मुददत हो गई है उन तन्हाइयों को गुज़रे,
अब भी इन आंखों में वो खामोशियाँ क्यों है?
तोड़ दिया जिसने मोहब्बत पर से यकीन मेरा,
अब भी वो प्यार के काबिल क्यूँ है?
अब भी इन आंखों में वो खामोशियाँ क्यों है?
तोड़ दिया जिसने मोहब्बत पर से यकीन मेरा,
अब भी वो प्यार के काबिल क्यूँ है?
17 comments:
muhobbat gar muhobbat hai muhobbat hi rahegi
dooriyan ,tanhaaiyan aur gam sahegi
bhale kar de juda duniya,unhen phir yaad karke
krishna radha ki tarah ,pyaar bhi unko karegi
achcha likh rahi hain aap.
bas itna kahoongi..........waah babli waah!!!!!
Kyaa baat hai..
Truly fantastic..how do you write so well and so frequently..it must be some kind of record!!
अब भी इन आंखों में वो खामोशियाँ क्यों है?.....
nice picture....khamoshiyan to dikh hi jaati hai....
मुददत हो गई है उन तनहाइयों को गुज़रे,
अब भी इन आंखों में वो खामोशियाँ क्यों है?
बहूत ही गहरी बात..............पर अक्सर ऐसा होता है............तन्हाइयां अपना एहसास कराती रहती हैं.............किसी न किसी अंदाज़ से .......लाजवाब लिखा
iska jawab to aaj tak kisi ke paas nahi hai. phir meri bisat hi kya hai
मुददत हो गई है उन तनहाइयों को गुज़रे,
अब भी इन आंखों में वो खामोशियाँ क्यों है?
तोड़ दिया जिसने मोहब्बत पर से यकीन मेरा,
अब भी वो प्यार के काबिल क्यूँ है?
प्रेम और बेवफ़ाई से भरे भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति...
कहते है जब दिल टूटता है तो सिर्फ़ दिल ही नही ज़िन्दगी भी खामोश हो जाती है । अच्छी लगी ये पोस्ट बिल्कुल दिल के करीब थी ...............
kya kahne aapke urmi .....ji dil baag baag ho gaya
खूबसूरत तस्वीर के साथ उम्दा ख्याल,,,,,,,
उर्मी जी,
भाव भरी हुई बंदिश। आँखों में सिमटी हुई खामोशियाँ बहुत कुछ ख जाती हैं अनकहा भी।
मुकेश कुमार तिवारी
amosshi hi bhut kuch kah jati hai.
चाहे खामोशियान या हो तन्हाइयान
प्यार मे चाहे हो कोयी रुस्वायियान
काब्लियत की कोयी मोहताज़ नहीन
प्यार की हद मे कोयी ना पाबन्दियान.
ishq ek aag kaa dariyaa hai
phir bhee doob kar jaate hai
ishq aatish hai jo lagne par
bujhaaye nahi bujhtee
phir bhee ishq ishq he ishq.
बबली जी आपकी हर कविता में एक कशिश होती है जो अपनी तरफ खींच लाती है
इतना ही कहूँगी लाजवाब बधाई
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