ज़िन्दगी में हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं,
चाहा जिसे भी कभी पाया ही नहीं,
जिसे पाया उसे कुछ यूँ खो दिया,
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !
चाहा जिसे भी कभी पाया ही नहीं,
जिसे पाया उसे कुछ यूँ खो दिया,
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !
Posted by Urmi at 4:43 PM
53 comments:
पाना और खोना तो ज़िन्दगी का दस्तूर है
आपने अपनी शायरी मे बखूबी दर्शाया है
===
बोलते हुए चित्र खुद एक शायरी कह रही है
तसल्ली रखें..जो खो गया..अपना था ही नहीं..!!
बेहतरीन!!
ऊर्मी जी।
आपका शेर बहुत उम्दा है।
कृपया ये भी देखे-
मेरे आँगन में उतरे सितारे बहुत,
किन्तु मैंने मदद को पुकारा नही।
मेरी खुद्दारियाँ आड़े आतीं रहीं,
मैंने माँगा किसी से सहारा नही।
बस इसी बात का ही तो अफसोस है,
जो हमारा था वो भी हमारा नही।
बन्दगी में कहा मैंने कुछ भी नही,
इसलिए उसने सोचा विचारा नही।
वाह ...ये तो संतत्व की बात हो गई. बहुत उंची और सुफ़ियाना ...बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
wonderful expressions! simply loved it. This is my first visit to your blog, but definitely not the last one. keep writing.
वाह बबलि जी बेहतरिन रचना अति सुन्दर भाव,,।
kya baat hai babli ji...
bilkul dil ki core se nikli hui baat hai ye..
na jaane kitne hi dilo ki daastaan likh di in kuchh panktiyoon mein..
bahut hi sahi likha hai aapane jindagi kuchh aisee hi dastan ka naam hai ..........bahut hi sundar jindagi ke karib lagi
जिसे पाया उसे कुछ यूँ खो दिया,
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !
waah lajawab,zindagi ki ye ada bhi hai,paakar khone ki.
Amar Chowar kichu chhilo na
Tara sudhu Jhora Phul
Je Phul phote amar Uddayne
Rodan aar obhelai
Tarai Phote sudhu Chaine jader
Jani Chailei, oora hobe
Sudhu Kichhu Jhora Phul.
बहुत बढिया मुक्तक!!
Beautiful lines!! Its sad that people who have been so close once leave without even looking back.
बहुत ही बढ़िया रचना...
बहुत ही गेहराई भरी लाइने हैं।
सुंदर...
न चाह है उसकी जो साथ है,
क्या बोलू उसे जो पास है
हाथ में हाथ देकर ये वादा किया था उसने
ये जिंदगि भर का साथ है।
waah...
behatareen, lajawaab, bahut umda
paintings ke kya kahne ...bahut khoob
blogger
aleem azmi
Apki is nazam mein bahut dard bhara hai.... aise vicharon ko shabdon mein pirona itna asaan nahin apne bahut achhe se se likha hai bahut khoob
ऐसा करना क्या इतना aasaan है............ khoobsoorat chitr वैसे भी आपकी jubaan बन कर utar आते हैं आपके blog पर......... और आपकी शायरी kamaal कर जाती है
Nice!
Keep it coming
ज़िन्दगी में हमने कभी कुछ चाहा ही नहीं,
चाहा जिसे भी कभी पाया ही नहीं,
जिसे पाया उसे कुछ यूँ खो दिया,
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !
उर्मी जी आपका कोई सानी नहीं है बेहतरीन
जिसे पाया उसे कुछ यूँ खो दिया,
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !
Nice written
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं ! वहः
यार तुस्सी तो छा गये .....आपने मुझे सराहा....मुझे अच्छा लगा ऐसे ही अच्छे अच्छे कमेंट्स देते रहें !!
पहली बार पढ़े कुछ खास अहसास....
कुछ अहसास ऐसे बन जाते हैं जो किसी के नाम की तमन्ना नहीं रखते। वो आज़ाद होकर हर किसी के जीवन मे उड़ान भरते है।
मैं चाहत रखता हूँ आपकी कुछ ऐसी लाइने पढ़ने की जिसमे इस उड़ान का सफ़र हो- बिलकुल उन गानों की तरह जो किसी फिल्म मे ना हीरो और ना हिरोइन के लिये गाये जाते है - वो जो सबके लिये गाये जाते है।
मुबारक.
यह रचना भी आपकी एक खूबसूरत रचना रही.बहुत सुन्दर .आभार.
अति सुन्दर
Jo beet gayee so baat gayee
Hello :)
What a magnificent display of talent!
Beautiful...
Keep it up :)
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
बहुत खूबसूरत है यह नग़मा, बिल्कुल आप ही की तरह...
char layino me hi behatareen bhav parosa aapne..
sundar..babli ji pana khona hi jindagi hai...bas chalata rahata hai..
awesome lines as usual!!
उर्मी जी,
सुन्दर रचना।
सादर.,
मुकेश कुमार तिवारी
Hameshaa kee tarah lajawaab.
{ Treasurer-T & S }
did u use pastal color
उर्मी जी,
बहुत ही सरल और सटीक रचना...
खोने का अहसास तो सभी को होता है परन्तु ऐसा लगना कि कभी खुछ पाया ही नहीं बहुत ही दर्द भरी बात है...ऐसा क्यूँकर?
बहुत ही सुक्ष्म अनुभुतियों को आपने सुंदर तरीके से इस रचना में पिरो दिया है. बहुत शुभकामनाएं.
जैसे ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !wah...
aapki kavitaon ko dekh kar ye lagta hi nahi ki ज़िन्दगी में कभी कोई आया ही नहीं !
sundar rachna ke liye badhai.
सुन्दर अहसास.
बहुत ही बढ़िया रचना...
चाहा जिसे अब न पायेंगे
यह दस्तूर बनाया है..
वर्ना खुदा को भूल जायेंगे
उसके मन में आया है.
| इसे कहते हैं वास्तविक जिन्दगी जीना गीता के उपदेश की तरह
Pak Karamu reading yourblog
Dene waalaa jab bhi detaa detaa chappar faar ke.
jhalli-kalam-se
angrezi-vichar.blogspot.com
jhalligallan
bahut umdaa ....alfaaz nahi hai hamare pass....aur kuch kahne ka
Sundar rachana hai.! Alagse kya kahun,jab itne diggaj pahlehee kah gaye!
Aapka 'mai-kal aaj aur ab'is blog pe comment padha..! Wo lekhan mera hai..! Shayad aapne 'ek betee,apnee maa ko apne manke bhaav bata rahee hai', ye hissa nahee dekha!
Neeraj ji ke saath wo blog kuchh dinon se share kar rahe hun..!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shama-baagwanee.blogspot.com
उर्मी जी,
आपकी तिपन्नियों के लिए शुक्रिया...
यह संस्मरण शमा मैम का है
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
...इतनी परिपक्वता से लिखा हुआ है...कि वाह-वाह करने को दिल आतुर हो ही जाता है...
Lajwab...jari rakhen !!
"वन्देमातरम और मुस्लिम समाज" को देखें "शब्द-शिखर" की निगाह से...
So True!!!
Babli ji
aise to likhe hue shabd aur sath lagaya chitra ek doosre ka saath bakhubhi nibhate hai ..
bas aapse yahi jaanna chahti hu ki ismein se aap kya banate hai..
bhaawnao ko darshate chitra ya bhawnaao ki sunaate shabd ????
-Sheena
Beutiful...
दिल है की मानता नहीं
बिन वाह वाह कहे रह पा रहा नहीं
yaha kambakht saansein bhi aapni nahi hoti...
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