उम्मीद की किरणें यही हैं कह रही,
रास्तों से हो गयी पहचान है !
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
कल तलक तो पाँव भी बेजान थे,
किन्तु अब पूरा सफ़र बेजान है !
रास्तों से हो गयी पहचान है !
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
कल तलक तो पाँव भी बेजान थे,
किन्तु अब पूरा सफ़र बेजान है !
48 comments:
Guzar rahi hai zindagi kuch is tarah se jaise ki manzil ki talaash hai...
कल तलक तो पाँव भी बेजान थे,
किन्तु अब पूरा सफ़र बेजान है !
क्या खूब है और फिर छायाचित्र के क्या कहने
गूढ दर्शन है इस कविता मै ।
प्रणव सक्सेना
amitraghat.blogspot.com
उम्मीद की किरणें यही हैं कह रही,
रास्तों से हो गयी पहचान है !
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
वाह , क्या खूब लिखा है ।
पहली चार पंक्ति बहुत अच्छी लगी ... आशा की बात करती हुई ... !
मुक्तक के शब्द दिल को छू गये!
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
.... बहुत सुन्दर,प्रसंशनीय भाव!!!!
nice
Appreciate the poet in you!!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
अच्छी प्रस्तुति....
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
इन पंक्तियों के साथ अंतिम पंक्ति के भाव मेल नहीं खा रहे...ऐसा मुझे लग रहा है...यदि कुछ ऐसा होता तो....
कल तलक जो पाँव भी बेजान थे,
अब थकन से पूरी तरह अनजान हैं ....
ये बस मेरा ख़याल है...अन्यथा ना लें...
संगीता स्वरूप जी से सहमत हूँ ...आखिरी पंक्ति कुछ अटपटी लगी ...
अन्यथा भाव सुंदर हैं । आशा की किरण लिए हुए ।
आभार
सुंदर
सुन्दर
पूरा सफर बेजान होने की कल्पना अच्छी लगी ।
वाह , क्या खूब लिखा है ।
हमेशा की तरह उम्दा ..बधाई.
वाह वाह! बहुत बढ़िया!
बहुत खूब .....
वाह , बहुत खूब.
What can I say--every poem is better than the other.
bahut sunder likha hai apne
bahoot khoob
बहुत सुंदर
रामराम.
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
कल तलक तो पाँव भी बेजान थे,
किन्तु अब पूरा सफ़र बेजान है !
waah...
kafi achchha likha aaj bhi.. badhai
उम्मीद की किरणें यही हैं कह रही,
रास्तों से हो गयी पहचान है !
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
कल तलक तो पाँव भी बेजान थे,
किन्तु अब पूरा सफ़र बेजान है !
आपकी लेखनी को शत-शत नमन करता हूँ. पहले से कहता रहा हूँ कि कविता और शायरी पर आपकी पकड़ बहुत अलग है. हर बार आप लेखन के नए-नए मोतियों से रचनाओं को संवारती हैं. अद्भुत अभिव्यक्ति है आपकी.
वाह वाह वाह..!
--क्या बात है..! हौसला बढ़ाने वाली शायरी।
yes, gaharee baat he,..ham agar prastuti yaa kisi muktak, chhand aadi ko dhyaan me rakh kar sochenge to yakinan thoda bahut dosh dhhoondh lenge..kintu bhavo ko shabd dene valaa hi to aapka andaaz he, so behatreen hi kahungaa..
puri rachna positive soch ka pratibimb darshati he lekin ant ki line me nirasha ka put hai...aisa kyu???samajh nahi aaya.
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
वाह...आपकी ये छोटी छोटी बातें मन मोह लेती हैं...लिखती रहिये...
नीरज
km lafz...
poori bhavnaa...
prayaas achhaa hai
hr baar ki tarah ...
aur...
Sangeet ji ki baat maan lene mei
koi buraaee nahi... !!
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
आपकी नयी रचना अत्यंत प्रभावशाली है... एक ललकार है और साथ में अनूठा आत्मविश्वाश भी..
Hello Babli ji :)
Kya baat hai!!
Brilliant and marvellous :)
"हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !"
Yeh lines mujhe bahut achhi lagi.
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
mazaa aa gaya babli ji...
rgds,
surender
http://shayarichawla.blogspot.com/
चंद लब्जों में गहरी बात .... बहुत अच्छा लगा.....
उम्मीद पर दुनिया कायम है गर अच्छा साथ मिल जाय तो सफ़र आसाँ हो जाता है..
वाह!!!खूब लिखा है।शब्द दिल को छू गये!
उम्मीद की किरणें यही हैं कह रही,
रास्तों से हो गयी पहचान है !
हम डगर पर चल पड़े है बेझिझक,
मंजिलें ये देखकर हैरान है !
......शब्द दिल को छू गये.
अच्छी रचना .. सुकून मिलता है पढ़ कर ...
bahut khoob .................
jhakas hai...
सुन्दर रचना । very beautiful and optimistic verses. congrats
बेजोड़ ।
कल तलक तो पाँव भी बेजान थे,
किन्तु अब पूरा सफ़र बेजान है !
प्रसंशनीय....प्रसंशनीय.....प्रसंशनीय..
LAZAWAAB MNMOHAK
अच्छी रचना....
सुंदर लिखा है.
बहुत अच्छा लगा.
बहुत ही खूब रचना है। किसी ने सही कहा है की
मंजिल उन को ही मिलती है जो मंजिल की तरफ बड़ते है
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