रामेश्वर काम्बोज
khoobsoorat ahsaason ko shabd de diye ..........badhayi
ati uttam..
bhav u hi saamne aa rahe hain...
कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे ....
लाजवाब और खूबसूरत लिखा है .......umeed bandhaati है ये nazm .........
कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे.....is pankti ne to jan leli meri.....sunder post....
बबली जी अच्छी रचना . आभार
कैसे कैसे हादसे सहते रहे,
हम यूँ ही जीते रहे हँसते रहे,
बबली जी बहुत सुंदर लिखा आप ने ओर हर दिल की बात लिख...
धन्यवाद
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
एक बहुत ही सुन्दर रचना ..........यही तो प्यार मे होता है .......
तुम्हारे फ़ूल भी, कांटे भी,
अपने गुलदस्ते में रखते रहे....
तुम्हारे उन कोरे खतों को भी,
जाने कितनी कितनी बार पढते रहे,
लोग जीते हैं, एक बार मरने को,
हम एक बार जीने को बार बार मरते रहे.....
आपने हमेशा की तरह बांध कर रख दिया...
कितने चेहरा थे हमारे आस पास,
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
ये दिल ही है कि न जाने कब किसपे आ जाये और फिर उसी का ही हो के रह जाये...............
बहुत हियो सुन्दर भावों कि प्रस्तुति.
बधाई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
bahut khoob...
Laazwaab...
behatreen gazal ..
Babli,very nice.I am very impressed with your writing.
Nice great going good ads by google
Nice song babli and Nice Shayari too...
'प्यार में समर्पण की इंतहा '...बहुत सुन्दर
यादें ताजा हो गयीं । बेहतरीन ।
जगजीत सिंह जी की गायी गजल है न ।
एक बार ठीक से सुन लीजिएगा ।
प्रस्तुति के लिये आभार ।
aap dil ko choo lene wale sabdo ko,kaha par sajoo kar rakhti hai, very nice...........keep it up...
beautiful thoughts woven in beautiful words..loved it, really impressive
और हम तो आपकी रचना पर बस वाह वाह कहते रहे !!!
पंक्तियाँ अच्छी लगीं
बहुत अच्छे...
तुम्हारी हर एक पंक्ति में मुझे अकेलेपन का, लाचार का, उदासी का एहसास होता है।
मेरे लिए इन भावो में लिख पाना शायद मुश्किल हो पर में लिखता रहता हूं किसी काश को अपनी ज़िंदगी से जोड़कर.
तुम्हे पड़कर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
best of luck :-)
पढ़कर आनंद आ गया धन्यवाद
.बहुत सुंदर भाव दिल को छूने वाली कविता
dile babli tujhe ye hua kayaa hai?aakhir is marz ki davaa kayaaa hai
तुम ही तुम मगर दिल में बसते रहे !
-वाह वाह!! क्या आगाज है..क्या बात है!! बहुत खूब!!
I like your poems. Your choice of paintings is very different. Your blog is enjoyable and full of feelings. Gurinder Singh Kalsi.
Hi Babli i jumped here from iyer-n-iyer's post....and just cant stop gazing at your lovely paintings....great work.....keep up the good work.....and yes your profile picture is great too... cya:)
हादसे कितने ही हम सहते रहे,
भावनाओं में बहुत बहते रहे।
दिन मे तुमको है बसाया ओ सनम!
साँस में भी आप ही रहते रहे।.....
fantastic.......dil ko chhu gaya....
Very impressive. Keep writing.
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
बहुत खूब बब्ली जी----अपके शेरों का कोई जवाब नहीं।
पूनम
एक चराग बन जले इस तरह
रोशनी दूर तलक बिखर गई
हिस्से आई मेरे गहरी तपन
उनकी राह इस तरह संवर गई
wah kya khoob kaha hai ,dil me utar gaya .
क्या लि्खू तमाम बेह्तरीन लोगों के बेह्तरीन कमेंट्स के मध्य मेरी बात अवश्य फ़ीकी पड़ जायेगी
BEautiful wordings !!Loved them so true !!Unseen Rajasthan
शब्दों में भावनाओं को ऐसे बांधा के हमको भी साथ बंध लिआ।
रास्ता मुड़ मुड़ के हम तकते रहे,
वक्त तो गुज़रा मगर कुछ इस तरह,
हम चरागों की तरह जलते रहे,
wah
archnaji
bahut hi umda panktiyan hai ye .....hum charagon ki tarah jalte rehe...wah
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