किसीकी याद सताए तो क्या करें,
किसीसे मिलने को दिल चाहे तो क्या करें,
कहते हैं सभी, होती है मुलाकात सपनों में,
पर नींद ही न आए तो क्या करें !
किसीसे मिलने को दिल चाहे तो क्या करें,
कहते हैं सभी, होती है मुलाकात सपनों में,
पर नींद ही न आए तो क्या करें !
36 comments:
वाह... वाह...!
फिर से एक खूबसूरत मुक्तक!
बधाई!
बेहतरीन!!
bahut sunder muktak,
"कोई याद करता है दिल कह रहा है" ye aaj ki rachna padhen mere blog par.
neend na aaye ,priye ka dhyaan kar
usko apna god ishwar maan kar
uski yaadon se laga kar apna man
mast ho so jaao chadar taan kar.
वाह... वाह...!
फिर से एक खूबसूरत मुक्तक!
संवेदनशील रचना। बधाई।
बस वाह और केवल वाह !
बेहद खूबसूरत और दिल को छू लेने वाला मुक्तक है। बधाई !
चलिए हमें भी किसी की याद सता ही गई...
आखिर हम ही हारे...
जय हिंद...
बहुत खूबसूरत रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
वाह वाह बबली जी कमाल है। बधाई
इस कविता के एवज में एक कविता मेरी भी
नींद के लिये ज़रूरी है
नींद के लिये ज़रूरी होता है
दिमाग के समन्दर में उठती
विचार की लहरों का थम जाना
नसों के सितार पर छिड़े
रक्तप्रवाह के सुरों का लयबद्ध हो जाना
ज़रूरी होता है
इच्छाओं के हाँफते घोड़े का दम साध लेना
नींद के लिये
कतई ज़रूरी नहीं होता
नींद की गोलियाँ गुटकना ।
- शरद कोकास
जब जब भी याद सताती है
कमबख्त नींद नहीं आती है।
वाह, बेहतर शेर !
One of your best i have come across till now!Kudos to you Babli.
ye to radha krishna ke prem ko bayan kar diya..........jaise radha ji kahti thi ki sakhi tumhein unke deedar sapnon mein to ho jate hain magar mujhe to wo bhi nhi hote kyunki neend hi nhi aati.............ati sundar .
bahut bahut badhiya!!
सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।
वाह .... क्या बात कही .... नींद नही आए तो सपनों में भी मुलाकात कैसे करे .... बेहतरीन ........
लाजवाब
वाह
बबली जी, फ़िर डॉक्टर किस दिन काम आयेंगे।
अच्छी पंक्तियाँ,
अच्छा कताअ है..
ये तसव्वुर करके देखो...
जिसकी फुरकत ने बढाया है मेरी मुश्किल को,
उसकी यादों ने ही आसान बना रखा है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
bahut sunder jitni tareef ki jaaye kam hai aapki mohtarma
best regard
aleem azmi
waah !!
itne km alfaaz
itnaa saara izhaar
waah !!!
very nice... great
Khuli aNkhon se sapne dekhna kaNha sabko aati hai!1
खामोश देहलवी के इन अशआर को आपने जगजीत सिंह के स्वर में सुना ही होगा-
उम्र जलवों में बसर हो ये ज़रूरीतो नहीं,
हर शबे-ग़म की सहर हो ये ज़रूरी तो नहीं।
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है,
उनकी आगोश में सर हो ये जरूरी तो नहीं।
प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति..धन्यवाद बढ़िया रचना..
ek funny comment likhne ki aagya dein babli ji...
neend nahi aati to neend ki goliyaa le lo... :-p
शायरी के गुल्दश्ते में एक और सुन्दर फूल.
कहते हैं सभी, होती है मुलाकात सपनों में,
पर नींद ही न आए तो क्या करें...........
बेहद खूबसूरत.............
Beautiful poetry.
Where did you get the picture from?
" bahut hi badhiya ...
किसीकी याद सताए तो क्या करें,
किसीसे मिलने को दिल चाहे तो क्या करें,
कहते हैं सभी,
होती है मुलाकात सपनों में,
पर नींद ही न आए तो क्या करें !
aapko dher saari badhai "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
Logo ne itne tarif kar di hai ab kia kahu...bus wah ...
इसे कहते हैं तड़पते दिल की पुकार
Har baar ek naya andaaz ! Behtareen ! You are a thought factory !
Aajkal blogs par kam aa pata hun isliye sunday ko aapke sare post ek saath padha raha hun.
Aur haan Kuch naya post kiya hai blog par ! http://hiteshmathpal.blogspot.com/2009/12/1.html
बहुत अच्छा लिखा
बहुत बहुत आभार
मुक्तक से बेहतर तो हमको, चित्र लगा है सुन्दर.
ब्लाग आपका दिल खुश करता, बहुत ही सुन्दर.
बहुत ही सुन्दर रचना है यह सारा जीवन.
फ़ूलों से, मुस्कानों से परिपूर्ण यह जीवन.
कह साधक उर्मि से मित्रता हो तो बेहतर.
चित्र लगा है हमको तो मुक्तक से बेहतर.
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