न जाने कौन हैं हम, न जाने क्या है मेरी पहचान, कोई तो हो जिसे हम कह सके अपना, हम जिसके लिए न रहे अंजान ! खूब सूरत है ये भाव कणिका विविधरूपा नारी सी .साज में श्रृंगार में .
आपके पोस्ट पर आकर का विचरण करना बड़ा ही आनंददायक लगता है । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
50 comments:
उर्मी जी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर बन रही हैं आज कल ..आप इस में माहिर हैं ..आप की छवियाँ बोलती है ....
जय श्री राधे
भ्रमर ५
bahut khub mubarak ho
बहुत बेहतरीन............
sunder rachna ...
बढ़िया भाव.
बिल्कुल सही कहा, हम कौन हैं, स्वयं नहीं जानते !
very nice.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना......
welcome to new post--जिन्दगीं--
सार्थक कामना ।
शुभकामना जी ।
vo kahi nahi bas hain yahi
dhalti shaam mein to
kaali raato mein kahi
nice shayari urmi
waah waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah !
आज फलसफाना शायरी!!
बहुत सुंदर क्षणिका.....काफी वक़्त के बाद आपके ब्लॉग पर आना हो पाया पर पढ़ के आज भी एक नयापन है....आपको एवं समस्त परिवार को नव वर्ष की शुभकामनायें
naa so sakaa naa jaag sakaa
kisi apne kee talaash mein
nirantar bhataktaa rahaa
zindgee yun hee gujaartaa rahaa
nice..very beautiful!
कोमल भाव सुंदर रचना |
जी हाँ कोई एक ऐसा होना ही चाहिए
सुन्दर
समस्या... सबकी यही कामना
बहुत सुन्दर ..!
Beautiful lines
बहुत बढ़िया प्रस्तुति|
दूसरा जितना मुझे जानता है
उतना मैं स्वयं नहीं जानता
इसीलिए चाहत है दूसरे की
जिसके लिए मैं अजनबी न हूं
और वह मेरे लिए अंजान न हो
बहुत सुंदर मुक्तक!!!
न रहे अंजान
बहुत बेहतरीन
very good.
Wah,Babli,wah!
भावों से नाजुक शब्द.
बहुत सुंदर रचना!
ekdam sachhi bat kahi hai apne....
apke blog par aakar dil khush ho gaya....
Beautiful shayari. So simple yet so meaningful.
waah bahut khub
बेहतरीन रचना.
नव वर्ष की शुभकामनायें
न जाने कौन हैं हम,
न जाने क्या है मेरी पहचान,
कोई तो हो जिसे हम कह सके अपना,
हम जिसके लिए न रहे अंजान !
खूब सूरत है ये भाव कणिका विविधरूपा नारी सी .साज में श्रृंगार में .
आपके पोस्ट पर आकर का विचरण करना बड़ा ही आनंददायक लगता है । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
कोई तो हो जिसे हम कह सके ं अपना -बहुत भावपूर्ण पंक्ति है। यही तो जीवन की पहचान है कि अपनापन हमको अतिरिक्त शक्ति प्रदान करता है ।
bahut umda likha hai.badhaai.
बहुत बढि़या
कल 11/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, उम्र भर इस सोच में थे हम ... !
धन्यवाद!
बेहतरीन,अति सारगर्भित
vikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....
बेहतरीन।
सादर
यहाँ भी वही प्रतीक्षा ही तो है. इंतज़ार ख़त्म हो जाना भी बड़ा डरवाना हो सकता है. सुन्दर रचना. आभार.
बहुत खूब ..सुन्दर प्रस्तुति
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति!
क्या बात है |
बहुत खूब... शानदार....
सदा जी की हलचल में आपकी प्रस्तुति को देखकर बहुत प्रसन्नता मिली.
मकर सक्रांति और लोहड़ी की शुभकामनाएँ.
बहुत सुंदर सारगर्भित प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....
आप भी फालोवर बने तो मुझे हार्दिक खुशी होगी,...
सुन्दर, अति सुन्दर।
चंद लाइनों में बड़ी बात।
कमाल की कल्पना शक्ति।
बधाई........
सार्थक विचार और बेहतरीन प्रस्तुति.
bahut khoob kaha..
god willing there will be someone for somebody ..
Bikram's
bahut sundar.!!!
न जाने कौन हैं हम,
न जाने क्या है मेरी पहचान,
कोई तो हो जिसे हम कह सके अपना,
हम जिसके लिए न रहे अंजान !
सुन्दर है यह भाव कणिका किसी प्रसन्न बदना सी .
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