चेहरे पे अश्कों की लकीर सी बन गयी,
जो न चाहा था वो तकदीर सी बन गयी,
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
जो न चाहा था वो तकदीर सी बन गयी,
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
Posted by Urmi at 9:46 PM
49 comments:
Humne chalayie thi ret pe ungli,
gaur se dekha to unki tasveer ban gayi hain,
wah!kya likha hain aapne, sundar ati sundar.
aise hi khubsurat ehsaas zindagi ke chahe woh khushi ke ho ya udaasi ke hum tak pahuchate rahiye.
बहुत ही उम्दा .....
बहुत ही ज़बरदस्त .
आभार
बहुत खूब ..तस्वीर बनी ....सुन्दर
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी
बहुत खूब कहा आपने। बधाई।
http://sudhirraghav.blogspot.com/
हमने अपना लोक बसाया,
चारों ओर है अपनी माया।
माया का विस्तार है इतना,
स्वर्गलोक का सार न जितना।
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी
बहुत ही उम्दा...
आज तो कमाल लिख दिया, बबली जी। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
देसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
बहुत खूब .. तस्वीर बन गयी
सुन्दर,अच्छी पंक्तिया
वाह जी वाह ………………॥बहुत ही सुन्दर्।
Wah... bahut khub!
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
वाह ... अंजाने में भी उनका नाम निकलता है .... बहुत खूब ... लाजवाब ...
बहुत सुन्दर हैं चारों पंक्तियां.
Good , very good.
चेहरे पे आंसुओं की लकीर बना देती है
देखते ही देखते तक़दीर बना देती है
भई, कमाल करती हैं उँगलियाँ आपकी
साहिल की रेत पे भी तस्वीर बना देती है
________बहुत ख़ूब !
बहुत ही सुन्दर शब्द, बहुत कुछ कहती पंक्तियां ।
Very sweet!
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
वाह , वाह , ग़ज़ब !
बहुत सुन्दर ।
वाह जी वाह बहुत अच्छी पंक्तिया...
Happy Anant Chaturdashi
GANESH ki jyoti se noor miltahai
sbke dilon ko surur milta hai,
jobhi jaata hai GANESHA ke dwaar,
kuch na kuch zarror milta hai
“JAI SHREE GANESHA”
कमाल का शेर है
tasweer bhi sundar aur likha bhi khoob..likhne se bani tasweer aur bhi sundar...
बहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
बहुत सुंदर.
रामराम.
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
Behatreen panktiyan likhee hai apne Babli ji...hardik shubhkamnayen.
वाह! बहुत खूब!
khub bhalo laglo. tomar ei kobita ta mone koriye dey
SOKHI BHALOBASA KAARE KOI
SE KI SUDHU E JATNAMOY
बेहतरीन शायरी..वाह.वाह..बहत खूब
आपकी रचनायें छोटी होते हुये भी बहुत प्रभावशाली हैं ।
बहुत अच्छी पंक्तियां।
वाह वाह वाह ..क्या खूब कहा है ..वाह.
बहुत ही उम्दा ....
चेहरे पे अश्कों की लकीर सी बन गयी,
जो न चाहा था वो तकदीर सी बन गयी,
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
वह क्या कहने है....
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
....ufff ..lovely lines, sister aapne to kamal kar diya ..clasic .arey mai kya kahu ki kitani acchi panktiyan hai ye the best "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
der se aane ke liye maafi chahta hu
बहुत बढियां ..जस्ट एक्सेलेंट... अब आप एक अजीम शायारा हो गयीं हैं ...भाव और शब्द एक दूसरे से परफेक्ट ब्लेंडिंग में हैं !
wah, kya baat hai!
बहुत खूब फ़रमाया है आपने । अच्छा लगा । वाह ! वाह! कहे बिना नहीं मानेगा मन । शुभ कामनाएं ।
wah.very good.
बहुत सुन्दर तस्वीर बनी रेत पर ऊँगलियाँ चलाने से
वाह !
जब तस्वीर उनका है और पताभी है तो फिरतस्वीर में सवालिया निसान काहे???
मगर सायरी अच्छा है!!
बहुत सुन्दर भाव !!
very nice...
लाजवाब पँक्तियाँ। बधाई।
sunder ....ehsaas.
चंद लब्जों में बेहतरीन प्रस्तुति .
achcha hai...
हमने तो चलायी थी रेत पे ऊँगली,
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर सी बन गयी !
वाह वाह वाह
रेखाएं तो सवालिया हैं, वक्र भी, आपकी दृष्टि है जो लय बिठा लेती है.
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
अच्छी लाइने!..
बहुत ही बढ़िया।
सादर
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