देख रही थी मैं उसे छुपके छुपके,
दिल चुराया उसने मेरा चुपके चुपके,
खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
दिल चुराया उसने मेरा चुपके चुपके,
खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
Posted by Urmi at 7:09 PM
33 comments:
बहुत सुन्दर शब्दों का तालमेल है, छुपके छुपके और चुपके चुपके< और तस्वीएर भी लाजवाब !!!बबली जी बधाई हो !!
वाह....।
इतना बढ़िया शेर।
आज तो प्रातः की ऊर्मियों की
छटा ही अद्भुत हैं।
बधाई!
subah subah itne achchhe sher padhe,aaj ka din achchha beetega
chota parantu badiya sher
उम्दा, बेहतरीन शे'र कहा आपने । तस्वीर का चयन हमेशा की तरह सुंदर रहा ।
wah ! bahut khoob.....
What a treat !!! for me too a great way to start my day...thanks Babli.
वाह , बबली जी , एक बात बताइये आप सिर्फ चार लाइन लिखती है और इतनी भारी कविता ,
एक लाइन का वजन कितना है :)
bahut khoob !
ji baabli ji aaj kal thoda busy ho gayaa hun ! tippani dene bhi badi mushkil se samay nikaal pataa hun haan taau ke raampyaari ke swaal ka besbri se intejaar rahtaa hai,aaj blog waani par aapki post dekhi to jhat se aa pahunchaa|
Babliji,AAp ke shar bahut umda hote hai.
खामोश से क्यूँ रहने लगे हैं हम,
बढ़िया सवाल.
और एक सुन्दर रचना. बधाई
खामोश से क्यूँ रहने लगे हैं
बहुत ही अच्छा लिखा है बधाई ।
वाह.......दिलों की मीठी दास्तान
हम आये ओर आप को टिपण्णी दी चुपके चुपके.
आप की इस चुपके चुपके ने बहुत कुछ याद करवा दिया
ati sundar...keep writing...:)
badhiya likha hai..........badhayi.
" bahut hi badhiya ..dil...aur dil ki gaherai ko aapne jis andaz me prastut kiya hai vo kabile tarif hai "
" badhai "
----eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
बोलती हुई पेंटिंग और
बहुत सुन्दर शायरी
आप ने कहा तो हम ने आप का ब्लॉग भी देखा अच्छा लगा पर अब जयादा नही देखा सकता हूँ कुयोकी मेरा नेट की स्पीड बहुत कम है और .................
आप की कविता अच्छा लगी
मैं तो यही कुंगा की आप पहल देख लो की दिल खोया है या चोरी हुयी है
क्या की कुछ लोग अपना सामान ख़ुद ही खो देते है और इल्जाम दूसरो पर लगाया करते है
की उन्होंने चोरी कर लिया
आप से कहूँगा मैं की आप उनसे कह दो अपने हाल को
की अब वो बताएं क्या करे इस जंजाल को
उलझन में मत रहो गम में मत रहो
गम सुख जाएगा तो किसी कम न आयेगा
और यदि गम जब तक बहता है तब तक हर कोई चिपका तहाता है |
कुछ ग़लत कहाँ तो माफी
ambrish
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
चुपके चुपके,चुपके चुपके,
wah har baar ki taraha nayaab rachna .........
Waah ! Stabdh kar diya aapne!
AAPKA CHITR AUR RACHNA JAISE EKROOP HO GAYE HAIN .... KHOOBSOORAT KALPANA HAI ...
जो होता है अच्छे के लिए होता है न. कुल मिला के खुलम खुलम खुल्ला बात ये है की बेहतरीन अल्फाज हैं आपके...
मुझे हमेशा की तरह तस्वीर और कविता का ताल्मेल पसन्द आया ।
very simple and sweet!
Is khaamoshi kee ada kya hai?
log kahte hai par chupke-chupke milne men maja kya hai?
खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
bahut khoob
kbhi kbhi unse milne par bhi chup se rhne lge hai
abhar
bahut badiya ...
bahut maza aaya
bahut khub!
खामोश क्यूँ रहने लगे हैं हम,
उनसे न मिलने का मुझे आज भी है गम !
.....Bahut khub...sundar Picture wa sundar bhav.
सुन्दर कल्पना.......
बेहतरीन शे'र कहा आपने.और भी कह्ते रहिये.
बहुत सुन्दर पेन्टिंग... वही सांस्कुतिक प्रतीक्षा और लज्जा जो भारत को भारत बनाती है, भारतीयता की सुंगध फैलाती है।
बधाई
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