Friday, September 17, 2010


इतना क्यूँ चाहा उसे कि भुला सके,
इतना क्यूँ पास आए कि दूर जा सके,
अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा सके !

39 comments:

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत अच्छा लिखा है...बधाई

शिवम् मिश्रा said...

हम्म बढ़िया विचार है .....पर इतना सोचता कौन है दिल लगाने से पहले !

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके...
बहुत खूबसूरत...बधाई...
आपके ब्लॉग पर रचना के साथ ये चित्र भी बहुत आकर्षित करते हैं.

chitra said...

Bahoot sundar.

रूप said...

shandaar prastuti ,badhai, kabhi mere blog par aaiye.........

Unknown said...

chah ki rah mai itna nahi aasa,
ki sab kuch aap ko yu hi mil jai,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर मुक्तक प्रस्तुत किया है आपने!

Akshitaa (Pakhi) said...

कित्ता प्यारा लिखा आपने..बधाई.
________________________________
'शुक्रवार' में चर्चित चेहरे के तहत 'पाखी की दुनिया' की चर्चा...

shkehar kumawat said...

is muktak par comments dene ke liye mujhe yaha aan ahi pada


bahut khub badhai aap ko is liye

Coral said...

सच बात है ....

मुह्हबत है ही येसी बला ...

बहुत ही खूब आप बहुत ही कम शब्दों में बहुत कुछ कहा जाती हो !

kshama said...

Bahut sachhe dil se likha hai..bas ek aah nikalti hai dilse!

sheetal said...

yeh wo rah hain,jis par na chahte hue bhi chal padte hain,
phir manjil mile na mile iski parwah kaun karta hain,
uski yaad ko dil main sajakar,ab tanhai main waqt gujarta hain,

Bahut sundar

ZEAL said...

जो मज़ा प्यार करने में है, वो प्यार को पा जाने में नहीं।

निर्मला कपिला said...

बहुत अच्छा। शुभकामनायें

ताऊ रामपुरिया said...

सुंदर.

रामराम.

Unknown said...

बबली जी !
वैसे तो किस को कितना चाहना है, इसका कोई गणित ठीक ठीक तय नहीं हुआ है, लेकिन जिस अन्दाज़ से आपने ये खूबसूरत बात अपनी शायरी में कही, वह मन को भा गई......

वाह वाह

बहुत बधाई इस कोमलकांत रचना के लिए...............

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ऐसा ही होता है ..पा लिया तो फिर बेचैनी कहाँ रहती है :)

संजय @ मो सम कौन... said...

प्यार पाना किस्मत की बात है, और न पाये हुये को भी प्यार करते रहना बहुत खुशकिस्मती की बात है।
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ लिखी हैं।
गुस्ताखी माफ़ करें, लेकिन पहली दोनों पंक्तियों में ’की’ को ’कि’ कर लें।
आभार और सॉरी दोनों स्वीकार करें।

मनोज कुमार said...

अच्छी तस्वीर। अच्छी शायरी।

लोकेन्द्र सिंह said...

अच्छी लगा पढ़कर...

shama said...

Babli...char panktiyon me mano ek epic kah jati ho!

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.

राजकुमार सोनी said...

आपकी शायरी में दिन-ब-दिन निखार आता जा रहा है
बेहद उम्दा बन पड़ी है छोटी किन्तु भावपूर्ण रचना
आपको बधाई

BK Chowla, said...

You always write so well and to the point.

vandana gupta said...

बहुत ही खूबसूरत शेर्…………दिल की बात लबों तक आ ही गयी।

sm said...

beautiful poem

Susmita Biswas said...

snigdho anubhuti aar bhabnar sisir sikto sundar kobita.

VIJAY KUMAR VERMA said...

क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके !
मन पर बस नहीं .और यही जिंदगी की खूबसूरती है
बहुत अच्छा लिखा है...बधाई

अजय कुमार said...

दिल से दिल तक

saloni said...

bahut achhi shayri hai

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह! यह भी खूब रही..

Akhilesh pal blog said...

sundar rachana

वीरेंद्र सिंह said...

भई वाह .... बहुत ही उम्दा , बहुत ही शानदार आभार .

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत खूब..........

खबरों की दुनियाँ said...

अच्छी-गहराई , बधाई ।

ASHOK BAJAJ said...

क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके...

बहुत अच्छा। बधाई !!!

ज्योति सिंह said...

अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके
dil par jod nahi hota tabhi aesi gunjaise paida hoti hai .sundar

KK Yadav said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई.

M VERMA said...

चाहना और भूलाना अपने बस में कहाँ?