ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है,
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है !
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है !
40 comments:
चार पंक्तियों में ही आपने जिन्दगी को खूबसूरती से समेटा है। चलिए मैं भी तर्ज मिलाने की कोशिश करता हूँ।
बदल रहे हैं आदमी और मौसम के स्वभाव भी,
सावन में सूखा और जाड़े में फुहार आती है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
sach mein chaar panktiyon mein bahut hi sunder kavita.....
सच ही तो है।
ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है,
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,
ये लाईंन सब कुछ बयां कर रही है । उम्दा रचना, बहुत-बहुत बधाई आपको । कम शब्दो में बड़ी बात कह देना कोई आपसे सिखे........
bahut hi achhi baat..........
jeevan ki sabse badi sacchaai aapne bayan kar di chand lafzon me.....
aapko badhaai !
जीवन के रंग हज़ार, बहुत सुन्दर, बधाई
वाह....!
बबली जी!
बहुत सुन्दर छन्द लिखा है।
हकाकत बयान कर दी है, आपने तो!
यह रियली में अच्छा शेर बनाया है अपने !
छोटी सी लेकिन गहराई से भरी कविता...जिंदगी को बयां कर दिया है आपने प्यारे तरीके से...वाह!
वाह जी वाह..
shubhan allah !
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ye jindagi hai utaar chadhaw to aate hi hain!!! buhut sundar byaan kiyaan hai!!!
sach kaha.........zindagi hai hi aisi........na jane kab rang badal le..........bahut hi sundar likha ..........badhayi
बहुत सुन्दर, बधाई!
zindgi ki haqeeqat bayan kar daali
char line hain samandar ki pyali
bahut khoob.
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है ..
YE TO KUDRAT KA KARISHMA HAI .. LAJAWAAB NAJM HAI ..
ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है,
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है ....
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति .......
bahur sunder ji ....likhte rahiye
गागर मे सागर भर दिया आपने , अक्सर ऐसा ही
करती हैं
बहुत बढ़िया।
आज वाकई अच्छा लिखा उर्मी जी, तारीफ करनी होगी...
जय हिंद...
बहुत सुंदर शेर।
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11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?
bahut he badhiya rachna hai babli ji.....
Great!
sukh aur dukh zindagi ke do pehelu hai..... isn't it!
ताजा हवा के एक झोंके समान
जीवन की सच्चाई है इन पंक्तियों में. जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं.
आपकी पेंटिंग पर कुछ खयाल आया :
गुल तुममे है कि तुम गुलों में हो
गुलजार हो गया चमन तुम्हें देखकर
kam shavdo me badee baat aapkee visheshata hai
bahut sunder bhav hai jo yatharth bhee hai .
Badhai .
waah kya likha hai jawab nahi bhut achcha
yahi tho zindagi hai,rang badalti huyi,waah bahut khub
अच्छा लिखती हैं !!!! मन को भा गया !!!
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है !
Yahi jeewan ka dastoor hai, jo satat chalta rahata hai, ab kiski bhagya mein kitna dukh kitna sukh hai sabhi isse anjaan hai.
Bahut achha laga
Badhai
koi baat nahin patjhd ke baad bahaar hi aati hai.
बहुत उम्दा रचना है आपकी..
www.3acesnetwork.blogspot.com
a very simple and yet very deep thought expresses beautifully
Babli,that is life all about.
Very well expressed.
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है ..
अंतर्विरोधों को खूबसूरती दी है आपने...
u got good pen.....n a eye too !!!
ये ही जिन्दगी है ।कभी खुशी कभी गम ,कभी धूप कभी छांव ।और कभी कभी तो ऐसा भी हो जाता है ""का सुनाइ विधि काह सुनावा /का दिखाइ चह काह दिखावा ।
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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