सुर्ख होठों पे लिखा है नाम अब तुम्हारा,
गुल से भी नाज़ुक है यारा दिल हमारा,
रूठ मत जाना तू मुझसे अब सनम,
हमकदम बनकर चलेंगे हर कदम !
गुल से भी नाज़ुक है यारा दिल हमारा,
रूठ मत जाना तू मुझसे अब सनम,
हमकदम बनकर चलेंगे हर कदम !
Posted by Urmi at 6:47 AM
33 comments:
wah babli ji waah !
jaisee babli aap vaisee hi babli aapki shaayri...
kya baat hai !
har kadam aur humkadam ka kya khoobsoorat upyog kiya hai......
badhaai
badhaAi
badhaai
वाह बबली जी कम शब्दों में खूबसूरत रचना ...
बेहतरीन एहसास!
सुन्दर भाव!!
शानदार शेर!!!
बहुत सुन्दर रचना !!!
बधाइ
क्या बात है। बेहद खूबसूरत व दिल से लिखी गयी रचना। बहुत-बहुत बधाई....
बेहतरीन एहसास दिल का गुल से भी नाज़ुक होने का.
बहुत सुन्दर
चित्र के बारे मे क्या कहूँ सदा की तरह लाजवाब
Babli ji surkh honth bhi kisi premika ke hote hain aur gul se najuk dil bhi usi ka, ab ye baat koi premi kaise kahega? ladke ke honth kaise surkh hue? agar premika kah rahi hai to premi ka dil kaise gul se najuk ho gaya? samajh nahin aaya( just kidding :) )
achchha sher hai
क्या बात है बबली जी..बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...बधाई
Roothe preetam ko maneme ek umr nikal jati hai, unhen to manana aata nahee, to ham roothte nahee..
Dil to chahta hai,ki, hame bhi koyee manaye!
बहुत सुंदर रचना.
धन्यवाद
बेहतरीन!!
nice poem
drashokpriyaranjan.blogspot.com
अपने दुश्मन को मित्र बनाने के हजार अवसर दो लेकिन अपने मित्र को दुश्मन बनने का एक भी मौका मत दो।
बहुत सुंदर अहसास और बात!
bahut sunder aagrah karatee aur aashvasan detee rachana . badhai
babli ji laajwaab !! mere kaam kaa sher hai !!! dhanyawaad!!!
वाह लाजवाब!
रामराम.
wah! bahut sunder rachna hai.......
Babli,every post of yours is better than the other.
Who's picture is it anyway?
रूठ मत जाना तू मुझसे अब सनम,
sunder rachna......
बहुत खुब शायरी लिखी है आपने।
बधाई हो...
very beautiful indeed...
Bahut achhi shayari likhati aap.
Shubhkanayen.
SUNDAR AUR SAHAJ BHAVABHIVYAKTI
KE LIYE AAPKO BADHAAEE AUR SHUBH
KAMNA.
jitne sundar ahsaas utne hi sundar alfaaz.......badhayi.
ये अधर नहीं प्रतिबिम्ब तेरी मधु से मीठे मुस्कान की है..
जिनके प्यासे अब तड़प रहे उनके प्रेयस अनुमान की है...
इनकी शीतलता के अनुभव का आलिंगन अब कौन करें....
इन होठों पे अब यही प्रश्न अधरों के मद-अभिमान की है..
कुछ SHABDON में कही LAMBEE बात ......... बहुत सुन्दर .......
गागर में सागर। चंद शब्दों में दिल की बात का इज़हार।
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परा मनोविज्ञान- यानि की अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 75 अरब डालर नहीं, सिर्फ 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
खूबसूरत पंक्तियों के साथ कातिलाना फोटो जैसे कि..साकी ने जहर मिला दिया हो शराब मे!!!
sirf 4 lines hain...par jabardast..!!
बहुत खूब लिखा है..
शब्दों में वो भाव तो आ ही गए जिससे पढ़ने वाला भी अपने अंतरमन में झाक सके।
It's a nice feeling to read your poems . I'll surely tour here every now and then
बहुत ही सुन्दर...बोलता हुआ चित्र और गुनगुनाते हुए शब्द आकर्षित कर रहे हैं...वाआह>>>>>>>>
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