न समझ सका मुझे कोई ये बड़ी अजीब बात है,
ए ज़िन्दगी तू ही बता दे क्यूँ तू इतनी उदास है?
हवाएं भी रुख बदल चुकी, वो बहार भी जाती रही,
दर्द बेशुमार है, मैं चाहूँ अगर तो किससे कहूँ?
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की,
वही ख्वाब है वही ज़िन्दगी जिसकी मुझे तलाश है !
ए ज़िन्दगी तू ही बता दे क्यूँ तू इतनी उदास है?
हवाएं भी रुख बदल चुकी, वो बहार भी जाती रही,
दर्द बेशुमार है, मैं चाहूँ अगर तो किससे कहूँ?
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की,
वही ख्वाब है वही ज़िन्दगी जिसकी मुझे तलाश है !
31 comments:
जो करीब था वही दूर है,जो दूर है वही ख़ास है...!सही कहा...न जाने क्यूँ ख़ास लोग इतने दूर चले जाते है की केवल यादें ही करीब रहती है और रह रह कर तडपाती है...!शायद यही नियति है इस जीवन की...
यादों, स्मृतियों और दूरियों को लेकर सुन्दर पंक्तिया बुनी है.
kya baat hai....aapka koi jawab nhi urmi ji....fabulos ghazal
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की,
bhut khub.
shayd vo dur hai isliye vo hmare pas hai .
बबली जी आपने आपने दिल की बात को सुन्दर शब्दों में अपनी रचना में ढाला है...बधाई...
हवाएं भी रुक बदल चुकी...रुक नहीं होता रुख होता है इसे ठीक कर लें...
नीरज
Thanks for your comments...
All your creations are beautiful to eyes and mind...
बबलीजी!
आपने बहुत ही सरल भाषा मे ज़िन्दगी कि सुन्दर व्यख्या कि है-आभार
हे प्रभु यह तेरापन्थ और
मुम्बई टाईगर
कि और से मगल भावना।
बहुत सुन्दर.
गुलमोहर का फूल
wonder full mind blowing Urmi ji congratulations
fantastic Urmi!! Have visited your new blog but cannot comment there as the setting does not allow..
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की,
bhut khub. आभार बबली जी
abhvyakti jab bhi kavya roop me vyakt ki jati he, usme ek tarah ka bhav reesne lagta he/ gazalo me amooman maatrao aadi ki maathapachchi bahut hoti he,,us drashti se dekhne me aapke dvara vyakt bhavnao ka maza jaataa rahega, lihaza sirf aapke bhavo ki meethaas ko paane shbdo me utar jaaye to aanand milna hi he// bahut sundar tarike se aapne apni baat kahi he,
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
ye pankti laazvaab he, shayad is poori rachna ki khaas pankti bhi he///
aapke do anya blog par bhi bhraman kar aayaa// khanaa masaala me apni ruchi sirf khaanebhar se he//banane me ruchi nahi he/ hna itna laziz bhojan mil jaaye to kya baat he//read kar muh me paani bhar aayaa,,,kaash swad bhi milta, kher bahut achha laga blog, doosre blog par aapke bhaav bhi pasand aaye/aap bahumukhi pratibha he..yah jaan kar achha laga///ishvar aapko unnati pradaan kare/
मालूम नहीं चल पाया ,,,क्या वाटर कलर्स हैं,,,
पर लाजवाब ,,,हमेशा कीतरह,,
खूबसूरत,,
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की,
खूबसूरत बुनी है ये रचना..................
अक्सर जो करीब होता है वो ही दूर और ख़ास होता है.....लाजवाब
आपके ब्लाग पर आकर बहुत अच्छा लगा. वाकई गुलदस्ता-ए-शायरी है. एक जिग्यासा है कि ब्लाग पर चित्र क्या आपके द्वारा ही बनाये हुये है.
sundar|adhbhut|dilkash|
W A A A A A A A A A A H
hey nc shayri n one more thing thnx for following my blog thank you so much. :))
bahut khoob Babli.....kaise likh leti ho itni sundar kavitaayen!!
वाहवा.. बबली जी, ये भी खूब रही..
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की,
वही ख्वाब है वही ज़िन्दगी जिसकी मुझे तलाश है !..
bahut hee umda lainen .
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
वही ख्वाब है वही ज़िन्दगी जिसकी मुझे तलाश है !
बबली
अब तुम्हारे लिखने में रंग आने लगा है
door rahun ya bhaut door hoon,
mujhe itnaa to vishwaas hai...
tujhe mere wajood kaa, mujhe tere astitva kaa,.
apne bheetar hee ehsaas hai.....
mere adhron pe tere naam kee,
ye jo chhui-anchhui pyaas hai,
dino,salaon,yugon aur janmon se
tujhe meri,mujhe teri talaash hai...
pehle bhee keh chukaa hoon aapkee kalam mein ek sammohan hai...
aur haan main jo bhee aapko padh kar likhtaa hoon ve bhaav shabd aapke hee hain, isliye ijaajat kee jaroorat nahin .,. jo bhee man kare aap behichak karein
Beautiful pictures..
एहसास ज़िन्दगी का अभी मेरे पास है
फिर भी किसी ख्वाब की मुझे तलाश है
दिल के भावों को यूं छिपाये कोई,
चोट खाकर भी गुन गुनाये कोई ।
जब कहते हेंकि हम हें आपके तो,
गमे-दिल हमको भी बताये कोई ।
naa to door naa hee pas
gar rahe rishton ka ehsas
sundar !
जो करीब था वही दूर है, जो दूर है वही खास है,
उम्मीदें भी जाती रही अब तो उसके आने की...
chaliye nirashaa me bhi ek aasha ki kitan bachi hai aane ki.....
this is the rule of nature....
bahut hi sundar.rishton ka aapko bahut achche se ehsas hai.kabhi hamare blog par bhi daste de.
bahut hi khubsurat rachana...
isse jyada tariph me kya kahu...
रोचक और सुन्दर है
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