Monday, January 30, 2012



जज़्बात
बहकता है जब तुमसे मिलती हूँ,
अरमां मचलता है जब तुमसे मिलती हूँ,
हाथों से हाथ और होठों से होंठ मिलते हैं,
दिल से दिल मिलते हैं जब तुमसे मिलती हूँ !

39 comments:

kshama said...

Bahut sundar!

Nirantar said...

ek ho jaate hein ham donon
jab bhee ham milte hein
wah

दिगम्बर नासवा said...

Jab jajbaat aur arman mil Gaye to Baki kya rah Gaya ... Bahut khoob ...

शिवम् मिश्रा said...

बहुत खूब ... बढ़िया भाव !

डॉ टी एस दराल said...

How Romantic !

vandana gupta said...

सुन्दर भाव

सदा said...

बेहतरीन ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

उर्मी जी,..आपकी इस रचना को मै कुछ इस तरह से प्रस्तुति कर रहा हूँ,....

जज़्बात बहकता है जब, तुमसे मिलती हूँ,
अरमां मचलता है जब, तुमसे मिलती हूँ,
मेरे मासूम नन्हे से दिल को,समझाए कौन
बेकाबू होने लगला है तब, तुमसे मिलती हूँ !

शायद आपको पसंद आए,.....
मन के उठते विचारों की अच्छी प्रस्तुति...

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह ...बहुत बढिया

arvind said...

बहुत खूब ... बढ़िया भाव !

नीरज गोस्वामी said...

BEHTARIIN BHAV..WAAH...

NEERAJ

sheetal said...

jab jab aapki shayri padhti hun,
ek alag duniya main chali jaati hun.
isi tarah likhte rahe aap,
is rachna ke liye aapko badhai dena
chahti hun.
waise urmi ji aapki shayri sab behtarin hoti hain par aapke dwara banaye sketches to kya kehne.
waise main bhi kabhi chitrakari karti thi..maine apne blog par apne dwara banayi gayi do sketches post kiye hain aur ek rachna bhi post ki hain.to jabhi waqt mile aaiye.

मेरा मन पंछी सा said...

लाजवाब उर्मी जी .
बहूत सुंदर शायरी है ...

Anonymous said...

wah wah wah...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Sunder Panktiyan

hamaarethoughts.com said...

very romantic!
:)

Bharat Bhushan said...

बहुत सुंदर लिखा है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मधुमास के अनुकूल सुन्दर मुक्तक!

virendra sharma said...

असली प्रेम मिलन यही है मन से मन मिले शरीर
का अतिक्रमण करके .

सूत्रधार said...

आपके उत्‍कृष्‍ठ लेखन का आभार ।

Kailash Sharma said...

बहुत सुंदर...

मनोज भारती said...

अति-सुंदर!!!भावपूर्ण...प्रेम के क्षणों का सुंदर चित्रण

Rakesh Kumar said...

प्रिया-प्रियतम मिलन में प्रियतमा के अहसासों का बहुत सुन्दर चित्र प्रस्तुत किया है आपने.

सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.

आभार.

Shilpa Mehta : शिल्पा मेहता said...

beautiful ...

amrendra "amar" said...

बहुत सुन्दर रचना..

पीयूष त्रिवेदी said...

Very Nice ... Plz Visit:- http://hindi4tech.blogspot.com

Anonymous said...

beautiful :)

लोकेन्द्र सिंह said...

वाह! भई क्या बात है। आनंद आ गया।

sm said...

दिल से दिल मिलते हैं जब तुमसे मिलती हूँ
बहुत खूब

Kunwar Kusumesh said...

बहुत सुन्दर रचना है.

Udan Tashtari said...

बहुत खूब .

महेन्‍द्र वर्मा said...

वाह,
सुंदर भावाभिव्यक्ति।

रचना दीक्षित said...

सुंदर प्रस्तुति.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

वाह!!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ,अच्छी रचना

NEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....

संजय भास्‍कर said...

वाह! बहुत खूबसूरत जज्बात उकेरे हैं आपने.

Madhuresh said...

वाह! बहुत खूब!

Ramakrishnan said...

Incredibly romantic.

प्रेम सरोवर said...

यह तो दिल ही है जो हमें एक दूसरे से मिलने के लिए बाध्य करता है । बहुत सुंदर । Welcome to my new Post.

Vinay said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।

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