तुमसे कुछ पाया नहीं तो कुछ खोया भी नहीं,
दुनिया की महफ़िल में मैं तन्हा भी नहीं,
न जाने नज़रों से क्यूँ ओझल हो गए तुम,
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
दुनिया की महफ़िल में मैं तन्हा भी नहीं,
न जाने नज़रों से क्यूँ ओझल हो गए तुम,
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
31 comments:
वाह बबली जी !
आज तो आपने रूमानी कर दिया............
तुमसे कुछ पाया नहीं तो कुछ खोया भी नहीं,
दुनिया की महफ़िल में मैं तन्हा भी नहीं,
न जाने नज़रों से क्यूँ ओझल हो गए तुम,
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
इन चार पंक्तियों की प्यारी कविता में आपने बड़ी कारीगरी से काम लिया है तथा अत्यन्त अंतर्स्पर्शी संवेदना को अभिव्यक्त किया है
अभिनन्दन आपका.........
वाह....!
बहुत बढ़िया बबली जी!
लगता है कि दिल से लिखा है।
बधाई!
wahhhh dost bahut khoob ubhara bhawo ko shabdo ke madhyam se....waise naye dost banana achha hai lakin purane doston ko bhulna ....galat baat !! ab aapko meri sabhi nyi posto par pratikriya deni hogi ....
Jai HO Mangalmay ho
रोमांस से लबालब
Very Nicely Written !!
तुमसे कुछ पाया नहीं तो कुछ खोया भी नहीं,
दुनिया की महफ़िल में मैं तन्हा भी नहीं,
न जाने नज़रों से क्यूँ ओझल हो गए तुम,
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
bahut hi khoobsoorat rachna....
"Wo sawaal jo tum le gaye apne saath,unka jaawab tumhe dena hi hoga,
Tute hue rishte ko dubara jodna hi hoga..."
Bahut badhiya kavita likhi hai aapne...
तुमसे कुछ पाया नहीं तो कुछ खोया भी नहीं,
दुनिया की महफ़िल में मैं तन्हा भी नहीं,
न जाने नज़रों से क्यूँ ओझल हो गए तुम,
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
" waaaaah ! bahut hi badhiya "
----- eksacchai { AAWAZ }
बेहद उम्दा शेर !
बहुत अच्छा लिखती हैं.....कम शब्दों में दिल को रखती हैं
बबली जी अच्छा हुया सवाल साथ ले गये नहीं तो वो सवाल फिर से आपको दुख देते । बहुत सुन्दर बधाई
सच्चाई तो यही कहती है कि सब कुछ साथ नही रहता कुछ रह जाता है तो कुछ बह जाता है।
बहुत ही सुंदर पंक्तियां थी।
रह गाय वो लम्हा याद बनकर
जिसे गुज़ार था हमने साथ मिलकर
सवालों के घरे में आ जाती है याद मेरी
जब आ जाती है याद तेरी...
न जाने नज़रों से क्यूँ ओझल हो गए तुम,
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
बहुत बढ़िया बहुत ही सुंदर पंक्तियां !
bahut hee acchee rachana .kam par vajanee shavd.
badhai
हमेशा की तरह एक अच्छी रचना..!सवाल साथ ले गए,पर यादें अभी बाकि है.......बहुत बढ़िया!!!
Mere Sawwal Bhi Saath Le Gaye Tum.
Babli,it is very touching and well written
Dil se nikla umda sher hai ........
bahut-bahut badhai madam!
aapki har panktiyaan shayri ka guldasta lekar aati hain aur keval shayri ka guldasta hi nahi mere liye to ye seekhne ki gujaarish bhi karti hain aapki shari se hi prerit ho main jab kabhi panktiyon ko tod -marod kar kuchh naya likhne ki khwahish karta hun to mujhe yahipratit hota hai jaise aapki likhi in panktiyon ka hi ek hissa bankar reh jata hun......
"तुमसे पाने को मैंने न सोचा कभी तुमसे खोकर भी पाना नहीं आ सका ...
तुम चले आओ महफिल में मेरी अगर तुमसे जीकर भी जीना नहीं आ सका ..
वो सुनहरा सनम भी सितारों के संग होके ओझिल मुझे ये बता न सका ..
के तबस्सुम की बाहों का बनके चमन क्यूँ मुझे रंग-ऐ-मौसम बना न सका ..! "
बहुत बढ़िया बबली जी...
वाह वाह बबली जी, चार लाईनो मै ही सारे उलाहने दे दिये, बहुत खुब
संक्षिप्त पर अच्छी पोस्ट. 'रंग 'जी की लाइन याद आती है-'अनेकों प्रश्न ऐसे है जो दुहराए नहीं जाते
चित्र भी सुंदर बात भी रूमानी
--तुमसे कुछ पाया नहीं तो कुछ खोया भी नहीं
....वाह! क्या बात है।
कम शब्द और अच्छे भाव
बबली जी का यही स्वभाव
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
oh how romantic ....lovely picture too.You are amazing Babli..the way you manage so many blogs with equal devotion.
सुंदर रचना - कविता भी, चित्र भी.
Kya baat hai
तुमसे कुछ पाया नहीं तो कुछ खोया भी नहीं,
phir bhi sawal - jawab tha
मेरे सवाल भी साथ ले गए तुम !
क्या बात है बबली जी...लगा, थोडा सा रोमानी हो जायें.
भीड मे गुम हो जाने वाले सवाल भी तो नही करने देते.
बेहतरीन
खूबसूरत एहसास को पिरोता बढ़िया अभिव्यक्ति..धन्यवाद बबली जी
Bhawnayen jab shabd leti hai to isi tarah ke asaar fijawon men khushbu bikherte hai... yoo hi likhte rahiye khushbu bikherte rahiyee...
bahut sunder pankti upar se lajawaab paintings jaise jaan phoonk di ho
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