Monday, December 12, 2011


पल पल तरसते थे जिस पल के लिए,
वो पल भी आया तो कुछ पल के लिए,
सोचा था उस पल को ज़िन्दगी बनालें,
पर वो पल भी ठहरा तो कुछ पल के लिए !

40 comments:

Neeraj Kumar said...

बहुत सुंदर चित्र है... और पंक्तियाँ तो कमाल की हैं... बेवफा पल-वाह!

kshama said...

Jin palon se zindagee ban saktee hai,wo pal to kabhi thaharte hee nahee...bas beet jate hain!Bahut sundar rachana!

Nirantar said...

zindgee kaa khel
aisaa hee hotaa
ek pal rulaataa
ek pal hansaataa
ek pal lubhaataa

संजय भास्‍कर said...

मन मोह गयी यह सुन्दर पंक्तियाँ...

amrendra "amar" said...

sunder prastuti ke liye badhai
bahut hiu sunder bhav chipa rakhe hai isme
waah

virendra sharma said...

पलों का हासिल ,नखलिस्तान ही तो ज़िन्दगी का हासिल है शेष ज़िन्दगी तो समझौता है .'समझौता एक्सप्रेस' है .आपकी ब्लोगिया टिपण्णी के लिए शुक्रिया .

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

waah,waah,waah !
bahut hi sundar !

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या।

दिगम्बर नासवा said...

पल ही पल में कितने पल समेट लिए लिए आपने ... लाजवाब ...

डॉ टी एस दराल said...

आज तो क्या ग़ज़ब ढाया है .
पढ़कर बड़ा आनंद आया है .
बधाई .

Rahul Bhatia said...

बहुत सुंदर पंक्तियाँ.बधाई .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यह पल पल का ही खेल है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन।

सादर

sheetal said...

bahut sundar panktiya.

Nidhi said...

सुन्दर!!

रविकर said...

अति सुन्दर |
शुभकामनाएं ||

dcgpthravikar.blogspot.com

Kunwar Kusumesh said...

आपकी कविता ने एक गाना याद दिला दिया.
गाना है:-
पल पल दिल के पास तुम रहती हो..............

जीवन और जगत said...

बढि़या। काश ऐसा हो सकता जैसा एक शायर ने कहा है- एक अटका हुआ है पल शायद। वक्‍त में पड़ गया है बल शायद।

Unknown said...

waah !

anupam !!!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

आपकी ये रचना मुझे बहुत अच्छी लगी,..बधाई

पोस्ट पर आने के लिए आभार...

नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,

Rajput said...

पर वो पल भी ठहरा तो कुछ पल के लिए ...
खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति .
बहुत सुंदर

ज्योति सिंह said...

bahut hi badhiya likha hai ,tasvir achchhi lagi .

sm said...

पर वो पल भी ठहरा तो कुछ पल के लिए !
nice
just remembered song pal pal dil ke pass tum

hamaarethoughts.com said...

oye hoye..
Lovely.. remembered somethin ..in the past :))
nice as usual.. few words but very real!!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

ज़रा कम शिद्दत से पढता हूँ आपकी हर रचना....
सोचता हूँ थोड़ी बचा लूं आने वाले कल के लिए....

Kavita Saharia said...

Beautiful verses as always.Hope you are doing good Babli.

Rajesh Kumari said...

vaah bahut khoob pal khud itna chanchal hota hai ki kahin bhi thaharta nahi.

अशोक सलूजा said...

बहुत सुंदर ....!
पल-पल काटा इस एक पल के
इतजार में ....!
बधाई !

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

aaj to kamal ho gaya ..behtarin ..ek shabd ka badi hee khubsurti ke sath prastut kiya hai..dher sari badhayee

SACCHAI said...

wah ! adbhut shyari

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बहुत सुन्दर भाव!! दिल से निकले हुए!!

Naveen Mani Tripathi said...

sundar .... maja aa gaya ...sadar aabhar .

Rakesh Kumar said...

आपने तो बच्चन जी की मधुशाला
याद दिला दी


कल कल करता बीत गया कल
कल है फिर आने वाला

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार,उर्मी जी.

Mamta Bajpai said...

बहत खूब ...अनुप्रास अलंकार का अच्छा तालमेल तालमेल ..बहुत सुन्दर रचना

Ramakrishnan said...

Absolutely wonderful & so meaningful. I am reminded of visits to Tirupati. We wait endlessly for the darshan but when we reach the sanctum of Sri Venkatachalapathy the time for darsan is so short. Before you know it they usher you out - but we come out with great satisfaction and really savor those few precious moments before the Lord Almighty!

Sunil Kumar said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई

Rajeev Panchhi said...

Oh..ho..great! really I liked it very much!

प्रेम सरोवर said...

आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

‘पल‘ शब्द का बहुत सुंदर आलंकारिक प्रयोग करने से कविता में चार चांद लग गए हैं।

सहज साहित्य said...

पल पल तरसते थे जिस पल के लिए,
वो पल भी आया तो कुछ पल के लिए,
पल के महत्त्व को आअप्ने बहुत खूब्सूरती से पिरोया है । मेरी हार्दिक बधाई, इन पंक्तियों के लिए-
पल पल तरसते थे जिस पल के लिए,
वो पल भी आया तो कुछ पल के लिए,