ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें,
ख़ुद निशाना बन गए वार क्या करें,
जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें,
इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें !
ख़ुद निशाना बन गए वार क्या करें,
जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें,
इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें !
47 comments:
वाह , बहुत खूब ।
Aaj waqai aapne tareef ke kabil likha hai.. warna main jhoothi tareef me yakeen nahin karta..
Adbhut!!
Poetry likhne ka adbhut talent hai aapke paas. Itne gahre bhaav liye huye poetry likhna bahut badi baat hai.Ap ne apne poem ka koi sangrah abhi tak publish kiya ya nahin?
वाह!! बहुत बढ़िया मुक्तक है।बधाई स्वीकारें।
बहुत सुंदर, चार लाईनो मै सब कुछ कह दिया.
धन्यवाद
हमेशा की तरह शानदार , बधाई
bahut Badhiyaa raha yah sher babli ji !
सुंदर
रामराम.
यकीनन बहुत गहराई से इंतजार का इज़हार है
सुन्दर
Wah,Babli!
Bahut sundar!
Kya khoob kahi.....
Very nice!
Regards,
Dimps
बहेतरीन रचना ...
जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें,
इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें !
बहुत सुंदर ,इस पर एक मशहूर शेर भी है.
awesome//
bahoot khoob aap ke sayaree ke sath chitr ka pradarasan ati sundar hai
हम इंतज़ार करेंगे, कयामत तक,
खुदा करे कि कयामत हो, और तू आए...
जय हिंद...
बहत गहराई लिए हुए.... बहत सुंदर रचना....
वाह....बहुत गहरे भावों को समेटा है....
बहुत बढिया!!
बहुत खूब और चित्र भी गज़ब।
बबली जी आज तुमने इस ब्लॉग पर अब तक की सबसे बेहतरीन रचना लगाई है!
मुबारकवाद!
lajawaab hai yaa!
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें,
ख़ुद निशाना बन गए वार क्या करें, bahut hi sundar aur lajavab panktiyan. Poonam
बबली जी, आदाब
विरह का भाव...
और इस अंदाज में..
वाह.
mn mei jo bhi tha, sb kholaa
lafzoN meiN izhaar kayaa kareiN
सच्चे प्रेम को शब्दों में क्या खूब पिरोया है आपने...बेहद सुंदर
बेहतरीन। लाजवाब।
जख्म की गहराई का इज़हार न हो पाए
हमदम के इंतजार में जान चली जाए
ये तब हीं हो सकता है बबली दीदी
जब किसी को एकतरफा प्यार हो जाए.
मेरे इस सस्ते शेर के चक्कर में मत पड़ियेगा
आपने बहुत उम्दा लिखा है,पढ़ कर मै भी तीन पैसे का शायर बन गया ..हा हा हा
nice
वाह...खूबसूरत अभिव्यक्ति...
wah! urmi ji kya khub likhte hai aap
जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें,
इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें ...
वाह ...... कमाल का लिखा है...
इंतेहा हो गयी इंतेज़ार की .......
वाह , बहुत खूब ।
Bahut mazedar
इंतजार हो तो ऐसा। वैसे इंतजार पर कहते हैं कि- हर चीज लौट कर आती है अगर सिर्फ इंतजार करें।
बहरहाल, आपकी चार लाइनें कमाल की होती हैं।
इसे मैं नारी-उत्पीडन का मर्म समझूं या तड़पते आशिक दिल की दर्द-ऐ-दास्ताँ....वैसे यह कुछ भी हो दिल को चीर दीया है इसने....................
---चम्पक.
बहुत ही सुन्दर शब्द दिल को छू गये ।
जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें,
इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें
kya baat hai ,bahut khoob
जान चली गयी पर खुली रह गयी आँखें,
इससे ज़्यादा हम उनका इंतज़ार क्या करें !
जिंदगी हमेशा इतनी बुरी नहीं होती...आप कविताओं में इतनी उदास क्यों रहा करती हैं...यू तो हंसमुख और जिन्दादिली की बात करी हैं...
वैसे आपकी शब्द गहरे हैं और भावपूर्ण भी....
बहुत ही सुन्दर शब्द दिल को छू गये ।
bahut bahut badhiya
देर से आने के लिए करबद्ध क्षमा चाहूगीं. बहुत लाजवाब
আমাদের অনুরোধ
আমাদের ব্লগে এক বার ভিসিট করুন..
দলের শুভেচ্ছা ও প্রীতি জানায়..
मुक्तक पढ़कर सकते में आ गए
तस्वीर देखी तो तस्वीर हो गए
bahut hi sundat rachana hai....
वाह ! भई वाह ! क्या बात है. इन्तहां हो गई इन्तजार की....शुक्रिया..
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