I am sometimes alone. Stars and moon, Sun and shadow, Wind and breeze, River and Pond Follow me Follow to that lonely dane long before you came Only in my mind's glasspane.
न तन्हा हैं...बाद में बहुत अकेले हैं हम; क्या विरोधाभास है; तन्हा व अकेले समानर्थक शब्द हैं। ---परन्तु तन्हा भावनात्मक अर्थार्थ में है,अकेले भौतिक अर्थार्थ में; यादें साथ हों तो अकेले होते हुए भी तनहाई नहीं रहती। -----बहुत सुन्दर,गहन,लक्षणात्मक सहज़ अभिव्यक्ति।
I am a very cheerful, friendly and fun loving girl and have a great passion for travelling as I love to explore new places, love cooking, reading books, writing Hindi poems and English articles by which I am able to express my thoughts and feelings.
50 comments:
खुशी हमसे रूठी. बिछुड़ने का गम है।
मगर दिल-जिगर में, अभी जोश-दम है।
बहुत खूब, शायरी है।
बधाई!
प्रेम भरे भावों की सुन्दर प्रस्तुति...
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
कभी कभी बिना गम और ख़ुशी के रहना ...तन्हा रहना...भी अच्छा लगता है ..
ये तन्हाई कुछ और बढ़िया शेर ले कर आये ..बहुत शुभकामनायें..!!
क्या बात है..बेहतरीन!!
वाह बहुत लाजवाब.
रामराम.
कैसे कहें कैसे हैं हम,
बस यूँ समझ लो बहुत अकेले हैं हम !
waah lajawab
जज्बात आपके आपके साथ है
इन्हे साथी बना लीजिए
कभी खुद को सुनिये
तो कभी खुद की सुना लीजिये
Bahut khoobsoorat sher .....kam shabdon men akelepan ko abhivyakt kiya hai.
Hemant Kumar
sher v bahut khubsurat aur tasveer bhi.....
छोटी सी ये दुनिया,
पहचाने रास्ते हैं.
तुम कभी तो मिलोगे,
कहीं तो मिलोगे,तो पूछेंगे हाल.
चार लाइनें पर बेहतरीन भाव..बधाई!!!
वाह बबली जी बहुत खुब ।
ऐसा अकेला पन बहुत खूब ! अति सुन्दर !!
babli ji,
kamal kar ditta tussi....
बहुत ही अच्छी बातें...
kitni sadgi se aapne ulahna bhi de diya...wah!
अजी जेसे भी रहो खुश रहो, कभी कभी हम भीड मै रह कर, अपनो मै रह कर ओर भी तन्हा हो जाते है.
आप ने बहुत सुंदर लिखा
धन्यवाद
कैसे कहे कैसे है हम .....वह बबली जी सुंदर पोस्ट
बबली जी आप कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाती है...मैं तो कायल हो गया आपकी लेखनी का..मैंने एक नै पोस्ट डाली है आपका स्वागत है..
मिलने की खुशी न बिछड़ने का गम,
न तन्हा न उदास है हम,
कैसे कहें कैसे हैं हम,
बस यूँ समझ लो बहुत अकेले हैं हम
वाह....कम शब्दो बहुत कुछ कह देती हॆं,आप
पहली दो पंक्तियों में सात्विक विचारों की झलक नज़र आती है.
न मिलने की खुशी न बिछड़ने का गम,
न तन्हा है हम aur न उदास है हम,
aakhir कैसे कहें dost कैसे हैं हम,
बस यूँ समझ लो बहुत mast हैं हम
atisundar.Badhai!!
बहुत सुन्दर ........लाजबाव.
I am sometimes alone.
Stars and moon,
Sun and shadow,
Wind and breeze,
River and Pond
Follow me
Follow to that lonely dane
long before you came
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बहूत खूब बबली जी
Very good Urmi!! Pujo shopping started??
kis tarah akele ho tum
shabdon ko yun mayus na karo
we har pal tumhare andar umadte hain
saath hote hain
मिलने की खुशी न बिछड़ने का गम,
न तन्हा न उदास है हम,
LAJAWAAB LIKH HAI ...... SHAANDAAR NAZM HAI DIL KO CHOO KAR GUZAR GAYEE HAI ...
बहुत खूब. गागर में सागर इसी को कहते है.
Naa milneka gam na ho..naa bichhadne ka dukh ho..yahee dua detee hun!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com
Kaun kehta hai akele ho tum,
Apne aap se baate karte ho tum...
बहुत खूब लिखा है आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बिल्कुल सही लिखा है आपने............
wah-wah kya bat hai , bahut khoob.
न तन्हा न उदास है हम,...sahi kaha aapne..
umda rachna, badhai.
wah wah kya baat hai!!
kaise kahen kaise hain hum...
kah bhi daalo
ye sama na phir aayega
akele ho abhi.. phir
shayad saans na le pao tum..
सुन्दर
भावों और चित्र का सुन्दर समन्वय ....बधाई
Wah Babli..i wonder how everytime you come up with such excellent posts.
कैसे कहें कैसे हैं हम,
बस यूँ समझ लो बहुत अकेले हैं हम !.....
very nice...
nyce post.. really wish I was so fluent in hindi :(
I also hope that what u have written about isn't what ur going through :(
Behad saadgii se bharii bhaavpurn abhivyakti ...
'बस यूँ समझ लो बहुत अकेले हैं हम !'
-एकला चलो रे.
Verya nice words...with full of feelings and imotions.
Poonam
वाह! बहुत खूब !!
बहुत बढ़िया बहुत बधाई .
are aapke paas to yha ek adbhut khajana hai....kitnaa bhi lutaayiye....khatm hi nahin hotaa..!!
न तन्हा हैं...बाद में बहुत अकेले हैं हम; क्या विरोधाभास है; तन्हा व अकेले समानर्थक शब्द हैं।
---परन्तु तन्हा भावनात्मक अर्थार्थ में है,अकेले भौतिक अर्थार्थ में; यादें साथ हों तो अकेले होते हुए भी तनहाई नहीं रहती।
-----बहुत सुन्दर,गहन,लक्षणात्मक सहज़ अभिव्यक्ति।
सखि री! तेरी कटि छीन,
पयोधर भार भला धरती हो कैसे!!
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