Saturday, February 6, 2010


हमनें ज़िन्दगी से वफ़ा बहुत की है,
पर गमों के सिवा कुछ मिला नहीं है,
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !

39 comments:

Mahfooz ali said...

तुम्हारा साथ नहीं मिला.....

वाह! बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ....सुंदर रचना.....

Sanjeet Tripathi said...

sundar

दिगम्बर नासवा said...

तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला ..

जीने का मकसद मिलना बहुत किस्मत वालों को नसीब होता है ........ बहुत अच्छा लिखा है ......

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जीने का मकसद हासिल हो जाये तो जीना आसान हो जाता है....खूबसूरत लिखा है...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर रचना.

रामराम.

Neeraj Kumar said...

बहुत ही सुंदर। आपकी छोटी छोटी कविताएँ मन मोह लिया करती हैं।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर मुक्तक के लिए बधाई!

Unknown said...

waah bably ji !

aapne toh jaise mere bhi man ki baat kah deeee

bahut khoob..bahut bahut umda panktiyan

badhaai !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

Wah,

Randhir Singh Suman said...

तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !nice

Parul kanani said...

babli ji pahli baar yahan aayi hu..kamaal ki shayri hai..keep it up :)

RAJNISH PARIHAR said...

वाह!!ज्यादातर प्यार में ऐसा ही होता है,जो चाहते है वो कहाँ मिलता है?ये तो किस्मत की बात है की किसे क्या मिल पाता है...सुंदर रचना.....!!

श्यामल सुमन said...

चलिए बबली जी कम से कम जीने का मकसद तो मिला।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

kshama said...

Bahut khoob!

BK Chowla, said...

As usual an outstanding effort

vandana gupta said...

bahut hi sundar rachna.....badhayi

Unseen India Tours said...

This is beautiful simply related to me somewhere !! Great Post !!

Harshvardhan said...

bahut sundar,

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut hee badhiya ji

मनोज भारती said...

जीवन की यही त्रासदी है ।

jamos jhalla said...

वफ़ा और जफा में बहुत थोड़ा ही अंतर होता है सो जफा की चाह में लोग वफ़ा का दामन नहीं छोड़ते

miracle said...

Bahut hi Sundar Abhivakti.....Badhaai....

शोभना चौरे said...

bahoot khubsurati se apne man ki vytha kah di .dhnywad

Rohit Singh said...

आप अपनी शायरी में सदाबहार हैं....
उर्मी जी आप 1 महीने के लिए घईं थी छुट्टी पर और मैं 2 महीने बाद आया आपकी शायरी की महफिल में....क्षमा प्रार्थि हुं...पर ....दरअसल मुझे लगा आप छुट्टी से आएंगी तो खुशियां बाटेंगी ..कुछ मिठाई लाएंगी....खैर एकबार फिर गलती की माफी....

विनोद कुमार पांडेय said...

कभी कभी जिंदगी में ऐसे पल भी आ जाते है जब अपने बेवफा हो जाते है...एक खूबसूरत शेर...बधाई हो

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

तुम्हारा साथ नहीं मिला !

पंक्ति में बहुत दर्द है.

ARUNA said...

bahut sundar yaar!

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत बधाई

rajesh singh kshatri said...

हमनें ज़िन्दगी से वफ़ा बहुत की है,
पर गमों के सिवा कुछ मिला नहीं है,
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !

sundar....
bahut sundar....

अलीम आज़मी said...

bahut khoobsurat rachna ...aapka jawaab ...nahi

डॉ टी एस दराल said...

जीने का मकसद मिल जाये तो समझो जहाँ पा लिया।
सुन्दर रचना।

Dev said...

बहुत बढ़िया रचना

Kavita Saharia said...

Babli,i am here to read your beautiful thoughts once again.Sorry i was on a vacation so could not visit you.Hope to read you more often.Take care .

ज्योति सिंह said...

तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला
bahut hi bhavuk aur marmik ,sach aksar aesa hi hota hai ,umda

संजय भास्‍कर said...

बहुत बेहतरीन रचना, वाह!

दिनेश शर्मा said...

उम्मीद पर दुनिया कायम है। सुन्दर रचना के लिए साधुवाद!

शरद कोकास said...

पढ लिया बबली ।

नीरज गोस्वामी said...

अति संवेदन शील रचना...बधाई
नीरज

ARUNA said...

बहुत बढ़िया है हमेशा की तरह!