पसंद आये तो दाद जरूर दीजियेगा :) आपकी शायरी न जाने मुझे क्यूं कुछ लिख जाने को ललचा देती है , जब कि इस विधा में मेरे हाथ तंग हैं :) वैसे क्रेडिट तो हमेशा मूल रचनाकार का ही है !
"जाने क्या, समझा वो मुझे, जाने क्या, समझी मैं उसे, फासला नज़र आया, कुछ.. क़दमों के साथ से !" sunder lines aapki "kalam" ko mera sukriya kahena jisne aise khubasurat alfaz kiye hai kaid"
badhai
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
"खेल जगत के माफिया "- सुरेश कलमाड़ी tez news channal per bhi upalabdh
हाहाहाहा चंद कदमों ही सबके बीच के फासले दिख जाएं तो फासलों को दूर करने की पहल जल्दी कर लें. नहीं तो अलविदा ही कह दें जल्दी। देरी में तो देर हो जाएगी न।
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
46 comments:
हम्म! चलो कुछ कदम का साथ तो रहा....
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
स्वरोदय विज्ञान – 10 आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
It is better tofind out early. Good one Babli..
साथ चल कर ही पता चलता है फासले का ...बढ़िया
यही दो कदम जिन्दगी की यादो मै बस गये, बहुत सुंदर
फासले भी तो हौसले का ही परिणाम है
सुन्दर
बिल्कुल सही कहा, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत बढियां
इसे पढ़ कर मुझे कुछ पुराना याद आ गया !
sundar panktiya
jaane kya samjha ki jagah samjhe kardengi to jyaada accha lagega.
waise khubsurat rachna.
aise hi likhte rahiye.
फ़ासला जब नज़र आने लगता है मोहब्बत में
तो ख़ुश होना चाहिए
ये सोच कर
कि प्यार भले ही अँधा हो, आप अंधे नहीं हैं
हा हा हा हा
बढ़िया शायरी.......बधाई बबली जी !
फासला नज़र आया...
कुछ क़दमों के साथ से !
चंद शब्दों मे बडी गहरी बात कह दी।
कम शब्दों में बड़ी बात..एक भावपूर्ण रचना..बधाई
जाने क्या समझा वो मुझे,
जाने क्या समझी मैं उसे,
फासला नज़र आया...
कुछ क़दमों के साथ से !
बहुत खूब...बधाई.
gehri rachnaa...khoobsurat!
होता है! ऐसाभी होता है!!
यब बे दिलों का जहान है,
जरा फासले से मिला करो!
--
आपका शेर अच्छा है जी!
जाने क्या वो समझा मुझे,
जाने क्या मैं समझी उसे,
फासले कुछ दरमियाँ हुए
बस यूं ही साथ चलते हुए
जरा इसे भी देखेंगीं ?
पसंद आये तो दाद जरूर दीजियेगा :)
आपकी शायरी न जाने मुझे क्यूं कुछ लिख जाने को ललचा देती है ,
जब कि इस विधा में मेरे हाथ तंग हैं :)
वैसे क्रेडिट तो हमेशा मूल रचनाकार का ही है !
बहुत सुंदर,बडी गहरी बात कह दी।
समझ समझ की बात को सही समझा । अति सुन्दर ।
सही लिखा है आपने, वैसे भी अपनों का पता रास्ता चलने से और वास्ता पड़ने से ही चलता है।
"जाने क्या, समझा वो मुझे,
जाने क्या, समझी मैं उसे,
फासला नज़र आया,
कुछ.. क़दमों के साथ से !"
sunder lines aapki "kalam" ko mera sukriya kahena jisne aise khubasurat alfaz kiye hai kaid"
badhai
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
"खेल जगत के माफिया "- सुरेश कलमाड़ी tez news channal per bhi upalabdh
बढ़िया!
beautiful thought.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जल्दी समझ में आये तो ठीक
Wo Chalenge Umr Bhar Aap Ke Sath....
Mai Kafi Din Se Bahar Tha .....
Ek Bar Fir Shandar Rachna
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
छोटी पर प्रभावी रचना..बधाई.
ब्लॉग पढ़ा,आपकी रचना देखी.बढ़िया .
वैसे दूरियों में भी नजदीकियां होती हैं.
और नजदीकियों में भी दूरियां होती हैं .
कुँवर कुसुमेश
समय हो तो मेरा ब्लॉग देखें:kunwarkusumesh.blogspot.com
फासला नज़र आया...
कुछ क़दमों के साथ से !
बढिय़ा।
कित्ता अच्छा लिखती हैं आप...बधाई.
बहुत अच्छी लगी यह प्रस्तुति....
Very nice and really impressed
भई ..वाह ..खूब लिखा है.
आभार
good one and then you continue ... like two paralel lines in perfect harmony and peace
बेहद उम्दा ......बहुत खूब !
कुछ कदम चलकर ही समझ आता है..... हकीकत का आइना लगी रचना
Nice capture of this image
Greetings from
Creativity and imagination photos of José Ramón
हाहाहाहा चंद कदमों ही सबके बीच के फासले दिख जाएं तो फासलों को दूर करने की पहल जल्दी कर लें. नहीं तो अलविदा ही कह दें जल्दी। देरी में तो देर हो जाएगी न।
बहुत बढियां
बढ़िया शायरी.......बधाई बबली जी !
wonderful!!
tumharie neh ki baris yh amrit ki boonden hain
inhi boondon se apni pyas sb chatk bujhate hain
sundr rchnayen hardik bdhai
dr.vedvyathit@gmail.com
bahut khub likha babli ji
लाजबाब ।
इन चार पंक्तियों में आपने हृदय ही उड़ेलकर रख दिया । भावों को कम शब्दों में बाँधना कठिन होता है ।सफल अभिव्यक्ति के लिए बधाई
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