Saturday, April 24, 2010


आँखों से अपने अश्क बहाया करो,
बेकार अपना नूर गँवाया करो,
गुम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं,
तिल-तिल के अपना आप मिटाया करो !

50 comments:

Anonymous said...

Nice.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया मुक्तक है!

बधाई!

Dimple said...

Hello Babli ji,

Beautiful...
The image is so nice and the lines are perfect!
I just loved it :)

Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com

kshama said...

Sundar muktak!

Unseen India Tours said...

What a beautiful post !! Beautiful words and so meaningful !!Thanks for sharing ~~

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

shayri aur aapki yh photo dono hi ...bahut khoob soorat ...badhyee

अजय कुमार said...

शब्दों और चित्र का सुंदर संयोजन ।


नेट की समस्या थी इसलिये ब्लाग जगत से दूर था

समयचक्र said...

बढ़िया सन्देश देती रचना आभार.

शिवम् मिश्रा said...

बढ़िया !

M VERMA said...

अश्क तो बहाने के लिये नहीं होते ये तो आँखों में बसाकर रखने के लिये होते हैं
सुन्दर अभिव्यक्ति

दिलीप said...

badhiya...par laabh ki jagah koi aur urdu shabd ho to aur maza aaye...

sanjeev kuralia said...

बहुत सुंदर .....! आपकी कवितायेँ गागर मैं सागर हैं !

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है ! उपदेश भी बढ़िया हैं ... क्यूँ गम सुम रहा जाये .. क्यूँ उदासी में अश्क बहाए जाये ... गम चाहे कितना भी हो चेहरे पे खुशी लाया जाये ...

Anonymous said...

"गम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं"
- हँसकर जिओ - प्रेरक सन्देश

रश्मि प्रभा... said...

til til ke mitaya jo khud ko
shayriyon ke phul murjha jayenge

Shri"helping nature" said...

its a good way 2 write

राज भाटिय़ा said...

क्या नाईस है जी, बहुत सुंदर

कडुवासच said...

...सुन्दर...अतिसुन्दर!!!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

आँखों से अपने अश्क बहाया न करो.
बेकार अपना नूर गँवाया न करो..
वाह....बहुत खूब....सकारात्मक

डॉ. मनोज मिश्र said...

बढ़िया मुक्तक.

दिगम्बर नासवा said...

भाव पूर्ण ... अच्छा लिखा है बहुत ही ... तिल तिल कर आने आप को मिटाया न करो ....

shama said...

Chitr aur rachana...dono bahut khoob!

Manoj Bharti said...

सुंदर मुक्तक ... बहुत खूब

मनोज भारती said...

खूबसूरत मुक्तक ...

Neeraj Kumar said...

बहुत खूबसूरत- चित्र भी, रचना भी...

Arvind Mishra said...

उम्दा अभिव्यक्ति !

Arvind Mishra said...

portrait is just awesome!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बेहतरीन.

रामराम.

SACCHAI said...

"bahut hi badhiya shayari"

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

डॉ० डंडा लखनवी said...

आपका मुक्तक अच्छा है। इस मुक्तक
में ‘करो’ आदेशात्मक शब्द का प्रयोग कुछ रूखापन का बोध कराता है। लालित्य बढ़ाने के लिए अगर लखनवी लहजा दें जो इसी मुक्तक को ऐसे भी कहा जा सकता है।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
///////////////////////////////////
बेकार अपने नूर को जाया न कीजिए।
अश्कों को आप ऐसे बहाया न कीजिए।।
दुनिया में सिर उठा के चलो कहकहों के साथ-
मायूसियों का साथ निभाया न कीजिए।।
///////////////////////////////////

विनोद कुमार पांडेय said...

सुंदर मुक्तक...धन्यवाद

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत सुंदर....

arvind said...

आँखों से अपने अश्क बहाया न करो,
बेकार अपना नूर गँवाया न करो,
गुम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं,
तिल-तिल के अपना आप मिटाया न करो !

.......बहुत बढ़िया

Akanksha Yadav said...

बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया..खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन प्रस्तुति !

_________________
"शब्द-शिखर" पर इस बार गुड़िया (doll) की दुनिया !

Shiv Kumar Sahil said...

नमस्कार बबली जी ,

मन को छु गई सारी रचनाएं आपकी ... आप मेरे ब्लॉग पर आए और मुझे आपकी रचनायों को पड़ने का सोभाग्य प्राप्त हुआ ....... आपका बेहद शुक्रिया ... "देम्यान बेदनी" जी की एक नज्म से अपने भाव व्यक्त करता हूँ ...


मैं गाता हूँ ,
किन्तु क्या मैं वास्तव में गाता हूँ
मेरी वाणी ने पहचानी
संघर्षों की दुर्दमताएँ
प्रत्येक पृष्ठ पर सीधी-सादी
हैं मेरी कविताएँ
चकाचौंध में मौन
मगन जो आनन्दों में
ऎसे चिकने-चुपड़े श्रोताओं के सम्मुख
वीणाओं की मीठी स्वर लहरी के नीचे
नहीं उठाता मैं अपनी कर्कश आवाज़ें
झिलमिल करते किसी मंच पर
मैं अपनी भर्रायी आवाज़ें वहाँ उठाता
जहाँ रोष ने छल-छन्दों ने
अपना घेरा डाला
शापित भूतकाल ने अपने स्वर का
बे-हिसाब अनुचित उपयोग किया है
मैं नहीं मुलम्मा
कविता के प्रेरक तत्त्वों का
मेरी तीखी पैनी कविता
गढ़ी गई है श्रम के द्वारा
मेहनतकश लोगो
बस तुम मेरे हो
मेरी नाराज़ी का कारण
केवल तुम्हीं समझते हो
मैं सत्य मानता
वह निर्णय जो तुम देते हो
मेरी कविता कभी अवज्ञा
करती नहीं तुम्हारे मन के
भावों की ,आशाओं की ,
मैं निष्ठा से सुनता रहता
हर धड़कन तेरे दिल की !!


बहुत अच्छा लिखते हो आप ... शुक्रिया !!

Sorcerer said...

good one.good one!

रचना दीक्षित said...

वाह !!!!!!!!! क्या बात है

HBMedia said...

बहुत ही अच्छी पोस्ट

अनामिका की सदायें ...... said...

bAHUT SUNDAR SHAYRI. BADHAYI.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बेहतरीन भाव...बहुत सुन्दर प्रस्तुति

dipayan said...

हर बार की तरह एक सुन्दर तसवीर के साथ सुन्दर शेर । बहुत खूब ।

बाल भवन जबलपुर said...

लघु किंतु प्रवाव्शाली पोस्ट

श्यामल सुमन said...

छोटी मगर सुन्दर भाव की रचना।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

sahi baat hai...

hem pandey said...

अपना 'आप' मिटाने की नहीं बचाने की जरूरत है.

KALAAM-E-CHAUHAN said...

khoobsoorat qata hai .........

Dev said...

लाजवाब प्रस्तुती ....

अरुणेश मिश्र said...

सच लिखा है ।

Shri"helping nature" said...

nice and a wonder ful gift of shayriii

pooja said...

really beautiful and emotional....