Monday, August 8, 2011


सभी नगमें साज़ में गाये नहीं जाते,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते,
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !

52 comments:

Anonymous said...

सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते....
bilkul sahi kaha aapne .
sunder post.
P.s.Bhakuni

Rajesh Kumari said...

bahut achchi shayeri hai.sachme kuch dil se bhulaaye nahi jaate.
happy friendship day.

Dev said...

लाजवाब प्रस्तुति

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

लाजवाब कविता।

ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!

arvind said...

लाजवाब प्रस्तुति

Dr (Miss) Sharad Singh said...

कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !

बेशक....
बेहद खूबसूरत शेर....

Bikram said...

panga to yahi hai ki woh bhulaye nahin jaate :(


Bikram's

डॉ टी एस दराल said...

कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !

वाह , बहुत खूबसूरत बात कही है .
बेहतरीन .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत बढ़िया .. अच्छी प्रस्तुति

vandana gupta said...

वाह ………बहुत सुन्दर्।

Bharat Bhushan said...

ज़िंदा दिल लोग होते हैं जो "...दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !"
बहुत बढ़िया लिखा है.

virendra sharma said...

मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल महफूज़ होतें हैं ,
ये वो नगमा है जो हर साज़ पे गाया नहीं जाता .
आप से भी खूबसूरत आपके अंदाज़ हैं ,एक बात और बबली जी ,आपने इस विषय पर टिपिया कर एक मौन को तोड़ा है ,देखिए एक भी मोतार्मा ने इस विषय पर नहीं टिपियाया है .जबकी यह मसला असरग्रस्त इन्हें ही तो करता है .शुक्रिया आपका . शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
Erectile dysfunction? Try losing weight Health
...क्‍या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August 8
Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/

Monday, August 8, 2011
यारों सूरत हमारी पे मट जाओ .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_8587.html

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बहुत बढ़िया लिखा.....

Dr Varsha Singh said...

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......शानदार |

Anupama Tripathi said...

sunder bhav prabal rachna.
shubhkamnayen.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

सहज साहित्य said...

कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
सही कहा उर्मि जी कि कुछ लोग भौतिक रूप से पास होकर भी मन के पास नहीं होते और कुछ दूर रहकर भी दिल में घर कर लेते हैं । चन्द पंक्तियों में जीवन की सच्ची अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर दी है ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हम तो बिना बुलाये आ गए आपकी महफ़िल में!! और यकीन मानिए बे आबरू होकर नहीं निकले हैं!!

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

आप के लफ्जो का जवाब नही, खुबसुरत लफ्ज....

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

आपके लफ्जों का जवाब नही.खुबसुरत अन्दाजें बया....

SAJAN.AAWARA said...

Bahut hi pyari shayri...
Jai hind jai bharat

vidhya said...

लाजवाब कविता।

ज्योति सिंह said...

उस लुका-छिपी के खेल में,
सब सखिया छिप गयी थी कही,
मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
जिनको ढूंढ़ रही हूँ...
sahi farmaya ,sundar bhi .

sm said...

सुन्दर प्रस्तुती
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते

virendra sharma said...

बबली जी सहज सरल सीधी लेकिन सहभावित अभिव्यक्ति .बधाई .कृपया यहाँ भी आयें - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_09.html
Tuesday, August 9, 2011
माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ...(.कृपया यहाँ भी पधारें -)

Dinesh pareek said...

मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

babli jee....kamaal kar diyaa!!

रचना दीक्षित said...

वाह!! वाह!!!जानदार

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Kya Baat....


कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !
Sach hai...

!!अक्षय-मन!! said...

बिल्कुल सही और सुन्दर शब्द

दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !

Vivek Jain said...

सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते....
लाजवाब,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Kunwar Kusumesh said...

वाह, क्या खूब लिखा है फ्रेंडशिप डे के मौक़े पर आपने.
मुझे किसी का एक बड़ा मौजूं शेर याद आ गया,सुनियेगा:-
दूर जाकर देखते,नज़दीक आकर देखते.
हमसे हो सकता तो हम तुमको बराबर देखते.
हैप्पी फ्रेंडशिप डे.
A real friend is he who gives his shoulder to lean upon in sorrow.

mridula pradhan said...

wah.....kya likh diya.....

sheetal said...

bahut sundar.

सदा said...

बहुत खूब कहा है आपने ।

shashi purwar said...

very true ..... :) shashi purwar

केवल राम said...

वाह ..वाह .....! क्या बात कह दी आपने ....!

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत ही बढ़िया।

सादर

महेन्‍द्र वर्मा said...

wah, kabile tarif sher,
achchha laga.

Kavita Saharia said...

Very nicely expressed.Loved it.

Rakesh Kumar said...

कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते,
कुछ दूर रहकर भी भुलाये नहीं जाते !

दिलों मे मिलान न हो तो भले ही पास में रहें याद नहीं आते.

अब आप ही देखिये कि आप आस्ट्रलिया में दूर रहते हुए भी किस प्रकार से भारत से जुडी हुईं हैं कि आपको भुलाना भी चाहें तो भुला नहीं सकते.आपका स्नेह,प्रेम और भाव अनुपम है.आप नान-वेज होते हुए भी मुझ जैसे वेज की किसी भी टिपण्णी का बुरा नहीं मानतीं हैं.बल्कि वेज डिश के लिए आमंत्रण देकर मुझे अनुग्रहित करती रहतीं हैं.आपने आस्ट्रलिया के बारे में मेरे ब्लॉग पर आकर अपना अनुभव लिखा,बहुत अच्छा लगा मुझे.

आप जैसी पवित्र और स्नेहपूर्ण भावना वाली मित्र के लिए मैं दिल से नमन करता हूँ.आप यूँ ही सुन्दर उदगारों को प्रकट करती रहिएगा.

अच्छा लगता है,बहुत सकून मिलता है.

जयकृष्ण राय तुषार said...

बेहतरीन शेर बधाई

SACCHAI said...

" aapki prastuti lajwab hai ..alfaz ko mano sahi jagah par istemal karna koi aapki kalam se sikhe ...BADHAI

NAYI post par aapka swagat hai

http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post.html

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत ही सुन्दर

ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है!

!!अवलोकन हेतु यहाँ प्रतिदिन पधारे!!

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

hamesh ki tarah shaandar,,,badhayee aaur amantran ke sath

Padharo Rajasthan said...

Beautiful Words and amazing poem again !! Great!!

Udan Tashtari said...

बहुत बढि़या..पसंद आई..

लोकेन्द्र सिंह said...

बात तो सही है...

hamaarethoughts.com said...

Wah! very nice!

डॉ० डंडा लखनवी said...

स्वतंत्रता-दिवस की मंगल-कामनाएं॥
जय भारत!! जय जवान! जय किसान!!
=========================
असंगठित उपभोक्ता, सुसंगठित उद्धोग।
तय मनमानी क़ीमतें, लुटे जा रहे लोग॥
===============
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

दिगम्बर नासवा said...

उफ्फ .... क्या गज़ब का मुक्तक ... सच पूर्णतः सच ...

वीरेन्द्र नारायण सिन्हा said...

Amazing . realy u have touced my swntiments. keep expressing.