Thursday, October 22, 2009


देख रही थी मैं उसे छुपके छुपके,
दिल चुराया उसने मेरा चुपके चुपके,
खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे मिलने का मुझे आज भी है गम !

33 comments:

Murari Pareek said...

बहुत सुन्दर शब्दों का तालमेल है, छुपके छुपके और चुपके चुपके< और तस्वीएर भी लाजवाब !!!बबली जी बधाई हो !!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह....।
इतना बढ़िया शेर।
आज तो प्रातः की ऊर्मियों की
छटा ही अद्भुत हैं।
बधाई!

अजय कुमार said...

subah subah itne achchhe sher padhe,aaj ka din achchha beetega

kishore ghildiyal said...

chota parantu badiya sher

मनोज भारती said...

उम्दा, बेहतरीन शे'र कहा आपने । तस्वीर का चयन हमेशा की तरह सुंदर रहा ।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

wah ! bahut khoob.....

Kavita Saharia said...

What a treat !!! for me too a great way to start my day...thanks Babli.

Mishra Pankaj said...

वाह , बबली जी , एक बात बताइये आप सिर्फ चार लाइन लिखती है और इतनी भारी कविता ,
एक लाइन का वजन कितना है :)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

bahut khoob !

Murari Pareek said...

ji baabli ji aaj kal thoda busy ho gayaa hun ! tippani dene bhi badi mushkil se samay nikaal pataa hun haan taau ke raampyaari ke swaal ka besbri se intejaar rahtaa hai,aaj blog waani par aapki post dekhi to jhat se aa pahunchaa|

BK Chowla, said...

Babliji,AAp ke shar bahut umda hote hai.

डॉ टी एस दराल said...

खामोश से क्यूँ रहने लगे हैं हम,

बढ़िया सवाल.
और एक सुन्दर रचना. बधाई

सदा said...

खामोश से क्यूँ रहने लगे हैं

बहुत ही अच्‍छा लिखा है बधाई ।

रश्मि प्रभा... said...

वाह.......दिलों की मीठी दास्तान

राज भाटिय़ा said...

हम आये ओर आप को टिपण्णी दी चुपके चुपके.
आप की इस चुपके चुपके ने बहुत कुछ याद करवा दिया

Umesh Agarwal said...

ati sundar...keep writing...:)

vandana gupta said...

badhiya likha hai..........badhayi.

SACCHAI said...

" bahut hi badhiya ..dil...aur dil ki gaherai ko aapne jis andaz me prastut kiya hai vo kabile tarif hai "

" badhai "
----eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com

M VERMA said...

बोलती हुई पेंटिंग और
बहुत सुन्दर शायरी

AMBRISH MISRA ( अम्बरीष मिश्रा ) said...

आप ने कहा तो हम ने आप का ब्लॉग भी देखा अच्छा लगा पर अब जयादा नही देखा सकता हूँ कुयोकी मेरा नेट की स्पीड बहुत कम है और .................

आप की कविता अच्छा लगी
मैं तो यही कुंगा की आप पहल देख लो की दिल खोया है या चोरी हुयी है
क्या की कुछ लोग अपना सामान ख़ुद ही खो देते है और इल्जाम दूसरो पर लगाया करते है
की उन्होंने चोरी कर लिया

आप से कहूँगा मैं की आप उनसे कह दो अपने हाल को
की अब वो बताएं क्या करे इस जंजाल को
उलझन में मत रहो गम में मत रहो
गम सुख जाएगा तो किसी कम न आयेगा
और यदि गम जब तक बहता है तब तक हर कोई चिपका तहाता है |

कुछ ग़लत कहाँ तो माफी

ambrish

janta ki aawaz said...

उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
चुपके चुपके,चुपके चुपके,

wah har baar ki taraha nayaab rachna .........

kshama said...

Waah ! Stabdh kar diya aapne!

दिगम्बर नासवा said...

AAPKA CHITR AUR RACHNA JAISE EKROOP HO GAYE HAIN .... KHOOBSOORAT KALPANA HAI ...

रवि धवन said...

जो होता है अच्छे के लिए होता है न. कुल मिला के खुलम खुलम खुल्ला बात ये है की बेहतरीन अल्फाज हैं आपके...

शरद कोकास said...

मुझे हमेशा की तरह तस्वीर और कविता का ताल्मेल पसन्द आया ।

sujata sengupta said...

very simple and sweet!

admin said...

Is khaamoshi kee ada kya hai?
log kahte hai par chupke-chupke milne men maja kya hai?

शोभना चौरे said...

खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !

bahut khoob
kbhi kbhi unse milne par bhi chup se rhne lge hai
abhar

Sumandebray said...

bahut badiya ...
bahut maza aaya
bahut khub!

Akanksha Yadav said...

खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
.....Bahut khub...sundar Picture wa sundar bhav.

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

सुन्दर कल्पना.......

BAD FAITH said...

बेहतरीन शे'र कहा आपने.और भी कह्ते रहिये.

Dr.R.Ramkumar said...

बहुत सुन्दर पेन्टिंग... वही सांस्कुतिक प्रतीक्षा और लज्जा जो भारत को भारत बनाती है, भारतीयता की सुंगध फैलाती है।

बधाई