बैठी थी गुमसुम सी मैं नदी के किनारे,
दिल में उमंग और आँखों में सपने लिए,
खो गई उन ख़ूबसूरत वादियों में,
उम्मीद की किरण को साथ दिल में लिए !
दिल में उमंग और आँखों में सपने लिए,
खो गई उन ख़ूबसूरत वादियों में,
उम्मीद की किरण को साथ दिल में लिए !
Posted by Urmi at 9:21 PM
39 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई
यादे उमंगें साथ लिए खो गई वादियो में वाह वाह ..बहुत बढ़िया...
बहुत खूब सुन्दर
सारी दास्तान चित्र भी तो कह रही है
वाह ... सुन्दर रचना
बढ़िया अभिव्यक्ति!!
बबली जी नमस्कार .
क्या खूब लिखा है आपने
Zindagi ek behta bulbulla hai,
Aaj hai kal nahi
अक्सर यादों में इंसान खो जाता है ......... बहूत खूब लिखा है ........
सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई
The words and the picture both compliment each other..good one Babli.
खो गई उन ख़ूबसूरत वादियों में,
उम्मीद की किरण को साथ दिल में लिए !
wah! v beautiful...
इन्तजार के ये लम्हें,
यादगार होते है।
जिन्दगी सँवारने में,
मददगार होते हैं।।
बहुत बढ़िया लिखा है,
बधाई!
bahut badiya ...
उम्मीद की किरण को साथ दिल में लिए
kya baat hai,
simple and sweet lines!
waah.......bahut hi sundar
ek sashakt abhivykti. badhai
waah bahut hi badhiya abhiwyakti.. .......hamesha ki tarah ek shandar bhaw ......
BAHUT SUNDAR WADIYAAN BHI AUR SHER BHI !!
bahut bahut khub...
Picture speaks half the poetry.
excellent!few words can express lots of emotions.Picture is beautiful as always.
सुंदर भाव।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। धन्यवाद
चित्र और रचना में बढ़िया समंजस्य.
बहुत ही खूबसूरत रचना .....खूबसूरत पेंटिंग के साथ...
sundar....
आँखों में सपनों को लेकर दिल में लिए उमंग।
ऐसा ही गर सब सोचे जीवन नया तरंग।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
ख़ूबसूरत, उत्तम चित्रण!
खूबसूरत वादियों में वो कशिश होती है
जो भूला देती है अतीत और भविष्य को
और आनंद देती है शुद्ध वर्तमान का
एक सुंदर रचना
साथ में हमेशा की तरह एक खूबसूरत तस्वीर इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही है ।
bahut sundar rachana.
aap hindi.hindu.hindustan par aayen.
बहुत बढ़िया, बहुत सुन्दर.
किसने लिखा है?
बबली जी !
एक बार गूंजअनुगूंज ब्लॉग भी देख लीजिए ।
http://gunjanugunj.blogspot.com
सादर
मनोज भारती
बहुत अच्छा टाइप किया और बहुत सुन्दर चित्र लगाया। ये किसके लिखे और बनाये हैं?
सुकोमल अभिव्यक्ति !
सन्देश अच्छा लगा...
मुझे भी किसी गीत की ये पंक्तियाँ यद आ गईं " झीलें अतीत की न खयालों में ढूँढिये / बहती नदी के पास रहो शाम के समय " - शरद
babali ji
namaskar
kya kahun , aapki kavita aur aapki banayi hui painting dono hi dil ko choo gaye ..
ummeed ki kiran na khoyiye ..
meri badhi sweekar kare ...
Regards
Vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
Bahut sundar babli ji...
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