इतना क्यूँ चाहा उसे कि भुला न सके,
इतना क्यूँ पास आए कि दूर जा न सके,
अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके !
इतना क्यूँ पास आए कि दूर जा न सके,
अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके !
Posted by Urmi at 2:11 AM
39 comments:
बहुत अच्छा लिखा है...बधाई
हम्म बढ़िया विचार है .....पर इतना सोचता कौन है दिल लगाने से पहले !
अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके...
बहुत खूबसूरत...बधाई...
आपके ब्लॉग पर रचना के साथ ये चित्र भी बहुत आकर्षित करते हैं.
Bahoot sundar.
shandaar prastuti ,badhai, kabhi mere blog par aaiye.........
chah ki rah mai itna nahi aasa,
ki sab kuch aap ko yu hi mil jai,
बहुत सुन्दर मुक्तक प्रस्तुत किया है आपने!
कित्ता प्यारा लिखा आपने..बधाई.
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'शुक्रवार' में चर्चित चेहरे के तहत 'पाखी की दुनिया' की चर्चा...
is muktak par comments dene ke liye mujhe yaha aan ahi pada
bahut khub badhai aap ko is liye
सच बात है ....
मुह्हबत है ही येसी बला ...
बहुत ही खूब आप बहुत ही कम शब्दों में बहुत कुछ कहा जाती हो !
Bahut sachhe dil se likha hai..bas ek aah nikalti hai dilse!
yeh wo rah hain,jis par na chahte hue bhi chal padte hain,
phir manjil mile na mile iski parwah kaun karta hain,
uski yaad ko dil main sajakar,ab tanhai main waqt gujarta hain,
Bahut sundar
जो मज़ा प्यार करने में है, वो प्यार को पा जाने में नहीं।
बहुत अच्छा। शुभकामनायें
सुंदर.
रामराम.
बबली जी !
वैसे तो किस को कितना चाहना है, इसका कोई गणित ठीक ठीक तय नहीं हुआ है, लेकिन जिस अन्दाज़ से आपने ये खूबसूरत बात अपनी शायरी में कही, वह मन को भा गई......
वाह वाह
बहुत बधाई इस कोमलकांत रचना के लिए...............
ऐसा ही होता है ..पा लिया तो फिर बेचैनी कहाँ रहती है :)
प्यार पाना किस्मत की बात है, और न पाये हुये को भी प्यार करते रहना बहुत खुशकिस्मती की बात है।
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ लिखी हैं।
गुस्ताखी माफ़ करें, लेकिन पहली दोनों पंक्तियों में ’की’ को ’कि’ कर लें।
आभार और सॉरी दोनों स्वीकार करें।
अच्छी तस्वीर। अच्छी शायरी।
अच्छी लगा पढ़कर...
Babli...char panktiyon me mano ek epic kah jati ho!
बहुत बढ़िया.
आपकी शायरी में दिन-ब-दिन निखार आता जा रहा है
बेहद उम्दा बन पड़ी है छोटी किन्तु भावपूर्ण रचना
आपको बधाई
You always write so well and to the point.
बहुत ही खूबसूरत शेर्…………दिल की बात लबों तक आ ही गयी।
beautiful poem
snigdho anubhuti aar bhabnar sisir sikto sundar kobita.
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके !
मन पर बस नहीं .और यही जिंदगी की खूबसूरती है
बहुत अच्छा लिखा है...बधाई
दिल से दिल तक
bahut achhi shayri hai
वाह! यह भी खूब रही..
sundar rachana
भई वाह .... बहुत ही उम्दा , बहुत ही शानदार आभार .
बहुत खूब..........
अच्छी-गहराई , बधाई ।
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके...
बहुत अच्छा। बधाई !!!
अब तन्हाई में बैठे ये सोचती हूँ...
क्यूँ चाहा उसे जिसे कभी पा न सके
dil par jod nahi hota tabhi aesi gunjaise paida hoti hai .sundar
खूबसूरत अभिव्यक्ति...बधाई.
चाहना और भूलाना अपने बस में कहाँ?
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