प्यार वो हमको बेपन्हा कर गए,
न जाने क्यूँ हमें तन्हा छोड़ गए,
चाहत थी उनके इश्क़ में फ़नाह होने की,
पर वो वादा करके फिर मुँह मोड़ गए !
न जाने क्यूँ हमें तन्हा छोड़ गए,
चाहत थी उनके इश्क़ में फ़नाह होने की,
पर वो वादा करके फिर मुँह मोड़ गए !
Posted by Urmi at 9:08 AM
36 comments:
पर वो वादा करके फिर मूंह मोड़ गए ।
बढ़िया मुक्तक, बबली जी।
सुंदर अभिव्यक्ति....बधाई
अच्छा है...
पसन्द आया ...
-----राकेश वर्मा
बढ़िया ,
बहुत सुंदर.
रामराम.
न जाने क्यूँ हमें तन्हा छोड़ गए
wah!
वाह ..बहुत खूब...
एक शेर याद आया---
वादा किया था मिलने का पांच दिन में
किसी से सुन लिया होगा जिंदगी चार दिन की है
sher achchha hai.
सुन्दर!
साथ में चित्र भी अच्छा लगाया है....
बहुत सुंदर लाईने,धन्यवाद.
प्यार वो हमको बेपनाह कर गए,
फिर जाने क्यूँ हमें तन्हा छोड़ गए,
चाहत थी उनके इश्क़ में फ़ना हो जाने की,
मगर वे खुद ही वादा तोड़ के चल दिए
वाह कितना सुन्दर !
वायदे पर इतना यकीन न कर
नीलाम कर आये है वे तो शहर
पर वो वादा करके फिर मुँह मोड़ गए .nice
punah shandar work
pictures ka salection 100% satik
badhai
लपट अंगार में जलकर
सँवर जाती नजाकत है।
विरह के ताप में तपकर
निखर जाती मुहब्बत है!
बहुत खूब वो वादा कर मुंह मोड़ गए .....उम्दा प्रस्तुति ...
"सुन्दर.."
amitraghat.blogspot.com
bahut khub rachna
bahut hi badhiyaa
बेहतरीन लिखा आपने ...खूबसूरत रचना !!
______________
"पाखी की दुनिया" में देखिये "आपका बचा खाना किसी बच्चे की जिंदगी है".
uf!!!!!!
apki paintings----
aap painting par rang Bhara raheen hai---
उफ् !!!!!!
आपकी पेन्टिंग्ज़..आप पेन्टिंग को शब्दो से कलर कर रही हैं..
हमेशा की तरह...बहुत खूबसूरत रचना....लिखती रहें.
नीरज
बबली जी बात यहाँ तक पहुँच चुकी है "चाहत थी उनके इश्क़ में फ़नाह होने की" - शुभकामनाएं
Babli very very nice and I get very impressed by the pictured besides of course the poem.
तंहाई का दर्द.....
खूबसूरत अल्फ़ाज़ में....
शिकवा-शिकायत.....
सब कुछ प्रभावशाली है.
"शुक्रिया आपका.........."
amitraghat.blogspot.com
Hi Babliji,
I really enjoy your shayari!
Adding my one line to yours!
दिल में हज़ार दर्द छोड़ गये
ek pal ke pyar ke liye zindagi bhar k judai manzoor thi
Impressive deep thoughts...loved reading it...
पर वो वादा करके फिर मूंह मोड़ गए ।
बहुत सुन्दर लिखा है बबली जी !
बहुत बढ़िया....
सुन्दर पंक्तियां और शब्दों के जोड़ से सजी ये रचना खुद में एक भाव व्यक्त करती है।
अहा आपकी शायरी भी...माशाअल्लाह बिल्कुल आपकी ही की तरह..
babali ji
aapaka har sher hameash hi ek nayae andaz me pesh hota hai .kya baat hai. sabhi ek se badakar ek ,behatareen .
poonam
सुन्दरम्
....bahut khoob !!!!
apki shero-shayri bahut acchhi he..dil se nikli awaaz.
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