बहुत जल्दी ही ब्लॉग पे डिम्पल का राज़ खुलने वाला है, जो की शादी-शुदा है और अपने को कुंवारी बताती है... और ब्लॉग जगत के कई कम उम्र के लड़के उसके जाल में फंस चुके हैं. ब्लॉग जगत की कई महिलाएं भी डिम्पल उर्फ़ राज की सच्चाई जानतीं हैं और अब दूर हो गयीं हैं उससे.... आप भी जानिये...
http://raj-dreamz.blogspot.com/
बहुत जल्दी ही क्षितिज के पार से पूरी सच्चाई के साथ एक पोस्ट आयेगी..... ब्लॉग जगत का अब तक सबसे खुफिया स्टिंग आपरेशन ...
हम ’प्रज्ञान’ (Pragyan) नामसे एक पत्रिका निकलत हुं असमके तिनसुकिया कलेजसे. सात सालसे निकल रहे हे. सालमे तिनबर निकलते हे। २५०० हर्र्ड कपि हॊते हे। पूर्बॊत्तरके कलेज-इउनिभार्र्सिटिके सिवा इए अजक्ल ओनलाइन उपलब्ध हॊनेके लिये बिश्वभर प्रसिद्ध हॊ रह हे। इस पत्रिका मूलत: द्विभाषिक हे. असमीया और इंलिश्मे. लेकिन, साहित्य मे हम बांल और हिन्दि लेखभी चापते हे। एहा, हमे हिन्दी लेख यादा मिलते नेहि. क्या आपके इये सायरी के शहित और कुच हमे भेजेङे? अगले सँख्या चापनेकॊ गयी. मार्रच महीने मे निकलेङे. डिसेम्वर सँख्या अप हमारे ब्लग या साइटमे पड़ कर बॊलेङे तॊ अच्चा लगेगा।
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
30 comments:
" राक" से क्या आशय है आपका?
कहीं "राख" तो नहीं?
बढ़िया शेर है जी!
उत्तम भाव लिए हुए है!
धुआँ उड़े गर राख से न चिन्ता की बात।
अंधेरा, तन्हाई, मेला अच्छा है आघात।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
sundar ek baar phir dhamaakaa !!!
par kinara to tha
लाजवाब पेंटिंग --
सुन्दर भाव की रचना
सिद्धेश्वर जी की टिप्पणी के बाद आपने सुधार किया,ये धैर्य और विनम्रता देखकर अच्छा लगा.बहरहाल पंक्तियाँ अच्छी हैं.
पेंटिंग तो वाकई बहुत खूबसूरत है।
NICE !
क़ाबिले-तारीफ़ है। बेहद पसंद आई।
राख से धुआं उड़ गया था,
सूरज मंजिल की ओर मुड गया था,
अब तन्हाइयों में गुज़ारा था,
किनारे पे बदला नज़ारा था !
LAJWAB PAINTING KE SAATH BAHUT HI SUNDER SHER BEHATRIN
पेंटिग से नज़र नहीं हटती, नज़ारे हम क्या देखें...
जय हिंद...
कितनी सुन्दर कविता लिखी है .आप हिंदी ब्लॉगजगत के लिए एक नयी रौशनी है .-राजेश स्वार्थी
chhote-chhote sher kafi arthpurn hote hain.....
bahut hi gahre bhavon ko sanjoya hai...........badhayi
After reading your poems,I have developed a taste for poetry.
Thank you
kaarvaan gujar gayaa gubaar dekhte rahe.achha hai.
सूरज मंजिल की ओर मुड गया था,
अब तन्हाइयों में गुज़ारा था,
वाह उर्मी जी,
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ और अकेलेपन का बेहतरीन खुलासा...
good one
बहुत अच्छा लिखा है आपने । भाव, विचार और शिल्प का सुंदर समन्वय रचनात्मकता को प्रखर बना रहा है । -
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत जल्दी ही ब्लॉग पे डिम्पल का राज़ खुलने वाला है, जो की शादी-शुदा है और अपने को कुंवारी बताती है... और ब्लॉग जगत के कई कम उम्र के लड़के उसके जाल में फंस चुके हैं. ब्लॉग जगत की कई महिलाएं भी डिम्पल उर्फ़ राज की सच्चाई जानतीं हैं और अब दूर हो गयीं हैं उससे.... आप भी जानिये...
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बहुत जल्दी ही क्षितिज के पार से पूरी सच्चाई के साथ एक पोस्ट आयेगी..... ब्लॉग जगत का अब तक सबसे खुफिया स्टिंग आपरेशन ...
babliji waah !
bahut khoob !
achhi kavita............
lekin kamaal hai is par maine subah tippani dee thi, vo kahan gaayab ho gayi ?
सुन्दर...भाव भरी रचना
तन्हां शाम का खाका खींच दिया
उत्तम रचना
सुन्दर भाव की रचना
isame kuch adhyatmika bhav lag rahe hai...
manchooti hui pardarshi rachna padkar bahut acha laga
Devi Nangrani
हम ’प्रज्ञान’ (Pragyan) नामसे एक पत्रिका निकलत हुं असमके तिनसुकिया कलेजसे. सात सालसे निकल रहे हे. सालमे तिनबर निकलते हे। २५०० हर्र्ड कपि हॊते हे। पूर्बॊत्तरके कलेज-इउनिभार्र्सिटिके सिवा इए अजक्ल ओनलाइन उपलब्ध हॊनेके लिये बिश्वभर प्रसिद्ध हॊ रह हे। इस पत्रिका मूलत: द्विभाषिक हे. असमीया और इंलिश्मे. लेकिन, साहित्य मे हम बांल और हिन्दि लेखभी चापते हे। एहा, हमे हिन्दी लेख यादा मिलते नेहि. क्या आपके इये सायरी के शहित और कुच हमे भेजेङे? अगले सँख्या चापनेकॊ गयी. मार्रच महीने मे निकलेङे. डिसेम्वर सँख्या अप हमारे ब्लग या साइटमे पड़ कर बॊलेङे तॊ अच्चा लगेगा।
बहुत बढ़िया रचना
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