आँखों से अपने अश्क बहाया न करो,
बेकार अपना नूर गँवाया न करो,
गुम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं,
तिल-तिल के अपना आप मिटाया न करो !
बेकार अपना नूर गँवाया न करो,
गुम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं,
तिल-तिल के अपना आप मिटाया न करो !
Posted by Urmi at 9:44 PM
50 comments:
Nice.
बहुत बढ़िया मुक्तक है!
बधाई!
Hello Babli ji,
Beautiful...
The image is so nice and the lines are perfect!
I just loved it :)
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
Sundar muktak!
What a beautiful post !! Beautiful words and so meaningful !!Thanks for sharing ~~
shayri aur aapki yh photo dono hi ...bahut khoob soorat ...badhyee
शब्दों और चित्र का सुंदर संयोजन ।
नेट की समस्या थी इसलिये ब्लाग जगत से दूर था
बढ़िया सन्देश देती रचना आभार.
बढ़िया !
अश्क तो बहाने के लिये नहीं होते ये तो आँखों में बसाकर रखने के लिये होते हैं
सुन्दर अभिव्यक्ति
badhiya...par laabh ki jagah koi aur urdu shabd ho to aur maza aaye...
बहुत सुंदर .....! आपकी कवितायेँ गागर मैं सागर हैं !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है ! उपदेश भी बढ़िया हैं ... क्यूँ गम सुम रहा जाये .. क्यूँ उदासी में अश्क बहाए जाये ... गम चाहे कितना भी हो चेहरे पे खुशी लाया जाये ...
"गम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं"
- हँसकर जिओ - प्रेरक सन्देश
til til ke mitaya jo khud ko
shayriyon ke phul murjha jayenge
its a good way 2 write
क्या नाईस है जी, बहुत सुंदर
...सुन्दर...अतिसुन्दर!!!
आँखों से अपने अश्क बहाया न करो.
बेकार अपना नूर गँवाया न करो..
वाह....बहुत खूब....सकारात्मक
बढ़िया मुक्तक.
भाव पूर्ण ... अच्छा लिखा है बहुत ही ... तिल तिल कर आने आप को मिटाया न करो ....
Chitr aur rachana...dono bahut khoob!
सुंदर मुक्तक ... बहुत खूब
खूबसूरत मुक्तक ...
बहुत खूबसूरत- चित्र भी, रचना भी...
उम्दा अभिव्यक्ति !
portrait is just awesome!
बहुत बेहतरीन.
रामराम.
"bahut hi badhiya shayari"
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
आपका मुक्तक अच्छा है। इस मुक्तक
में ‘करो’ आदेशात्मक शब्द का प्रयोग कुछ रूखापन का बोध कराता है। लालित्य बढ़ाने के लिए अगर लखनवी लहजा दें जो इसी मुक्तक को ऐसे भी कहा जा सकता है।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
///////////////////////////////////
बेकार अपने नूर को जाया न कीजिए।
अश्कों को आप ऐसे बहाया न कीजिए।।
दुनिया में सिर उठा के चलो कहकहों के साथ-
मायूसियों का साथ निभाया न कीजिए।।
///////////////////////////////////
सुंदर मुक्तक...धन्यवाद
बहुत सुंदर....
आँखों से अपने अश्क बहाया न करो,
बेकार अपना नूर गँवाया न करो,
गुम-सुम उदास रहने से कुछ लाभ नहीं,
तिल-तिल के अपना आप मिटाया न करो !
.......बहुत बढ़िया
बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोया..खूबसूरत भावाभिव्यक्ति...बेहतरीन प्रस्तुति !
_________________
"शब्द-शिखर" पर इस बार गुड़िया (doll) की दुनिया !
नमस्कार बबली जी ,
मन को छु गई सारी रचनाएं आपकी ... आप मेरे ब्लॉग पर आए और मुझे आपकी रचनायों को पड़ने का सोभाग्य प्राप्त हुआ ....... आपका बेहद शुक्रिया ... "देम्यान बेदनी" जी की एक नज्म से अपने भाव व्यक्त करता हूँ ...
मैं गाता हूँ ,
किन्तु क्या मैं वास्तव में गाता हूँ
मेरी वाणी ने पहचानी
संघर्षों की दुर्दमताएँ
प्रत्येक पृष्ठ पर सीधी-सादी
हैं मेरी कविताएँ
चकाचौंध में मौन
मगन जो आनन्दों में
ऎसे चिकने-चुपड़े श्रोताओं के सम्मुख
वीणाओं की मीठी स्वर लहरी के नीचे
नहीं उठाता मैं अपनी कर्कश आवाज़ें
झिलमिल करते किसी मंच पर
मैं अपनी भर्रायी आवाज़ें वहाँ उठाता
जहाँ रोष ने छल-छन्दों ने
अपना घेरा डाला
शापित भूतकाल ने अपने स्वर का
बे-हिसाब अनुचित उपयोग किया है
मैं नहीं मुलम्मा
कविता के प्रेरक तत्त्वों का
मेरी तीखी पैनी कविता
गढ़ी गई है श्रम के द्वारा
मेहनतकश लोगो
बस तुम मेरे हो
मेरी नाराज़ी का कारण
केवल तुम्हीं समझते हो
मैं सत्य मानता
वह निर्णय जो तुम देते हो
मेरी कविता कभी अवज्ञा
करती नहीं तुम्हारे मन के
भावों की ,आशाओं की ,
मैं निष्ठा से सुनता रहता
हर धड़कन तेरे दिल की !!
बहुत अच्छा लिखते हो आप ... शुक्रिया !!
good one.good one!
वाह !!!!!!!!! क्या बात है
बहुत ही अच्छी पोस्ट
bAHUT SUNDAR SHAYRI. BADHAYI.
बेहतरीन भाव...बहुत सुन्दर प्रस्तुति
हर बार की तरह एक सुन्दर तसवीर के साथ सुन्दर शेर । बहुत खूब ।
लघु किंतु प्रवाव्शाली पोस्ट
छोटी मगर सुन्दर भाव की रचना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
sahi baat hai...
अपना 'आप' मिटाने की नहीं बचाने की जरूरत है.
khoobsoorat qata hai .........
लाजवाब प्रस्तुती ....
सच लिखा है ।
nice and a wonder ful gift of shayriii
really beautiful and emotional....
Post a Comment