हमनें ज़िन्दगी से वफ़ा बहुत की है,
पर गमों के सिवा कुछ मिला नहीं है,
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !
पर गमों के सिवा कुछ मिला नहीं है,
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !
Posted by Urmi at 8:47 PM
39 comments:
तुम्हारा साथ नहीं मिला.....
वाह! बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ....सुंदर रचना.....
sundar
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला ..
जीने का मकसद मिलना बहुत किस्मत वालों को नसीब होता है ........ बहुत अच्छा लिखा है ......
जीने का मकसद हासिल हो जाये तो जीना आसान हो जाता है....खूबसूरत लिखा है...
बहुत सुंदर रचना.
रामराम.
बहुत ही सुंदर। आपकी छोटी छोटी कविताएँ मन मोह लिया करती हैं।
सुन्दर मुक्तक के लिए बधाई!
waah bably ji !
aapne toh jaise mere bhi man ki baat kah deeee
bahut khoob..bahut bahut umda panktiyan
badhaai !
Wah,
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !nice
babli ji pahli baar yahan aayi hu..kamaal ki shayri hai..keep it up :)
वाह!!ज्यादातर प्यार में ऐसा ही होता है,जो चाहते है वो कहाँ मिलता है?ये तो किस्मत की बात है की किसे क्या मिल पाता है...सुंदर रचना.....!!
चलिए बबली जी कम से कम जीने का मकसद तो मिला।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Bahut khoob!
As usual an outstanding effort
bahut hi sundar rachna.....badhayi
This is beautiful simply related to me somewhere !! Great Post !!
bahut sundar,
bahut hee badhiya ji
जीवन की यही त्रासदी है ।
वफ़ा और जफा में बहुत थोड़ा ही अंतर होता है सो जफा की चाह में लोग वफ़ा का दामन नहीं छोड़ते
Bahut hi Sundar Abhivakti.....Badhaai....
bahoot khubsurati se apne man ki vytha kah di .dhnywad
आप अपनी शायरी में सदाबहार हैं....
उर्मी जी आप 1 महीने के लिए घईं थी छुट्टी पर और मैं 2 महीने बाद आया आपकी शायरी की महफिल में....क्षमा प्रार्थि हुं...पर ....दरअसल मुझे लगा आप छुट्टी से आएंगी तो खुशियां बाटेंगी ..कुछ मिठाई लाएंगी....खैर एकबार फिर गलती की माफी....
कभी कभी जिंदगी में ऐसे पल भी आ जाते है जब अपने बेवफा हो जाते है...एक खूबसूरत शेर...बधाई हो
तुम्हारा साथ नहीं मिला !
पंक्ति में बहुत दर्द है.
bahut sundar yaar!
बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत बधाई
हमनें ज़िन्दगी से वफ़ा बहुत की है,
पर गमों के सिवा कुछ मिला नहीं है,
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला !
sundar....
bahut sundar....
bahut khoobsurat rachna ...aapka jawaab ...nahi
जीने का मकसद मिल जाये तो समझो जहाँ पा लिया।
सुन्दर रचना।
बहुत बढ़िया रचना
Babli,i am here to read your beautiful thoughts once again.Sorry i was on a vacation so could not visit you.Hope to read you more often.Take care .
तुम्हें पाकर जीने का नया मकसद पाया,
पर अंत तक तुम्हारा साथ नहीं मिला
bahut hi bhavuk aur marmik ,sach aksar aesa hi hota hai ,umda
बहुत बेहतरीन रचना, वाह!
उम्मीद पर दुनिया कायम है। सुन्दर रचना के लिए साधुवाद!
पढ लिया बबली ।
अति संवेदन शील रचना...बधाई
नीरज
बहुत बढ़िया है हमेशा की तरह!
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