ये दिल उदास है, कोई पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो,
सिर्फ़ विश्वास पर ही साँस टिकी है मेरी,
तुम मेरे नाम सिर्फ़ एक शाम ही लिख दो !
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो,
सिर्फ़ विश्वास पर ही साँस टिकी है मेरी,
तुम मेरे नाम सिर्फ़ एक शाम ही लिख दो !
44 comments:
वाह बबली जी!
बहुत ही खूबसूरत शेर पेश किया है आपने!
आपकी लेखनी में निखार आता जा रहा है!
बधाई!
samhal ke rahna babliji !
is kadar maasoomiyat se kahoge to log
nam kya paigaam likh denge
ek shaam kya
zindgi ka har lamha aapke naam likh denge
___abhinandan is komal kavita ke liye
इस रचना ने मन मोह लिया।
क्या बात है ?.....चंद लाइनों में बहुत कुछ कह दिया.
बहुत खूब , लाजवाब रही आपकी हर लाईनें ।
ये दिल उदास है, कोई पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो,
बबली जी बहुत सुंदर हमेशा की तरह
धन्यवाद
बढ़िया है...लिखती चलो!!
ek hamesha kee tarah chotee see par pyaree rachana.
दिल उदास है,कोई पैगाम ही लिख दो,
नाम न लिखो गुमनाम ही लिख दो,
सिर्फ़ विश्वास पर साँस टिकी है मेरी,
मेरे नाम सिर्फ़ एक शाम ही लिख दो !
babalee jee Don'Mind I have given a shape to your poetry
bahut hi sundar bhavon se labrej sher hai..........thode mein hi sab kah diya...........lajawaab
shaam kya aap kaho to poora din he likh dein...
bahut he badhiya babli ji...
बहुत भाव पूर्ण रचना...बधाई...
नीरज
Babliji,What can I say about such beautifully written poem.
बहुत बढ़िया...
पढ़कर अच्छा लगा, चार लाइनों मे किसी ख्याल को रख पाने की अदा, बहुत खूब।
बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां लाजवाब प्रस्तुति ।
wah! sirf ek sham hi likh do!!
Bahut bariya
मिलन की तड़प महसूस कराती रचना, बधाई
ye taswir kaphi achchi hai....isake ander aisa lagta hai ki sare sansaar ka karuna bhara hua hai....
Very nicely written !! Beautiful words !!
बहुत खूब आपकी कलम का जबाब नहीं . कम शब्दों में अच्छी प्रस्तुति . बबली जी धन्यवाद.
paigaam kayaa mere neem apni ek saans hi likh do.
खूबसूरत शेर ....... हमेशा की तरह सुंदर ....
Umda rachana!
बहुत अच्छी और ताज़ा खिलाई बबली जी दिल बाग़ बाग़ हो गया !! सांड के लिए बेहतर चारा !!!
बेहद रूमानी ख़याल है बबली जी शुक्रिया
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ye aapke liye babliji is sunda si post pe
शाम तो चुरानी पड़ती है
कोई लिखता-विखता नहीं
जैसे इस शायर ने चुराई-
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
हा. हा.हा...
बहुत अच्छा शेर है मैं जवाब ढूँढता रह गया...बधाई
साँस टिकी है विश्वासों पर नाम भले गुमनाम।
बबली की इस रचना का अच्छा है पैगाम।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
यह एक पुरानी परमपरा है कि जब कोई शायरी अच्छी लगती है
तो उसका जावाब भी शायरी से ही देने का मन करता है
कभी-कभी आदमी का मन मजाक करने का भी होता है
आपकी शायरी अच्छी न होती तो इतना दिमाग लगाने की क्या आवश्यकता थी
आपको मेरा जवाब अच्छा न लगा इसका मुझे खेद है
वाह ! बहुत खूब, बबली जी.
क्या लिखा है आपने! सौम्य और सरल शब्दों में जिस तरह आपने अपनी भावनाओं को अपने ब्लॉग पर उतारा है, सराहनीय है. सधन्यवाद.
बहुत ही खूबसूरत........लाजवाब
pehle aapki comments se hume likhne ki hausala afzai ke shukriya aap bahut sunder likhti hai aur paintings se uski khoobsurti ko aur chaar chand laga deti hai ....kuch na kuch naya dekhne ko mil jaata hai aapki shairi me ....bas dua hai aise hi likhte rahiye .....
aleem
panktiyaaN gin`ne meiN chaahe chaar haiN...lekin bhaav an-ginat,, beshumaar haiN inmeiN .
abhivaadan .
ये दिल उदास है, कोई पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो,
बहुत ही खूबसूरत शेर
लाजवाब
बधाई
एवं शुभ कामनाएं
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शुभ अभिवादन! दिनों बाद अंतरजाल पर! न जाने क्या लिख डाला आप ने! सुभान अल्लाह! खूब लेखन है आपका अंदाज़ भी निराल.खूब लिखिए. खूब पढ़िए!
ये दिल उदास है, कोई पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम न लिखो, मगर गुमनाम ही लिख दो
bahut hi achchhi rachna
bahut sundar uttam.......
baliji
bahut acha..wah,,,umdaa she'r hai
tum mere naam ek shaam hi likh do.....pyar ki siddhat yaha charam avastha per hai...wah
Very beautifully expressed ....hugs Babli.
वाह वाह वाह वाह क्या बात है !
बहुत खूब... वाह...
बहुत खूब!
वाह , बबली जी बहुत खूब अच्छी शायरी
एक शाम ही क्यों ,हरपल आपके नाम कर दूँ
अच्छी रचना के लिए बधाई
bhaut hi acchi....
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