Sunday, July 26, 2009


अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !

43 comments:

M VERMA said...

दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
अनुभूति की पीडा को बखूबी बयान किया है आपने.
चित्र हमेशा की तरह लाजवाब.
बहुत खूब

Udan Tashtari said...

बहुत खूब...

यह चित्र आपने बनाया है क्या? बहुत सुन्दर है.

Murari Pareek said...

बहुत खुबसूरत बबली जी | सुन्दर रचना के साथ चित्र भी मन को मोह लेने वाला है !!

रंजन said...

इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !..


खुब!!

ARUNA said...

wah wah Babli....tumhari taareef karne ke liye ab mujhe naye shabd talaash karne padenge!!! Bahut khoob yaar!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya baat hai...
dil se likhi hui baat hai ji...
keep rolling...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया शायरी है, बबली जी!
30 साल पहले मैंने भी कुछ ऐसा ही लिखा था।
आप देखें-

पागल हो तुम मेरी प्रेयसी,
मैं तुमको समझाऊँ कैसे?
पल-पल सुलग-सुलग जलता हूँ,
यह तुमको बतलाऊँ कैसे?

चन्दा और चकोरी जैसा,
मेरा और तुम्हारा नाता,
दोनों में है दूरी इतनी,
मिलन कभी नही है हो पाता,
दूरी की जो मजबूरी है,
मजबूरी जतलाऊँ कैसे?

mehek said...

तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
waah lajawab,ye dil bhi khambakht...dard bahut deta hai.

Kavita Saharia said...

Very beautifully expressed.As always the pic. is perfect too.

Saiyed Faiz Hasnain said...

दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
best of luck babli ji ....likhti rahiye isi taraha.......

adwet said...

बहुत सुंदर लिखा आपने

मुकेश कुमार तिवारी said...

उर्मी जी,

अब यही दूरियाँ मुकद्दर हैं......

पंक्ती बहुत कुछ कह जाती हैं, अव्यक्त दर्द भी।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

Sumandebray said...

bahut khub.. bahut khub...
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,

There is so much depth in this .....

admin said...

khwaabon ko sajaana nahi,
khwaab to khud hee ek saja hai.
jin dooriyon ka dard na ho
Un dooriyon ka kya maja hai?

दिगम्बर नासवा said...

aansuon से bhari आँखों में khwaab नहीं sajte.............. लाजवाब लिखा है .........

Vinay said...

ह्रदयस्पर्शी भाव!
---
शैवाल (Algae): भविष्य का जैव-ईंधन

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,

खुबसुरत रचना।

jamos jhalla said...

dil ke armaan aansuon me bah jaane do |
mukaddar ki duriaan bhee bad jaane do||
raat hoti he to ho jaane do kyunki |
shayad raat ke baad hi fir subah ho ||
jhallevichar.blogspot.com
angrezi-vichar.blogspot.com
jhalli-kalam-se

श्यामल सुमन said...

यही दूरियाँ आज मुकद्दर कहा आपने खूब।
सुन्दर पेंटिंग देख देखकर वहीं गया मैं डूब।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

shyam gupta said...

वाह बबली! पेश है--एक लयबद्ध प्रेम अगीत-
गीत तुम्हारे मैने गाये,
अश्रु नयन में भर-भर आये।
याद तुम्हारी घिर-घिर् आई,
गीत नहीं बन पाये ्मेरे।
अब तो तेरी ही सरगम पर,
मेरे गीत ढला करते हैं।
मेरे ही रस छंद भाव सब,
मुझसे ही होगये पराये॥

ओम आर्य said...

दिल जब कभी भी टुटता है तो जिन्दगी मानो जिन्दगी थम सी जाती है और आत्मा से यही आवाज आती है ......
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !

ख्वाब की कीरचियाँ ऐसे बिखरते है कि कही भी आपना चेहरा दिखायी भी नही देता और देखने कि इच्छा भी नही होती.......बहुत ही सुन्दर .....जिन्दगी के बहुत ही करीब लगी आपकी यह रचना......मेरा नमन आपको

अमिताभ श्रीवास्तव said...

wah urmiji,
duriya bhi apani tarah ka ek maza hota he. kam se kam chaah to hoti he milan ki../ aajakal jo mile hue he kounase sukh se rahate he??
kher.../
achhi rachna he, photo bhi pasand aaya

Dimple said...

Hello...

Very Nice words! And beautiful picture...

Regards,
Dimple

शोभना चौरे said...

अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,

majburi ka nam hi jidgi hai .
man ko chu lene vali panktiya .
abhar

kumar Dheeraj said...

अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
बबली जी मन को मोहित करनेवाली रचनाएं आप लिखता है । शु्क्रिया

kumar Dheeraj said...

बबलीजी स्पेलिंग मिस्टेक हो गया है । माफ कीजिएगा धीरज

Neeraj Kumar said...

दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !

बहुत ही अच्छी बात...

Anonymous said...

aaina dikhane ki jaroorat kya hai,
har toote aaine tum nazar aati ho...

sujata sengupta said...

after a long time to your poetry..was away for a while..you are doing a great job..and am so happy that your tempo has remained the same as when you started!! great going!!

मोहन वशिष्‍ठ said...

अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,


बहुत सुंदर बेहतरीन

Sumit Pratap Singh said...

pls rona nahi varna apun ka bhi rona chhoot jayega aur mera cartoon gambheeravastha me aa jayega...

Ramakrishnan said...

Babliji
Another 'sundar' poem. Why dont you give a title to each one of your lovely shayaris ? And another nice sketch. Great work.And I can see that the list of your fans is growing every week. Regards
Ram

अभिन्न said...

अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
......शानदार शायरी

manu said...

bahut achchhaa likhaa hai
skech bhi theek hai..
aapne banayaa hai,,??

Himanshu Pandey said...

अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,"

इन पंक्तियों में संवेदना की कुछ परतें यूँ ही उघड़ जाती हैं । चित्र तो बहुत ही खूबसूरत है । आभार ।

मस्तानों का महक़मा said...

शहर की इस भीड़ में मे अपने आप को दिखाऊ कहां,
एक वो थे एक आप हो पर आपको ये जताऊ कैसे?
निगाहें चहरों को ढूंढ लेती हैं ये सोचना था उनका,
पर उनकी निगाहों में अपने आपको लाऊ कैसे?

आपकी इस पेशकश पर ये हमारी तरफ से... थोड़ा बहुत हम भी अपने पेन डायरीयों पर घिस लेते है...

आप हमें कुछ सुनाऐ और हम आपको कुछ कुछ... :-)

डॉ टी एस दराल said...

बहुत खूबसूरत चित्र और सुन्दर अभिव्यक्ति.

RAJNISH PARIHAR said...

जी दो दिलों की दास्ताँ का इतना सुन्दर चित्रण आप कैसे कर लेती है...बहुत ही बढ़िया..रचना..

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

बढिया है | पेंटिंग भी सुन्दर है |

kalaam-e-sajal said...

अच्छा, दिलचस्प, खूबसूरत ब्लॉग hai।

लिखते रहिये

डॉ जगमोहन राय

Mithilesh dubey said...

bhut khub, Aapke pentings bhi bahut sundar hai.

Naina said...

इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,

waah waah kya khoob!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

बहुत खूब ब्यान किया.

- सुलभ ( Hindi Poetry - यादों का इंद्रजाल )