सभी नगमें साज़ में गाये नहीं जाते,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते,
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते,
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
Posted by Urmi at 12:32 AM
52 comments:
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते....
bilkul sahi kaha aapne .
sunder post.
P.s.Bhakuni
bahut achchi shayeri hai.sachme kuch dil se bhulaaye nahi jaate.
happy friendship day.
लाजवाब प्रस्तुति
लाजवाब कविता।
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
लाजवाब प्रस्तुति
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
बेशक....
बेहद खूबसूरत शेर....
panga to yahi hai ki woh bhulaye nahin jaate :(
Bikram's
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
वाह , बहुत खूबसूरत बात कही है .
बेहतरीन .
बहुत बढ़िया .. अच्छी प्रस्तुति
वाह ………बहुत सुन्दर्।
ज़िंदा दिल लोग होते हैं जो "...दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !"
बहुत बढ़िया लिखा है.
मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल महफूज़ होतें हैं ,
ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गाया नहीं जाता .
आप से भी खूबसूरत आपके अंदाज़ हैं ,एक बात और बबली जी ,आपने इस विषय पर टिपिया कर एक मौन को तोड़ा है ,देखिए एक भी मोतार्मा ने इस विषय पर नहीं टिपियाया है .जबकी यह मसला असरग्रस्त इन्हें ही तो करता है .शुक्रिया आपका . शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
Erectile dysfunction? Try losing weight Health
...क्या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August 8
Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/
Monday, August 8, 2011
यारों सूरत हमारी पे मट जाओ .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_8587.html
बहुत बढ़िया लिखा.....
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......शानदार |
sunder bhav prabal rachna.
shubhkamnayen.
बहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
सही कहा उर्मि जी कि कुछ लोग भौतिक रूप से पास होकर भी मन के पास नहीं होते और कुछ दूर रहकर भी दिल में घर कर लेते हैं । चन्द पंक्तियों में जीवन की सच्ची अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर दी है ।
हम तो बिना बुलाये आ गए आपकी महफ़िल में!! और यकीन मानिए बे आबरू होकर नहीं निकले हैं!!
आप के लफ्जो का जवाब नही, खुबसुरत लफ्ज....
आपके लफ्जों का जवाब नही.खुबसुरत अन्दाजें बया....
Bahut hi pyari shayri...
Jai hind jai bharat
लाजवाब कविता।
उस लुका-छिपी के खेल में,
सब सखिया छिप गयी थी कही,
मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
जिनको ढूंढ़ रही हूँ...
sahi farmaya ,sundar bhi .
सुन्दर प्रस्तुती
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते
बबली जी सहज सरल सीधी लेकिन सहभावित अभिव्यक्ति .बधाई .कृपया यहाँ भी आयें - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_09.html
Tuesday, August 9, 2011
माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ...(.कृपया यहाँ भी पधारें -)
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
babli jee....kamaal kar diyaa!!
वाह!! वाह!!!जानदार
Kya Baat....
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
Sach hai...
बिल्कुल सही और सुन्दर शब्द
दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते....
लाजवाब,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वाह, क्या खूब लिखा है फ्रेंडशिप डे के मौक़े पर आपने.
मुझे किसी का एक बड़ा मौजूं शेर याद आ गया,सुनियेगा:-
दूर जाकर देखते,नज़दीक आकर देखते.
हमसे हो सकता तो हम तुमको बराबर देखते.
हैप्पी फ्रेंडशिप डे.
A real friend is he who gives his shoulder to lean upon in sorrow.
wah.....kya likh diya.....
bahut sundar.
बहुत खूब कहा है आपने ।
very true ..... :) shashi purwar
वाह ..वाह .....! क्या बात कह दी आपने ....!
बहुत ही बढ़िया।
सादर
wah, kabile tarif sher,
achchha laga.
Very nicely expressed.Loved it.
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
दिलों मे मिलान न हो तो भले ही पास में रहें याद नहीं आते.
अब आप ही देखिये कि आप आस्ट्रलिया में दूर रहते हुए भी किस प्रकार से भारत से जुडी हुईं हैं कि आपको भुलाना भी चाहें तो भुला नहीं सकते.आपका स्नेह,प्रेम और भाव अनुपम है.आप नान-वेज होते हुए भी मुझ जैसे वेज की किसी भी टिपण्णी का बुरा नहीं मानतीं हैं.बल्कि वेज डिश के लिए आमंत्रण देकर मुझे अनुग्रहित करती रहतीं हैं.आपने आस्ट्रलिया के बारे में मेरे ब्लॉग पर आकर अपना अनुभव लिखा,बहुत अच्छा लगा मुझे.
आप जैसी पवित्र और स्नेहपूर्ण भावना वाली मित्र के लिए मैं दिल से नमन करता हूँ.आप यूँ ही सुन्दर उदगारों को प्रकट करती रहिएगा.
अच्छा लगता है,बहुत सकून मिलता है.
बेहतरीन शेर बधाई
" aapki prastuti lajwab hai ..alfaz ko mano sahi jagah par istemal karna koi aapki kalam se sikhe ...BADHAI
NAYI post par aapka swagat hai
http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
बहुत ही सुन्दर
ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है!
!!अवलोकन हेतु यहाँ प्रतिदिन पधारे!!
hamesh ki tarah shaandar,,,badhayee aaur amantran ke sath
Beautiful Words and amazing poem again !! Great!!
बहुत बढि़या..पसंद आई..
बात तो सही है...
Wah! very nice!
स्वतंत्रता-दिवस की मंगल-कामनाएं॥
जय भारत!! जय जवान! जय किसान!!
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असंगठित उपभोक्ता, सुसंगठित उद्धोग।
तय मनमानी क़ीमतें, लुटे जा रहे लोग॥
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
उफ्फ .... क्या गज़ब का मुक्तक ... सच पूर्णतः सच ...
Amazing . realy u have touced my swntiments. keep expressing.
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