Monday, February 22, 2010


रात चुप है मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कहूँ आज मुझे फिर होश नहीं,
ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में,
रात गुज़र गयी हमें एहसास नहीं !

52 comments:

Yashwant Mehta "Yash" said...

सुन्दर!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में,
रात गुज़र गयी हमें एहसास तक नहीं !

सुन्दर मुक्तक!
बढ़िया भाव!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वाह ..बहुत खूब....

बहुत पहले का लिखा अपना ही कुछ याद आ गया---

चाँद के बिना चांदनी रात कहाँ होती है
तेरे बिना मेरी बात कहाँ होती है
चाँद को देख जब आती है याद तेरी
तो तेरे दिल में मेरी याद कहाँ होती है....

अंजना said...

बढ़िया |

डॉ. मनोज मिश्र said...

achha lga,dhnyvaad.

निर्मला कपिला said...

बहुत खूब अच्छा लगा

श्रद्धा जैन said...

hmm pyaar aisa hi hota hai
deewangi ise hi kahte hain

ताऊ रामपुरिया said...

वाह वाह बहुत ही खूबसूरत रचना.

रामराम.

डॉ टी एस दराल said...

वाह । बहुत बढ़िया ।

Arshad Ali said...

यादों में रात यू हीं गुज़र जाती है और होशों हवास की बात तो कीजिये हीं नहीं.

अति सुन्दर
भावप्रद .. बधाई

प्रकाश पाखी said...

रात चुप है मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कहूँ आज मुझे फिर होश नहीं,
मतला बहुत सुन्दर है!

RAJNISH PARIHAR said...

ये किसी के प्यार का ही नशा होता है की हमें वक़्त का पता ही नहीं चलता...बहुत सुन्दर गुंथे हुए शब्द ...

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

वाह ..बहुत खूब....सुन्दर....

मनोज भारती said...

बहुत खूब !!!!

मनोज कुमार said...

बेहतरीन। लाजवाब।

Udan Tashtari said...

आखिरी पंक्ति में ’तक” क्यूँ जोड़ दिया..


वैसे भाव अच्छे हैं.

Sumandebray said...

bahut badiya
yaado mein mein kisi ka koi bhi pabhondi nahi hote....
Yaad azad hai!

Unknown said...

bahut umda shaayri......

wah wah !

aapko baanchna sadaiv aanand deta hai

Mithilesh dubey said...

हर बार की तरह इस बार भी लाजवाब ।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सूंदर जी.
धन्यवाद

M VERMA said...

यादें है यादों का क्या

श्यामल सुमन said...

प्यार का यही रंग तो अनमोल होता है बबली जी।

श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Akhilesh pal blog said...

bahoot khoob chand ke chadani ko vaigyanico ne khoj nikala hai ham is par rahenge kab

Pushpendra Singh "Pushp" said...

bahut sundar
abhar

BK Chowla, said...

Babli, I envy you for the lovely pictures you have, besides your well written posts.

shama said...

रात चुप है मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कहूँ आज मुझे फिर होश नहीं,
ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में,
रात गुज़र गयी हमें एहसास नहीं !
kya baat hai Babli!

BIRENDRA said...

Adbhut!!!

Poetry par aapki pakad adbhut hai. Aapki pichhli kai post maine padhi hain aur har baar yahi laga ki aadhunik poetry aapke haathon mein bahut aage tak jaayegi.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya baat hai babli ji...

chhaa gaye aap to!

रश्मि प्रभा... said...

waah....kya baat hai

Narendra Vyas said...

ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में,
रात गुज़र गयी हमें एहसास तक नहीं!!
सुन्दर भाव....

दिगम्बर नासवा said...

उनके ख्याल तो ऐसे ही हैं ....
उनके ख्याल आए तो आते चले गये ...

vandana gupta said...

waah bahut hi sundar baat kah di.

रचना दीक्षित said...

बहुत लाजवाब, बहुत कुछ कह डाला इतने में ही बधाई

Saiyed Faiz Hasnain said...

aap khaamosh hai par aap ke Lafz nahi ......
har bar ki tarah adbhut.....

अजय कुमार said...

बेपनाह मुहब्बत

अलीम आज़मी said...

bahut sunder rachna aapki....

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

बबली जी, आदाब
रात चुप है मगर चाँद ख़ामोश नहीं,
कैसे कहूँ आज मुझे फिर होश नहीं,
ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में,
रात गुज़र गयी हमें एहसास नहीं !

वाह..वाह...बहुत खूब

Unseen India Tours said...

Beautiful Words !! Great Piece of writing !!

Dev said...

बहुत खूब ....

ARUNA said...

Atisundar, chitr ki to daat deni padegi!!

Dimple said...

Hello,

Very Nice picture... and emotional words... depth!

Regards,
Dimps

सदा said...

दिन ब दिन निखरते शब्‍द और यह पंक्तियां बहुत कुछ कहती हुई, बधाई ।

Mumukshh Ki Rachanain said...

"होश रहा पर अहसास नहीं,"
अजीब विरोधाभाष का दर्शन

कहीं कुछ गड़बड़ नज़र आ रही है

चन्द्र मोहन

Rohit Singh said...

वाह...क्या बात है....चंद पंक्तियों में कई बार कई खूबसुरत बात कह देती हैं आप.....वाह वाह...वाह वाह...

kshama said...

Holikee anek shubhkamnayen!

Neeraj Kumar said...

होली की बधाइयाँ...आपके जीवन में भरपूर रंगों का हो समावेश...

दिगम्बर नासवा said...

आपको और आपके परिवार को होली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएँ ...

CSK said...

बहुत सुन्दर रचना है शायद इसीलिए आज मैं भी एक नाकाम और नामुमकिन सफ़र की ओर बढ़ता हुआ कोशिश करता हूँ कि आपके द्वारा व्यक्त इस परम अहसास के दूसरे पक्ष को पुरुष-अभिव्यक्ति के तौर पर कुछ लिखूं.और,इसके लिए इस नादान को क्षमा करें.

"कभी सोचा नहीं था कि कभी ऐसा यहाँ होगा..
मेरी साँसे थमीं होंगी उन्हें यह याद न होगा..
कि अबदिल में मचे तूफाँ में तो तू ही सहारा है ,
गुजर जायेंगी सब रातें,उन्हें यह याद न होगा..!"

विजय तिवारी " किसलय " said...

उर्मी जी,
अच्छे भाव हैं.
"रात गुज़र गयी हमें एहसास नहीं !"
- विजय

Dr.R.Ramkumar said...

ऐसे डूबे हैं हम उनकी यादों में,
रात गुज़र गयी हमें एहसास नहीं !

These lines most suits to the photograph you cliped/published.

your photpgraphs explaine what you left to say.
Nice.

Unknown said...

रात गुजर गयी हमें एहसास तक नहीं...
आपकी हर कविता जो दिल को छुती है.
बहुत खुब बबली जी, शब्दों का जाल बुनना तो
कोई आपसे सीखे. धन्यवाद

anil gupta said...

beautifully explained feelings....