याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में,
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
कोशिश न करना अब हमें ढूंढने की यारा,
सोच लिया अब गुमनामी में रहेगा दिल बंजारा,
पर ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
कोशिश न करना अब हमें ढूंढने की यारा,
सोच लिया अब गुमनामी में रहेगा दिल बंजारा,
पर ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
48 comments:
हरदम दिल में तुम ही तुम हो,
परछाईं का क्या करना है।
एक जान दो जिस्म बन गये,
रुसवाई से क्या डरना है।।
बबली बिटिया!
लगता है कि आज तुमने
दिल की गहराइयों में डूबकर लिखा है।
बहुत बढ़िया है।
बधाई!
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में
वाह...बबली जी वाह...क्या बात है...बेहद खूबसूरत रचना...बधाई..
नीरज
मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
बेहतरीन खयाल. परछाई मे तभी मिलते है जब सचमुच मिलें
दिल बंजारा,
... अच्छे शब्द चयन के साथ मन की बातें प्रस्तुत करने का अंदाज़ निराला है।
बहुत सुन्दर बबली जी, मगर क्षमा करे, मुझे लगता है, आपने शेर जरा लंबा खींच दिया, ;
याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में,
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
कोशिश जब-जब करोगे हमें ढूंढने की
मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
BEAUTIFULLY WEAVED POEM.
वाह ! क्या बात कही है -किसी वजूद की छाया बन कर रह जाना ! अहसास का एक बेखुद आलम !
बहुत खुब...
याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में,
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
कोशिश न करना अब हमें ढूंढने की यारा,
सोच लिया अब गुमनामी में रहेगा दिल बंजारा,
पर ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
wah! bahut khoob....... man moh liya is kavita ne...
bahut umda likha hai. badhaai.
पी सी गोदियाल जी ने मेरे मूंह की बात छीन ली.
बबली जी, आप मुक्तक ही लिखें, चार लाइनों में, तो प्रभाव ज्यादा अच्छा रहेगा.
बहरहाल, भाव बहुत अच्छे हैं.
simply awesome Babli!!!!! very nice!
सम्मान्य बबली जी,
अक्सर बांचता हूँ आपकी शायरी का गुलदस्ता
लोग देखा करते हैं आपकी ख़ुश आमद का रस्ता
क्योंकि हसीन ही नहीं, ज़हीन भी हो तुम
बेहतरीन से भी ज़्यादा...बेहतरीन हो तुम
इसलिए
याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में,
तुम्हारी पोस्ट न देखी तो
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
ऐसे लगा
जैसे टूट गया किस्मत का तारा
कौन देता है
दर्द- ए - दौरां के मारों को सहारा
बहने दो
गर बहती है अश्कों की धारा
यही है अब तो मुकद्दर हमारा
भुला देना
फ़रामोश कर देना
कोशिश न करना अब हमें ढूंढने की यारा,
क्योंकि
मजबूरी में हमने भी मन बना लिया सहने का
हिज्र में , फ़ुरकत में, अफसुर्दगी में रहने का
सोच लिया अब गुमनामी में रहेगा दिल बंजारा,
मोहब्बत की वादियों में फ़ना होगा वजूद हमारा
पर ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
और हमारे होने की ज़रूरत शब में तुम्हें सताए
तब हमारा खेल देखना
मोहब्बत का मेल देखना
झाँक लोगी गर अपनी अलसाई अंगडाईयों में
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
ये हमारा तुम से वादा है
वैसे लोग तो कहेंगे
ये टिप्पणी कुछ ज़्यादा है ...हा हा हा हा
सुन्दर कविता बधाई
एक खूबसूरत एहसास..सुंदर भाव और सुंदर प्रस्तुति..आभार!!!
How beautiful..... great to love someone to this extent
पर ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में
bahut khoob likha hai ,dil ko chhoo gayi
बहुत सुंदर शेर बबली जी...कोशिश न करना अब हमें ढूंढने की यारा,... लेकिन एक नजर देखने की इचछा तो सब को होती होगी.
धन्यवाद
इसे ही कहते हैं सच्चा प्यार।
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक
आइए आज आपको चार्वाक के बारे में बताएं
सच्चा प्यार कभी जुदा नहीं होता,वो तो हमेशा परछाई के रूप में साथ ही रहता है!अच्छी सुंदर प्रस्तुती हेतु बधाई!!!!!
bahut sundar
Very nice poem and very heart touching
bahut umda...iske siwa koi alfaaz nahi mere paas
उर्मी जी,
बहुत दिनों के बाद ब्लोगर पर आ पाया...क्या खूब लिखा है...
सोच लिया अब गुमनामी में रहेगा दिल बंजारा,
मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने...
बढ़िया है...
' प्यार पूर्ण समर्पण का ही दूसरा नाम है '....सुन्दर अभिव्यक्ति
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में ....
Shayad isi ko pyaar ki inteha kahte hain ....
उत्तम रचना
ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
waah
bahut khoob kya baat hai
bhaavpoorn panktiyan
badhaayi & shubh kamnayen
aapki tanhaiyon me kuch baat hai babli ji .....
badhiyan post .......
बहत....अच्छे.
जब कुछ लिखती हो लगता है जैसे आमने-सामने की बातचीत का कोई एक रूप है।
very nice............
haan dil me tum hi tum ho............
ख्याल गर हमारा शिद्दत से तुम्हें आए,
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में ...wah dil khush kar diya babli jee aapne...
खूबसूरत चित्र
अच्छे भाव
तो मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
saara saar to isi ek line mein hai.. sach mein shayari ka guldasta hai aapke paas...
Pankaj
bahut sundar !! babliji koi romantic shayari bhi bataiye aapki pahli wali shayari ko apni mahfil maine sharik kar liya tha !!!
khoobsurat ehsaas or badi hi khoobsurati se bayaan kiya hai aapne.......
keep sharing
Waah ! Bas ek hee shabd! Kis shiddat se kah diya, ki milenge aap unki parchhayi me!
Hello :)
Shadows & shadows!!
Very nice!
Regards,
Dimple
Very nice thought.. Though I am not as perfect as u guys but tried something http://hiteshmathpal.blogspot.com/2009/11/waqt.html
वाह वाह क्या बात है बहुत सुन्दर्
ek parchhayin mein anginat lamhon ko samet liya hai, bahut hi badhiyaa
bade dino baad aayaa aapke blog par, kai saare karan rahe busy hone ke, kher..aapke guldaste ki panktiyo ki baat kartaa hu, tanhaai me yaad karna dil ko hamesha dard me dubo hi deta he, aour jo dil banzare ka upyog kiya he vo yakinan behatreen he..
mashaallah.
Beautiful lines!! The feelings are truly deep!!
bahut hee sunder rachana hai ye aapakee .
याद तुम्हें हम करते रहे तन्हाई में,
दिल को डुबोया दर्द की गहराई में,
कोशिश जब-जब करोगे हमें ढूंढने की
मिल जायेंगे हम तुम्हारी ही परछाई में !
in panktiyo ne bahut asar dil par choda .
बहुत भली लगी ये रचना
दिल को छूने वाली.
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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