कितना ख़ूबसूरत ये समा है,
बारीश के बूंदों में खो रहा सारा जहान है,
कुछ कहना चाहती है ये शायद,
तभी तो दिल के करीब ये जहान है !
बारीश के बूंदों में खो रहा सारा जहान है,
कुछ कहना चाहती है ये शायद,
तभी तो दिल के करीब ये जहान है !
Posted by Urmi at 9:20 PM
45 comments:
बारिश की बून्दें कहती हैं
अमृत जल का पान करो।
सच्ची प्रीत निभाओ जग में,
इश्क नही बदनाम करो।।
उर्मी जी।
आज आपने बहुत बढ़िया लिखा है।
बधाई!
वाह!!
कितनी भाव पूर्ण अभिव्यक्ति...
बधाई..
bahut achha laga.........
badhaai !
बहूत खूब बबली जी !!!
पंकज
ek bhavpurn abhivyakti ....aapke blog per aaneka yahi to aanand hai
----- eksacchai [AAWAZ}
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं.
रामराम.
सादगी और सरलता से विचारों को रखने की कला आपको सध गई है. साधुवाद.
बारिश की बून्दें कहती हैं.........
wah babli ji kya baat kahi hai mano man me badal umad ghumad rahe hai ......
sunder post
BAHOOT KHOOB .... BHAAV POORN ABHIVYAKTI ... DIL KE KAREEB SE LIKHA AI AAPNE .....
Beautiful lines, enjoyed reading them.
बारिश की बूंदों से रूमानियत उभरने का एक उदाहरण.
ये दौलत भी ले लो,ये शोहरत भी ले लो,
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन,
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी...
चार पंक्तियो मे आप भी बहुत कुछ कह जाती है जिसमे मनऔर आत्मा दोनो ही खुशी से भर जाता है .....बहुत बहुत बधाई इस खुब्सूरत से रचना के लिये
ekdam baarish ki tarah madmast khilkhilati huyi shayari,waah sunder
बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर...
लेकिन
चार लाइनों मे अपने भाव को रख पाना क्या आपको आसान लगता है?
मुझे तो आपकी हर चार लाइनों को पढ़ने के बाद चार लाइने बनाने का मन करता है।
तो क्या आप भी कभी अपनी किसी पुरानी पंक्तियों को पढ़कर चार लाइन बनाती हो।
It is always a pleasure to read your impressive posts.
bohut hi khoobsurat...wow I love speaking like this. :)
वाह । आपकी रचनायें विभोर कर देती हैं । बेहतर अभिव्यक्ति ।
Subah ye post padee baahar aayaa to vaakai samaa haseen thaa ,khoobsoorat thaa.
thode shabdoan bahut kuch keh dena....ise hi kala kaha jaata hai...
Thats a sweet and happy poem, very different from your usual poetry.
बूँदो को विस्तार दे दिया.
बहुत खूब
चित्र नायाब
वाह क्या बात है
Babli...its so hot and humid here ...your words are the best thing today.
अरे हम तो बिना छाता खुब नहाते थे बारिश मै... बहुत कुछ कहती अहि यह आप की बारिश की बूंदे... धन्यवाद
Prakriti ko andar tak mahasoos kar likhee gayee rachna.
HemantKumar
बबली जी हमेशा की तरह बेहतरीन शायरी……………लिखती रहें ।
बहुत सही लिखा है आपने। लाजवाब रचना
Excellent
बेहद खूबसूरत रचना । आभार ।
badhiya abhivyakti
आअपकी शायरी के सदके जाऊँ सुन्दर लिखती हैं बधाई
भावपूर्ण अभिव्यक्ति..बधाई!
बहुत खूब. उम्दा अशआर.
Kam shabdon men behatrin rachna...mubarakvad.
उर्मी जी,
सुंदर अभिव्यक्ति...लग रहा है आप के यहाँ खूब बारिश हो रही है।बारिश तो अब यहाँ बनारस में भी आजकल खूब हो रही है पर ’क्या बरखा जब कृषि सुखाने’........फिर भी जल स्तर और गर्मी के लिहाज से तो यह आवश्यक है। आप को बारिश की बधाई और आप के जीवन में इस बारिश की तरह ही खुशियों की बारिश भी होती रहे....
कितना ख़ूबसूरत ये समा है,
बारीश के बूंदों में खो रहा सारा जहान है,
कुछ कहना चाहती है ये शायद,
तभी तो दिल के करीब ये जहान है !
वाह बहुत खूब, कम शब्दो में ,बहुत कुछ कहने में,आप का जवाब नही
रंगे बासन्ती आंचल को,
लहर,लहराती हैं क्यारियां।
दिल में उठता है मेरे धुआं,
एक तू ही नहीं जो यहां॥
Bahut khoob.......
Great!
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
बारिश की बून्दें कहती हैं...
bahoot khoob!!
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अच्छी अभिव्यक्ति है,
कविता के साथ की तसवीर तो बहुत ही खूबसूरत लगी।
babli ji shayad bhagwaan ne aapki sun li...
delhi/ncr mein kal raat se non-stop varsha ho rahi hai...
badhaayi...
nice... aapki sayari bahut achi hain...
You have a nice blog...
कितना ख़ूबसूरत ये समा है,
बारीश के बूंदों में खो रहा सारा जहान है,
कुछ कहना चाहती है ये शायद,
तभी तो दिल के करीब ये जहान है ......
आपने बहुत बढ़िया लिखा .....thanks..
जितनी सुन्दर रचना, उतनी ही सुन्दर चित्र का चुनाव
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