अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
43 comments:
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
अनुभूति की पीडा को बखूबी बयान किया है आपने.
चित्र हमेशा की तरह लाजवाब.
बहुत खूब
बहुत खूब...
यह चित्र आपने बनाया है क्या? बहुत सुन्दर है.
बहुत खुबसूरत बबली जी | सुन्दर रचना के साथ चित्र भी मन को मोह लेने वाला है !!
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !..
खुब!!
wah wah Babli....tumhari taareef karne ke liye ab mujhe naye shabd talaash karne padenge!!! Bahut khoob yaar!
kya baat hai...
dil se likhi hui baat hai ji...
keep rolling...
बहुत बढ़िया शायरी है, बबली जी!
30 साल पहले मैंने भी कुछ ऐसा ही लिखा था।
आप देखें-
पागल हो तुम मेरी प्रेयसी,
मैं तुमको समझाऊँ कैसे?
पल-पल सुलग-सुलग जलता हूँ,
यह तुमको बतलाऊँ कैसे?
चन्दा और चकोरी जैसा,
मेरा और तुम्हारा नाता,
दोनों में है दूरी इतनी,
मिलन कभी नही है हो पाता,
दूरी की जो मजबूरी है,
मजबूरी जतलाऊँ कैसे?
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
waah lajawab,ye dil bhi khambakht...dard bahut deta hai.
Very beautifully expressed.As always the pic. is perfect too.
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
best of luck babli ji ....likhti rahiye isi taraha.......
बहुत सुंदर लिखा आपने
उर्मी जी,
अब यही दूरियाँ मुकद्दर हैं......
पंक्ती बहुत कुछ कह जाती हैं, अव्यक्त दर्द भी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
bahut khub.. bahut khub...
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
There is so much depth in this .....
khwaabon ko sajaana nahi,
khwaab to khud hee ek saja hai.
jin dooriyon ka dard na ho
Un dooriyon ka kya maja hai?
aansuon से bhari आँखों में khwaab नहीं sajte.............. लाजवाब लिखा है .........
ह्रदयस्पर्शी भाव!
---
शैवाल (Algae): भविष्य का जैव-ईंधन
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
खुबसुरत रचना।
dil ke armaan aansuon me bah jaane do |
mukaddar ki duriaan bhee bad jaane do||
raat hoti he to ho jaane do kyunki |
shayad raat ke baad hi fir subah ho ||
jhallevichar.blogspot.com
angrezi-vichar.blogspot.com
jhalli-kalam-se
यही दूरियाँ आज मुकद्दर कहा आपने खूब।
सुन्दर पेंटिंग देख देखकर वहीं गया मैं डूब।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वाह बबली! पेश है--एक लयबद्ध प्रेम अगीत-
गीत तुम्हारे मैने गाये,
अश्रु नयन में भर-भर आये।
याद तुम्हारी घिर-घिर् आई,
गीत नहीं बन पाये ्मेरे।
अब तो तेरी ही सरगम पर,
मेरे गीत ढला करते हैं।
मेरे ही रस छंद भाव सब,
मुझसे ही होगये पराये॥
दिल जब कभी भी टुटता है तो जिन्दगी मानो जिन्दगी थम सी जाती है और आत्मा से यही आवाज आती है ......
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
ख्वाब की कीरचियाँ ऐसे बिखरते है कि कही भी आपना चेहरा दिखायी भी नही देता और देखने कि इच्छा भी नही होती.......बहुत ही सुन्दर .....जिन्दगी के बहुत ही करीब लगी आपकी यह रचना......मेरा नमन आपको
wah urmiji,
duriya bhi apani tarah ka ek maza hota he. kam se kam chaah to hoti he milan ki../ aajakal jo mile hue he kounase sukh se rahate he??
kher.../
achhi rachna he, photo bhi pasand aaya
Hello...
Very Nice words! And beautiful picture...
Regards,
Dimple
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
majburi ka nam hi jidgi hai .
man ko chu lene vali panktiya .
abhar
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
तुझको ये बात बताऊँ तो बताऊँ कैसे,
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
बबली जी मन को मोहित करनेवाली रचनाएं आप लिखता है । शु्क्रिया
बबलीजी स्पेलिंग मिस्टेक हो गया है । माफ कीजिएगा धीरज
दिल का टूटा हुआ आइना दिखाऊँ कैसे !
बहुत ही अच्छी बात...
aaina dikhane ki jaroorat kya hai,
har toote aaine tum nazar aati ho...
after a long time to your poetry..was away for a while..you are doing a great job..and am so happy that your tempo has remained the same as when you started!! great going!!
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
बहुत सुंदर बेहतरीन
pls rona nahi varna apun ka bhi rona chhoot jayega aur mera cartoon gambheeravastha me aa jayega...
Babliji
Another 'sundar' poem. Why dont you give a title to each one of your lovely shayaris ? And another nice sketch. Great work.And I can see that the list of your fans is growing every week. Regards
Ram
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,
......शानदार शायरी
bahut achchhaa likhaa hai
skech bhi theek hai..
aapne banayaa hai,,??
अब यही दूरियां मुक़ददर है,
चाहूँ भी तो तेरे पास आ नहीं सकती,"
इन पंक्तियों में संवेदना की कुछ परतें यूँ ही उघड़ जाती हैं । चित्र तो बहुत ही खूबसूरत है । आभार ।
शहर की इस भीड़ में मे अपने आप को दिखाऊ कहां,
एक वो थे एक आप हो पर आपको ये जताऊ कैसे?
निगाहें चहरों को ढूंढ लेती हैं ये सोचना था उनका,
पर उनकी निगाहों में अपने आपको लाऊ कैसे?
आपकी इस पेशकश पर ये हमारी तरफ से... थोड़ा बहुत हम भी अपने पेन डायरीयों पर घिस लेते है...
आप हमें कुछ सुनाऐ और हम आपको कुछ कुछ... :-)
बहुत खूबसूरत चित्र और सुन्दर अभिव्यक्ति.
जी दो दिलों की दास्ताँ का इतना सुन्दर चित्रण आप कैसे कर लेती है...बहुत ही बढ़िया..रचना..
बढिया है | पेंटिंग भी सुन्दर है |
अच्छा, दिलचस्प, खूबसूरत ब्लॉग hai।
लिखते रहिये
डॉ जगमोहन राय
bhut khub, Aapke pentings bhi bahut sundar hai.
इतने आँसूं है मेरी आंखों में,
कोई ख्वाब सजा नहीं सकती,
waah waah kya khoob!
बहुत खूब ब्यान किया.
- सुलभ ( Hindi Poetry - यादों का इंद्रजाल )
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