Monday, January 23, 2012


वो आए उनकी याद वफ़ा कर गई,
उनसे मिलने की चाह सुकून तबाह कर गई,
आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई !

35 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया मुक्त लिखा है आपने!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट....अच्छी लगी
new post...वाह रे मंहगाई...

virendra sharma said...

वो न आए उनकी याद वफ़ा कर गई,
उनसे मिलने की चाह सुकून तबाह कर गई,
आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई !
सुन्दर प्रस्तुति .इसे भी पढ़ें -
अंदाज़ हु -बा -हु उनकी आवाज़े पा का था ,बाहर निकलके देखा तो झोंका हवा का था .
आवाज़े पा का मतलब पैरों की आवाज़ पदचाप .

Rakesh Kumar said...

यह मुई हवा भी मजाक कर गई.
वाह!
पर प्यार में क्या कुछ नही होता.
आपकी प्रस्तुति प्यारभरी प्यारी सी है.

nilesh mathur said...

वाह! क्या बात है।

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाब बहुत बढिया

डॉ टी एस दराल said...

मज़ाक हमसे हवा कर गई !

बहुत खूब कहा है ।

Nirantar said...

aapne sochaa aapke saath hee aisaa huaa hai
mohabbat mein doobe har shakhsh ke saath aisaa hee huaa hai

Rajesh Kumari said...

vaah....kya baat hai.

Rajput said...

बहुत सुंदर रचना.
आपकी इन पंक्तियों पे किसी शायर का एक शेर याद आता है .


मेरी हर आहट पे तेरा ध्यान है ।
ज़िन्दगी तेरा बड़ा एहसान है ।

मेरा मन पंछी सा said...

wah
bahut sundar lajvb..

रचना दीक्षित said...

सुंदर मुक्तक हर बार की तरह.

बधाई.

दिगम्बर नासवा said...

Vaah kya baat hai ... Hava ka haseen mazaak ... Lajawab ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मासूमियत से भरी कविता!!

जीवन और जगत said...

हवा नहीं 'पवनदूतिका' कहिए जो उनकी महक लेकर आई थी।

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

विभूति" said...

सुन्दर अभिव्यक्ति.

नीरज गोस्वामी said...

WAAH...WAAH...WAAH...

kshama said...

Kya baat hai Babli!

Bharat Bhushan said...

हवा का क्रूर मज़ाक..... सुंदर पंक्तियाँ.

hamaarethoughts.com said...

wah wah!
yeh hwayien bhi ajeeb hai...
har kisi sey chedkhani karti hai!
:)

लोकेन्द्र सिंह said...

मजाक हमसे हवा कर गयी... बहुत खूबसूरत....

सूत्रधार said...

आपके इस उत्‍कृष्‍ठ लेखन का आभार ...

।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।

virendra sharma said...

सुन्दर प्रस्तुति .हवा का मानवीकरण ,पवन दूतिका बना दिया हवा को .वाह .

Monika Jain said...

wah bahut khoob...

vikram7 said...

आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई !
वाह....कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाती हैं आप
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

Rahul Bhatia said...

बहुत सुंदर रचना!

अशोक सलूजा said...

बहुत खूब ! खूबसूरत अश'आर! बधाई कबूले |
शुभकामनाएँ!

Ramakrishnan said...

Wah khoobh. Bahut badhiya.

sm said...

उनसे मिलने की चाह सुकून तबाह कर गई
बहुत बढ़िया

amrendra "amar" said...

सुंदर अभिव्यक्ति..

Sufi said...

आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई !
Waah Waah Awesome....

Shanti Garg said...

बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
बसंत पचंमी की शुभकामनाएँ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

लगता है पंक्तियों को पढ़कर चित्रकार ने चित्र बनाया होगा।
अनुपम !

Ankita said...

lovely! I loved every line and the essence of the shayari..when we long for someone so desperately, every things seems to intimate his arrival