आँसू को बहुत समझाया तन्हाई में आया करो,
लोगों के बीच आकर हमारा मज़ाक न उड़ाया करो,
ये सुनकर आँसू टपक कर बोले...
भीड़ में भी आपको तन्हा पाते हैं इसलिए चले आते हैं !
लोगों के बीच आकर हमारा मज़ाक न उड़ाया करो,
ये सुनकर आँसू टपक कर बोले...
भीड़ में भी आपको तन्हा पाते हैं इसलिए चले आते हैं !
41 comments:
bahut hi pyara ...
aansu to aa hi jaate hain waqt bewaqt..
A Silent Silence : अब उसका ख्वाब में आना
Banned Area News : Sahitya Akademi declares 'Bal Sahitya Puraskar 2010'
अच्छी पंक्तिया है ......
http://oshotheone.blogspot.com/
To be honest with you, the pictures here impress me equally
आँसूं को बहुत समझाया तन्हाई में आया करो,
लोगों के बीच आकर हमारा मज़ाक न उड़ाया ,ghrey bhv honey ke bawjud bhi byang ka sa ahsaas karati panktiyan,
achchi prastuti hetu abhaar
first of all my heartiest regards. The world of poetry you have created here is just mindblowing.
And thanks for your genereous compliment :)
Till then take care
Sayani
sundar panktiyan.....aansu bola ki jagah bole karen pls.
yeh sunkar aansu tapak kar bola..bheed main bhi aapko tanha paate hain.
bahut sahi baat keh di aapne,yeh tanhai bhi aisi hoti hain,jo hume aansu ke moti de dete hain.
aur haan aapka bahut shukriya meri rachna ko sarhane ke liye.
wow!
very touching... bheed mein tanha to aajkal har koi hi hai
:)
बहुत ही सुन्दर रचना .
बहुत ही बढ़िया!
--
इतना सुन्दर मुक्तक कि प्रशंसा के लिए
शब्द नहीं मिल रहे हैं!
bheer main bhi taNha hai ... kya baat hai
Bahut khub
बहुत ही बढ़िया रचना .
बहुत ही उम्दा लगी अभिव्यक्ति ।
भीड़ में भी आपको तन्हा पाते हैं इसलिए चले आते हैं !
..दिल को छू लेने वाली शायरी.
..बधाई.
उफ्फ्फ........... क्या लिखा है आपने.... बहुत सुंदर.....................
और भीड़ में शामिल होकर भी तन्हा वही होता है
जो यूनिक होता है
ईश्वर जिसकी परीक्षा लेता है
मैं पहले भी कहता था एक बार फिर कहता हूं कि आपकी पोस्ट भले ही छोटी होती है लेकिन काफी बड़ी होती है( उसके फलक में कई बातें समाहित होती है)
आपको बधाई
असल में भीड़ में आप तन्हा होती हैं,इसीलिए आंसू साथ निभाने चले आते हैं।
Such beautiful lines. Hats off dear.
बहुत ही सुंदर.
रामराम.
.
हर तरफ हर जगह, बेशुमार आदमी, फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी।
.
वाह क्या बात कही है...भीड़ में भी आपको तनहा पाते है.....
का बात है!लाजवाब कर दिया!!
कुछ बात तो है इनमे ।
ओए होए...ये वफाई आँसूओं की...क्या बात है!!
भीड़ में तनहा पाते हैं तो चले आते हैं ...
क्या बात है ..!
बहुत खूब ...सुन्दर अभिव्यक्ति
गहरे जज्बात
bahut sundar...
सम्मानिया उर्मी मेम ,
नमस्कार !
सम्मानिया मैं पानी एक छोटी कविता सांझा करना चाहुगा -
'' दो बूंद तेरे चरणों में चदा दी
क्या हुआ आँखों का पानी ही तो है ""
आप के अच्छे ज़ज्बात पढ़े ,
साधुवाद
सादर !
भीड़ में भी आपको तन्हा पाते हैं इसलिए चले आते हैं.........बहुत ही खूब लिखा है...
चलो अब इस से आगे की बात करते हैं....
आँसुओं को कहो
मिल गया है मुभे
अब शब्दों का सहारा
अकेली हूँ या भीड़ में
अब आना न दोबारा !!!
आपका ब्लॉग पढ़ा ....आप बहुत ही सदा और सच्चा लिखती है.. ये आपकी खूबी है..
आपके अब तक पढ़े मुक्तकों में से बेहतरीन मुक्तक ...उम्दा !!!
वाह जी, बहुत दिनों बाद आये आपके ब्लॉग पर और बहुत सी रचनायें पढ ली। लगा जिन्दगी और प्रेम, जुदाई और उसकी पीडा..सब कुछ शब्दों में रचे-बसे से...
Very impressive !
oh.........uf.......main kahin to kahun kya.....??
bahoot khoob babali ji keya darad hai
आँसू को बहुत समझाया तन्हाई में आया करो,
लोगों के बीच आकर हमारा मज़ाक न उड़ाया करो,
ये सुनकर आँसू टपक कर बोले...
भीड़ में भी आपको तन्हा पाते हैं इसलिए चले आते हैं !
क्या बात है, वाह...
एक शेर याद आ गया-
ज़िन्दगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
भीड है क़यामत की, और हम अकेले हैं...
अच्छी प्रस्तुति।
गज़ब कर दिया बबली जी !
बहुत दिन बड़े आपको पढ़ने का अवसर मिला लेकिन पहली ही रचना आँख में आँसू की तरह भर गई.......
बधाई
बधाई
बधाई !
bahut khoob
बहुत सुंदर जी
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