पल भर में जो टूट जाए वो कसम हो नहीं सकता,
वीराना कभी खिलता चमन हो नहीं सकता,
एक दूसरे के वास्ते हम और तुम बनें,
पल भर में जो रूठे वो सनम हो नहीं सकता !
वीराना कभी खिलता चमन हो नहीं सकता,
एक दूसरे के वास्ते हम और तुम बनें,
पल भर में जो रूठे वो सनम हो नहीं सकता !
41 comments:
खूबसूरत लाइनें, लुभावना चित्र
अति सुन्दर !
बढ़िया चित्र,
उम्दा शायरी!
nice.
बिलकुल सही कहा बबली जी शुभकामनायें
बात तो आपकी बिल्कुल सही है , लेकिन आज कल कसम के शायद उतने मायने नहीं रह गये , इसलिए टुटने में ज्यादा वक्त नहीं लगता । अच्छी रचना , बधाई
आपका कहना सही है ..... . कमाल का LIKHA HAI ...... UMDA .....
Sundar chitr aur utnee hee sundar shayari...!
ho skta ki bjaye ho skti hota to achha hota... kasam hota nhi hoti hai...
बेहतरीन
sunder rachana . badhai
वाह बहुत सुंदर बात कही आपने, शुभकामनाएं.
रामराम.
badiya likha hain ati sundar
अजी इस रूठने मानाने को ही तो आशिकी कहते हैं।
सुंदर रचना।
सुन्दर और सरल ढंग से कही सुन्दर बात
बहुत सुन्दर
टूटे कसमों को जोड़ेंगे..
मुरझी कलियों को सींचेंगे..
तुझको पाने की हसरत में
हम रूठे सनम को खींचेंगे..
जो टूट न सके वो कसम नहीं...
जो मुरझाये न चमन नहीं....
तू मुस्काये हम खिल जाएँ..
पर,जो रूठ न सके वो सनम नहीं...
दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।
पल भर में जो टूट जाए वो कसम हो नहीं सकती
वीरान दुनिया कभी खिलता चमन हो नहीं सकती
हम और तुम बनें हैं सिर्फ एक दूसरे के वास्ते
पल भर में जो रूठे वो सनम हो नहीं सकता !
अब इस आखरी लाइन मे सनम हो नही सकती तो नही जमेगा ,,सोचते है ..क्या किया जा सकता है
रूठने-मनाने का नाम ही प्यार है........पर पल-पल में रूठने वाला सनम नहीं................सुन्दर
इस चित्र और उस के लिए लिखी पंक्तियों का जवाब नहीं।
बबली जी,
बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने । छोटी सी रचना गहरा प्रभाव छोडऩे में समर्थ हैं ।
मैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
aapki tasvir aur rachna dono shaandar hai ,aapka komal man jhalkta hai
waah bahut khub kaha pal bhar mein ruth jaye wo sanam ho nahi sakta,wah
@ शरद भाई
सनम को जानम कर लिजिये...बैठ जायेगा///
पल भर में जो रूठे वो जानम हो नहीं सकती ! :)
एक सुझाव भर है.
बाकी बढ़िया.
bahut badiya... par ruthe ge nahi to manayege kaise!!!
WAAH WAAH.........BAHUT HI SUNDAR PANKTIYAN AUR BHAV.
I get fascinated by the pictures here and of course the poem.
चित्र के साथ....... बहुत सुंदर शायरी..........
baat bilkul sahi.....
khubsurat .....
सनम की तो यही खासियत होती है की वो रूठता नहीं..,,लेकिन आजकल कुछ कह नहीं सकते...
aapne ekdam sahi baat kahi hai ki veeraana kabhi khilta chaman nahi ho sakta .........har bar ki tarah lajawab post
पल भर में जो रूठे वो सनम हो नहीं सकता !
सुंदर बात
वैसे ज्यादातर सनम रूठता भी महज इसलिए ही है क्यूंकि वो चाहता है कि उसे मनाया जाए !
स्नेह एवं शुभ कामनाएं
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पल भर में जो टूट जाए वो कसम हो नहीं सकता,
वीराना कभी खिलता चमन हो नहीं सकता
बहुत उम्दा बबली जी...
यही मैं सोच रहा था इतनी सुन्दर लाइने हैं सिर्फ एक "कसम" के लिए गड़बड़ हो रही थी!!! बबली जी शरदजी ने बिलकुल सही ध्यान दिलाया और समीरजी ने सुन्दर तरीके संवार दिया एडिट करके सनम को जानम कर दें तो बेहतर होगा या फिर उपयुक्त शब्द आप ही खोज कर लगा देवें!!! रचना वाकी लाजवाब है पर कसम स्त्रीलिंग का बोध कराती है !!!
गागर में सागर
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां ।
वीराना कभी खिलता चमन हो नहीं सकता,
क्या खूब कहा है? दर्द भरी सच्चाई है इन पंक्तियों में...
umda sher aur dilkash tasveer
bahut khoobsurat ............
brilliant!!...you are just superb...great choice of the picture as well :)
वाकई आपके शब्दों में बहुत दम है और चिंतन नायाब। पूरे मन के साथ बधाई स्वीकारें।
कसम बनी है टूटने के लिए.
चमन बनी है चून्टने के लिए
एक दूसरे के लिए बने हैं हम और तुम
सनम बने हैं रूठने के लिए.
www.http://deendayalsharma.blogspot.com
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