इकरार में शब्दों की एहमीयद नहीं होती,
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती,
आँख बयां कर देती है दिल की दास्ताँ,
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती!
दिल के जज़्बात की आवाज़ नहीं होती,
आँख बयां कर देती है दिल की दास्ताँ,
मोहब्बत लफ्जों की मोहताज नहीं होती!
2 comments:
nice drawing.
and the expressions in the
poem is old and not sharp.
create exact pain.
have a good day.
I like it that the sadness is not there in the poem..why shud all romantic poems be sad? You are rocking!!
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