Monday, January 16, 2012


जिसे दिल--जान से चाहा,
उसे अपना बना पाया,
अब पूछ रहा है वीराना,
क्या पाया बनके दीवाना ?

30 comments:

ASHOK BIRLA said...

क्या पाया बनके दीवाना ? pata nahi yeto ..par rachna bahut sundar hai !!

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जिसे दिल-ओ-जान से चाहा,
उसे अपना न बना पाया,
अब पूछ रहा है वीराना,
क्या पाया बनके दीवाना!!!!!!!वाह वाह बहुत खूब

बहुत सुंदर प्रस्तुति,अति उत्तम अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,

संजय भास्‍कर said...

अब पूछ रहा है वीराना,
क्या पाया बनके दीवाना ?
.........वाह बहुत खूब

Bikram said...

Mann ko to saari umar
DHakkon ne maara

Dushmano ko kya kahen yahan
to apno saggon ne Maraa



BEautiful loved this
Bikram's

डॉ टी एस दराल said...

दीवानों से ये मत पूछो ! :)

Anupama Tripathi said...

marmsparshi bhav ....

Nirantar said...

mohabbat ke safar mein
aksar aisaa hotaa
chaahne waale kaa
har khwaab pooraa nahee hotaa

दिगम्बर नासवा said...

Kuch hansil nahi hota diwana ban ke ... Lajawab likha hai ...

कुमार संतोष said...

Bahut sunder, behad umda.

Ramakrishnan said...

Beautiful expression.

मेरा मन पंछी सा said...

diwano ki halat diwane janate hai
jalane me kya maja hai parwane janate hai
behtarin rachana hai

रचना दीक्षित said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति. बधाई.

kshama said...

Wah Babli,wah!

vandana gupta said...

वाह बहुत सुन्दर ।

Kunwar Kusumesh said...

अब पूछ रहा है वीराना,
क्या पाया बनके दीवाना.....दीवानगी पाई और क्या.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

deewane hain....deewano kao na ghar chahiye....na dar chahiye...muhabbat bhai ik nazar chahiye

Rakesh Kumar said...

दीवाने वीराने की कब परवाह करते हैं.
बल्कि वीराने दीवानों से ही आबाद
होते हैं,उर्मी जी.

सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार जी.

Jeevan Pushp said...

वाह ! बहुत खूब ..!
सुन्दर प्रस्तुति !

virendra sharma said...

जिसे दिल-ओ-जान से चाहा,
उसे अपना न बना पाया,
अब पूछ रहा है वीराना,
क्या पाया बनके दीवाना ?
सुन्दर प्रस्तुति है -ये मेरा दीवाना पन है या मोहब्बत का सुरूर ,तू न पहचाने तो है यह तेरी नजरों का कुसूर ,दिल को है तेरी तमन्ना दिल को है तुझसे ही प्यार ,तू चाहे आये न आये हम करेंगे इंतज़ार ,ऐसे वीराने में एक दिन घुट के मर जायेंगे हम ,चाहे फिर जितना पुकारों ,फिर नहीं आयेंगे हम ,ये मेरा दीवाना पन है -मुकेश का गाया यहूदी की बेटी फिल्म का गीत है यह जो बरबस आपकी रचना पढ़ते पढ़ते हम कब गुनगुनाने लगे पता ही न चला .

avanti singh said...

वाह ...बहुत खूब ।

Dimple Maheshwari said...

bahut khub

hamaarethoughts.com said...

very nice ..sara nassebon ka khel hai ...Dost
awesome !!

Rajesh Kumari said...

ab poochh raha hai veerana kya paya ban ke deevana.....vaah laajabaab sher.

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर रचना ,बेहतरीन प्रस्तुति,लाजबाब ,,,,,
welcome to new post...वाह रे मंहगाई

shama said...

Behad achhee rachana!

Anonymous said...

bahut khoob wah wah

प्रेम सरोवर said...

बहुत सुंदर कविता। मन को छू गयी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

महेन्‍द्र वर्मा said...

ऐसा अक्सर होता है।
बहुत बढि़या।

Breast Cancer Hospitals Jaipur said...

good work, I will consider your tips