Tuesday, November 17, 2009


ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है,
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है !

40 comments:

श्यामल सुमन said...

चार पंक्तियों में ही आपने जिन्दगी को खूबसूरती से समेटा है। चलिए मैं भी तर्ज मिलाने की कोशिश करता हूँ।

बदल रहे हैं आदमी और मौसम के स्वभाव भी,
सावन में सूखा और जाड़े में फुहार आती है।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

sach mein chaar panktiyon mein bahut hi sunder kavita.....

Anil Pusadkar said...

सच ही तो है।

Mithilesh dubey said...

ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है,
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,

ये लाईंन सब कुछ बयां कर रही है । उम्दा रचना, बहुत-बहुत बधाई आपको । कम शब्दो में बड़ी बात कह देना कोई आपसे सिखे........

Unknown said...

bahut hi achhi baat..........

jeevan ki sabse badi sacchaai aapne bayan kar di chand lafzon me.....

aapko badhaai !

निर्मला कपिला said...

जीवन के रंग हज़ार, बहुत सुन्दर, बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह....!
बबली जी!
बहुत सुन्दर छन्द लिखा है।
हकाकत बयान कर दी है, आपने तो!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

यह रियली में अच्छा शेर बनाया है अपने !

Neeraj Kumar said...

छोटी सी लेकिन गहराई से भरी कविता...जिंदगी को बयां कर दिया है आपने प्यारे तरीके से...वाह!

रंजन said...

वाह जी वाह..

करण समस्तीपुरी said...

shubhan allah !

सदा said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Murari Pareek said...

ye jindagi hai utaar chadhaw to aate hi hain!!! buhut sundar byaan kiyaan hai!!!

vandana gupta said...

sach kaha.........zindagi hai hi aisi........na jane kab rang badal le..........bahut hi sundar likha ..........badhayi

शिवम् मिश्रा said...

बहुत सुन्दर, बधाई!

Yogesh Verma Swapn said...

zindgi ki haqeeqat bayan kar daali
char line hain samandar ki pyali

bahut khoob.

दिगम्बर नासवा said...

कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है ..

YE TO KUDRAT KA KARISHMA HAI .. LAJAWAAB NAJM HAI ..

mark rai said...

ज़िन्दगी रोज़ नए रंग में ढल जाती है,
कभी खुशियाँ तो कभी ग़मों की बाढ़ आती है,
कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है ....
बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति .......

अलीम आज़मी said...

bahur sunder ji ....likhte rahiye

अजय कुमार said...

गागर मे सागर भर दिया आपने , अक्सर ऐसा ही
करती हैं

डॉ टी एस दराल said...

बहुत बढ़िया।

दीपक 'मशाल' said...

आज वाकई अच्छा लिखा उर्मी जी, तारीफ करनी होगी...
जय हिंद...

Arshia Ali said...

बहुत सुंदर शेर।
------------------
11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut he badhiya rachna hai babli ji.....

Sumandebray said...

Great!
sukh aur dukh zindagi ke do pehelu hai..... isn't it!

मनोज कुमार said...

ताजा हवा के एक झोंके समान

M VERMA said...

जीवन की सच्चाई है इन पंक्तियों में. जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहते हैं.
आपकी पेंटिंग पर कुछ खयाल आया :

गुल तुममे है कि तुम गुलों में हो

गुलजार हो गया चमन तुम्हें देखकर

Apanatva said...

kam shavdo me badee baat aapkee visheshata hai
bahut sunder bhav hai jo yatharth bhee hai .
Badhai .

Razi Shahab said...

waah kya likha hai jawab nahi bhut achcha

mehek said...

yahi tho zindagi hai,rang badalti huyi,waah bahut khub

खुला सांड said...

अच्छा लिखती हैं !!!! मन को भा गया !!!

कविता रावत said...

कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है !
Yahi jeewan ka dastoor hai, jo satat chalta rahata hai, ab kiski bhagya mein kitna dukh kitna sukh hai sabhi isse anjaan hai.
Bahut achha laga
Badhai

jamos jhalla said...

koi baat nahin patjhd ke baad bahaar hi aati hai.

jayanti srivastava said...

बहुत उम्दा रचना है आपकी..

www.3acesnetwork.blogspot.com

sujata sengupta said...

a very simple and yet very deep thought expresses beautifully

BK Chowla, said...

Babli,that is life all about.
Very well expressed.

प्रकाश पाखी said...

कभी छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
चमन में कभी बहार तो कभी उजाड़ आती है ..
अंतर्विरोधों को खूबसूरती दी है आपने...

Anonymous said...

u got good pen.....n a eye too !!!

BrijmohanShrivastava said...

ये ही जिन्दगी है ।कभी खुशी कभी गम ,कभी धूप कभी छांव ।और कभी कभी तो ऐसा भी हो जाता है ""का सुनाइ विधि काह सुनावा /का दिखाइ चह काह दिखावा ।

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।